बैंकाक : हाल के दिनों में वैश्विक स्तर पर थाईलैंड की गुफा में फुटबॉल खिलाडिय़ों के फंसने की खबर की सबसे ज्यादा चर्चा रही। पूरी दुनिया में इन बच्चों को बचाने के लिए छेड़े गए अभियान की कामयाबी की दुआ मांगी गयी। बचाव दल के सदस्यों ने जान पर खेलकर यह अभियान छेड़ा और आखिरकार यह अभियान सफल रहा। गुफा से निकलने के बाद बच्चों को सीधे अस्पताल पहुंचाया गया और अब ये बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं। घटना के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब बच्चों ने इसे चमत्कार बताया और कहा कि आगे की जिंदगी में वे इससे सीख लेंगे। गुफा में खाना न होने के कारण उन्होंने सिर्फ पानी के सहारे समय काटा।
खाने के बारे में न सोचने की कोशिश
गुफा के अंदर बिताए गए लम्हों को बताते हुए 14 साल के अदुल सैम-ऑन ने बताया कि हम सबका बचना किसी चमत्कार से कम नहीं। गुफा में गुम होने के बाद मैं सदमे में था। बचाव के बाद जब मुझसे पूछा कि कैसे हो तो मैंने सोचकर जवाब दिया कि ठीक हूं मगर सच्चाई यह है कि मैं सदमे में था। अदुल ने बताया कि जब ब्रितानी गोताखोर उन तक पहुंचे तो वो बस उन्हें हेलो ही कह पाए थे। गुफा में इन बच्चों ने सिर्फ पानी के सहारे समय काटा। जब एक बच्चे से पूछा गया कि वे सिर्फ पानी के सहारे कैसे जिंदा रहे तो बच्चे का जवाब था कि खाने के लिए कुछ नहीं था। गनीमत यह थी कि पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध था और हम लोगों ने इस पानी के सहारे ही समय काटा। 11 साल के चेनिन ने बताया कि मैं कोशिश करता था कि खाने के बारे में ना सोचूं। खाने के बारे में सोचने पर मुझे ज्यादा भूख महसूस होती थी।
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90 गोताखोरों ने बचाई जान
टैम लूंग गुफा में फंसने वाले इन 12 बच्चों की उम्र 11 से 17 साल के बीच है। मीडिया से बातचीत करने के लिए ये बच्चे अपनी टीम की टीशर्ट पहनकर आए थे। जूनियर फुटबाल टीम वाइल्ड बोर्स के इन सदस्यों के लिए एक बैनर भी लगाया गया था जिस पर लिखा था वाइल्ड बोर्स की घर वापसी। बच्चों के स्वागत के लिए स्टेज को फुटबाल के मैदान की तरह डिजाइन किया गया था। बच्चों के साथ थाइलैंड नेवी के सदस्य भी थे जिन्होंने जान पर खेलकर इन बच्चों को बचाया। बच्चों ने अपने बचावकर्ताओं के साथ घुलमिल जाने की कहानी भी बताई। गुफा में समय बिताने के संबंध में उन्होंने कहा कि वे गुफा में चेकर्स खेला करते थे। कुछ बच्चों ने कहा कि वो इस घटना से सीख लेंगे और आगे की जिंदगी और सावधानी बरतेंगे क्योंकि जिंदगी में सावधानी बरतना काफी जरूरी है। बचाव अभियान प्रमुख के मुताबिक बच्चों को बाहर निकालने के अभियान में कुल 90 गोताखोर शामिल थे जिनमें 40 थाईलैंड से हैं और 50 अन्य देशों से हैं।
गुफा को देखना चाहते थे बच्चे
कोच एकापोल ने बकाया कि एक समय ऐसा आया जब उन्हें पानी के तेज बहाव की आवाज सुनाई दी और उन्होंने देखा कि पानी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। तब सभी घबरा गए थे। बच्चे गुफा में क्या करने गए थे, इस सवाल के कोच एकापोल ने बताया कि टीम के कुछ बच्चे कभी भी गुफा में नहीं गए थे और वे इसको अंदर से देखना चाहते थे। एकापोल ने बताया कि फुटबॉल प्रैक्टिस के बाद टीम का अलग-अलग तरह की गतिविधियों में शामिल होना हमेशा ही जारी रहता था। गुफा में एक घंटा बिताने के बाद बच्चे लौटना चाहते थे मगर तब तक पानी भर जाने से गुफा से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया था।
पानी बढऩे पर हुई घबराहट
गुफा में करीब दो सौ मीटर अंदर जाने पर थोड़ी सी ढलान दिखी जहां पानी आ रहा था। कोच के मुताबिक हमें पता था कि गुफा की छत से गिर रहा ये पानी गुफा के अंदर भरे बाढ़ के पानी से ज्यादा साफ होगा। बाद में पानी के तेज बहाव की आवाज आने पर हमने देखा कि पानी तेजी से बढ़ रहा है। इसके बाद हम ऊंचा स्थान खोजने और बाहर निकलने का रास्ता खोजने में जुट गए क्योंकि पानी बढऩे से घबराहट हो रही थी।