Atiq Ahmed Dead: अतीक-अशरफ हत्याकांड की तरह हुई थी अहमद शाह मसूद की हत्या, आतंकियों ने टीवी पत्रकार बन किया था हत्या
Atiq Ahmed Dead: फगानिस्तान में 'पंजशीर का शेर' कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद बहुत ताकतवर कबीलाई लड़ाके थे। उन तक पहुंच पाना उनके दुश्मनों के लिए नामुमकिन था। लेकिन 9 सितंबर 2001 को अहमद शाह मसूद की हत्या उनके छिपने के ठिकाने में कर दी गई। इस घटना ने अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दहला कर रख दिया था।
Atiq Ahmed Dead: अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान में 2001 में घटी एक घटना की याद दिलाई जा रही है जब टीवी पत्रकार बन कर आये आतंकियों ने एक बड़ा कांड कर दिया था। अफगानिस्तान में 'पंजशीर का शेर' कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद बहुत ताकतवर कबीलाई लड़ाके थे। उन तक पहुंच पाना उनके दुश्मनों के लिए नामुमकिन था। लेकिन 9 सितंबर 2001 को अहमद शाह मसूद की हत्या उनके छिपने के ठिकाने में कर दी गई। इस घटना ने अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दहला कर रख दिया था। इस घटना के दो दिन बाद 11 सितंबर को अमेरिका पर अल कायदा का भयानक हमला हुआ था।
क्या क्या हुआ था
दरअसल, अल-कायदा और उसके सहयोगी तालिबान की आंख में अहमद शाह मसूद बहुत खटक रहे थे। अल कायदा किसी भी तरह उन्हें खत्म करना चाहता था। इसके लिए एक लंबी प्लानिंग की गई।
9/11 से दो दिन पहले, पत्रकारों के भेष में अल-क़ायदा का एक आत्मघाती दस्ता उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान विरोधी अंतिम प्रमुख कमांडर अहमद शाह मसूद के साथ एक साक्षात्कार के लिए बैठा। इससे पहले कि वह एक प्रश्न का उत्तर दे पाते, हमलावरों ने वीडियो कैमरे और बैटरी पैक में छिपे विस्फोटकों में विस्फोट कर दिया और मसूद वहीं मारे गए।
इस दुस्साहसी हिट का आदेश ओसामा बिन लादेन ने खुद दिया था। अति गोपनीय प्लानिंग के तहत हत्यारों ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्माने का नाटक किया और ब्रिटेन में एक इस्लामी केंद्र से लेटरहेड पर छपी एक मनगढ़ंत कहानी पेश करके मसूद से साक्षात्कार का टाइम हासिल कर लिया। हत्यारों ने यात्रा करने के लिए चोरी किए गए बेल्जियम के पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था।
गहरी चाल
हत्यारों को मसूद के साथ मिलने के लिए अगस्त 2001 में समय तय हुआ था और वे नियत दिन ख्वाजा बहाउद्दीन गांव में उनके ठिकाने पर पहुंचे। उन्होंने वहां 10 दिन शांतिपूर्वक और धैर्यपूर्वक इंतजार किया और कभी भी अनावश्यक रूप से साक्षात्कार पर जोर नहीं दिया। उन्होंने इस बात की तनिक भी भनक किसी को नहीं लगने दी कि वे पत्रकार नहीं हैं। उन्होंने अपने आप को मोरक्को मूल का बेल्जियन नागरिक बताया था। हत्याकांड के बाद जांच में पता चला कि वे ट्यूनीशिया के थे।
सही समय का इंतजार
अहमद शाह मसूद की हत्या के फिराक में लगे आतंकी सही समय का इन्तजार कर रहे थे। अहमद शाह मसूद का इंटरव्यू का दिन आ गया और उन्हें वारदात को अंजाम देने का वक्त मिल गया। मसूद उनके किसी सवालों का जवाब देते इससे पहले ही आतंकियों ने ब्लास्ट कर दिया। इस ब्लास्ट में अहमद शाह मसूद की मौके पर ही मौत हो गई।
विस्फोट में यूनाइटेड फ्रंट के एक अधिकारी मोहम्मद असीम सुहैल की भी मौत हो गई, जबकि मसूद के सहयोगी मोहम्मद फहीम दश्ती और मसूद खलीली घायल हो गए। आत्मघाती हमलावरों में से एक, विस्फोट से मारा गया, जबकि दहमन अब्द अल-सत्तार को पकड़ लिया गया और भागने की कोशिश के समय गोली मार दी गई।