चीन के राष्ट्रपति को आखिर किस बात का सता रहा है डर, उड़ी हुई रातों की नींद
भारत और अमेरिका से दुश्मनी मोल लेने के बाद चीन की चिंता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। वह अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण दुनिया में धीरे –धीरे अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
नई दिल्ली: भारत और अमेरिका से दुश्मनी मोल लेने के बाद चीन की चिंता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। वह अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण दुनिया में धीरे –धीरे अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अब तिब्बत को लेकर चिताएं बढ़ गई है। उनकी सरकार की तरफ से लगातार तिब्बतियों को अपने पक्ष में लाने करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हो पाई है।
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बीते दिनों तिब्बत को लेकर पांच साल बाद एक बैठक का आयोजन किया गया था, लेकिन इसमें चीन के राष्ट्रपति का चेहरा और जुबान दोनों ही उनकी चिंता को जाहिर कर रहे थे।
इस बैठक में जिनपिंग ने भारत के साथ लगी सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि देश की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली सीमाओं की सुरक्षा होनी चाहिए।
यहां ये भी बता दें कि जिनपिंग ने तिब्बती बौद्ध धर्म का 'सिनीकरण' करने का आह्वान भी किया। जिसका मतलब होता गैर चीनी समुदायों को चीनी संस्कृति के अधीन लाना और इसके बाद समाजवाद की अवधारणा के साथ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीतिक व्यवस्था उस पर लागू करना।
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चीन को आखिर भारत से है किस बात का डर
गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच सीमा का अधिकांश हिस्सा तिब्बत से कनेक्टेड है। 1950 में चीन ने इस पर साजिश के तहत इस पर कब्जा कर लिया था।
जिसके बाद काफी संख्या में तिब्बत के रहने वाले लोगों ने भारत में पनाह ली। ज्यादातर तिब्बतियों ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला को अपना घर बनाया हुआ है।
दूसरी तरफ, जून में लद्दाख में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, लेकिन चीन की तरफ से अपने हताहत सैनिकों की जानकारी साझा नहीं की गई।
लेकिन इसके बाद संबंधों को सुधारने के लिए दोनों ही देशों के बीच कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकला।
जिसके बाद शी ने पार्टी, सरकार और सैन्य नेतृत्व को सीमा सुरक्षा को मजबूत करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि भारत से लगती सीमाओं पर सुरक्षा, शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जाए।
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