हजारों सैनिकों की मौत: ऐसे बनाया जा रहा इन्हें निशाना, जंग की सच्चाई सामने

अजरबैजान और आर्मीनिया (Armenia-Azerbaijan) के बीच सीजफायर पर सहमति बनने के बाद भी दोनों ही पक्षों के बीच जंग जारी है। इस युद्ध में अजरबैजान की सेना आर्मेनिया के सैनिकों को निशाना बनाकर हमला कर रहा है।

Update: 2020-10-11 10:31 GMT
आर्मेनियाई सैनिकों को निशाना बना रहा अजरबैजान

नई दिल्ली: नागोरनो-काराबाख इलाके को लेकर अजरबैजान और आर्मीनिया (Armenia-Azerbaijan War) के बीच हो रही युद्ध के खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि दोनों ही देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बन गई है, लेकिन अभी भी दोनों ही पक्षों के बीच जारी है। इस बीच कहा जा रहा है कि अजरबैजान की सेना अभी भी इस जंग में आर्मेनिया के सैनिकों को निशाना बनाकर हमला कर रहा है। आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय की तरफ से रविवार को ऐसा ही एक वीडियो भी जारी किया गया है।

आर्मेनियाई सैनिकों को निशाना बना रहा अजरबैजान

जारी वीडियों में आर्मेनियाई सैनिकों और उनके हथियारों को निशाना बनाते हुए दिखाया गया है। अजरबैजान की तरफ से दावा किया गया है कि शनिवार रात को किए गए हमलो में अजरबैजान के पांच टी-72 टैंक, छह हॉवित्जर, पांच हथियारों से भरे ट्रक, 11 गाड़ियां, तीन मल्टीपल लॉन्चर रॉकेट सिस्टम, पांच सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्जर और आठ एंटी डिफेंस सिस्टम शामिल रहे। वहीं आर्मेनिया ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि उसके हमलों में अजरबैजान को काफी नुकसान हुआ है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

युद्धविराम के लिए सहमत हुए दोनों देश

बता दें कि दोनों ही देश मॉस्को में रूस की मध्यस्थता से चली दस घंटे की वार्ता के बाद युद्धविराम के लिए सहमत हुए। लेकिन अभी भी दोनों पक्षों में ये युद्ध खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। बताते चलें कि अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोरनो-काराबाख इलाके को लेकर युद्ध (Armenia-Azerbaijan War) हो रही है। दोनों ही देश 4400 वर्ग किमी में फैले नागोर्नो-काराबाख नाम के हिस्से पर कब्जा करना चाहते हैं।

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अजरबैजान का हिस्सा है नागोर्नो-काराबाख

बता दें कि नागोर्नो-काराबाख इलाका अंतरराष्‍ट्रीय रूप से अजरबैजान का ही हिस्सा है, लेकिन यहां पर आर्मीनियाई लोग रहते हैं। आर्मेनिया के जातीय गुटों ने यहां पर कब्जा कर रखा है। वहीं हाल ही में ईरान की ओर से इस युद्ध से तबाही आने की चेतावनी जारी की गई थी। ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने इस जंग पर कहा कि इस युद्ध के बाद इलाके की स्थिरता को खतरा है और अगर ये ऐसी ही जारी रहा तो पड़ोसी देशों पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।

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