सेना ने मारे 39: दोनों देशों के बीच भयानक संघर्ष, निहत्थों पर चले बम-गोले

युद्ध को लेकर ऑस्ट्रेलिया के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने ये स्वीकारा है कि उनकी सेना अफगानिस्तान में आपराधिक गतिविधियों में शामिल थी। ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने माना।

Update: 2020-11-20 06:18 GMT
युद्ध को लेकर ऑस्ट्रेलिया के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने ये स्वीकारा है कि उनकी सेना अफगानिस्तान में आपराधिक गतिविधियों में शामिल थी।

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया से युद्ध को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। चार साल से अधिक समय तक चली जांच के बाद ऑस्ट्रेलिया के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने ये स्वीकारा है कि उनकी सेना अफगानिस्तान में आपराधिक गतिविधियों में शामिल थी। ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने माना। ऐसे में इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि अफगानिस्तान में तैनात उनके सैनिकों ने कम से कम 39 अफगान नागरिकों को गैरकानूनी तरीके से हत्या की गई।

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युद्ध अपराध के आरोपों की जांच

जनरल कैंपबेल के अनुसार, मैं ईमानदारी से अफगान लोगों के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बलों द्वारा किए गए किसी भी गलत काम के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं। ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बल के महानिरीक्षक 2005 से 2016 के बीच अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलिया सेना द्वारा युद्ध अपराध के आरोपों की जांच कर रहे थे।

आगे उन्होंने कहा, अगला कदम युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाना होगा। साथ ही जांच में पाया गया कि ऑस्ट्रेलियाई सेना में विशेष बल के 25 सैनिक कैदियों, किसानों और अन्य निहत्थे नागरिकों की हत्याओं में शामिल थे।

फोटो-सोशल मीडिया

इसके अलावा नागरिकों की 23 अवैध हत्याओं के भी पुख्ता सबूत भी हैं जिनमें से कम से कम 39 अफगान नागरिक मारे गए थे। ऐसे में युद्ध अपराध का सिलसिला 2009 में शुरू हुआ। हालाकिं अधिकतर लोग 2012 से 2013 के बीच मारे गए।

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परिवारों और समुदायों को दर्द और दुख

युद्ध-अपराध की इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलियाई सेना के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने जांच रिपोर्ट आने के बाद कहा, इस तरह के कथित व्यवहार ने अफगान लोगों द्वारा हमारे ऊपर जताए गए भरोसे का अनादर किया। अफगानों ने अपने देश से हमें मदद करने के लिए कहा था।

उन्होंने कहा कि कथित अपराध के चलते न सिर्फ मिशन पर संदेह की उंगलियां उठीं बल्कि अफगान परिवारों और समुदायों को दर्द और दुख झेलना पड़ा।

ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा बल का कहना है कि पिछले चार सालों में इस तरह के कई आरोपों की आंतरिक समिति ने जांच की है। सेना ने अपने एक बयान में कहा कि उसने 55 मामलों की जांच की है, जिसमें 336 गवाहों ने बयान दिए हैं। वहीं सितंबर 2001 में अमेरिका में आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान में 2002 को ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की तैनाती की गई थी।

इनमें से अफगानिस्तान में कुल 39,000 ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने अपनी सेवा दी, जिनमें से 41 मारे गए। वहीं ऑस्ट्रेलिया ने 2013 में अफगानिस्तान से अपने अधिकांश सैनिकों को वापस बुला लिया था।

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