दोस्ती की आड़ में चीन ने नेपाल की पीठ में घोंपा छूरा, दिया ऐसा दर्द, नहीं भूलेगा देश

भारत के साथ कालापानी और लिपुलेख का सीमा विवाद मुद्दा उठाने वाले नेपाल के पीठ में चीन ने छूरा घोंपा है। इस घाव का दर्द शायद नेपाल कभी नहीं भूल पाएगा। चीन ने नेपाल के रुई गांव पर बीते तीन साल से कब्‍जा कर लिया है।

Update:2020-06-23 01:55 IST

नई दिल्ली: भारत के साथ कालापानी और लिपुलेख का सीमा विवाद मुद्दा उठाने वाले नेपाल के पीठ में चीन ने छूरा घोंपा है। इस घाव का दर्द शायद नेपाल कभी नहीं भूल पाएगा। चीन ने नेपाल के रुई गांव पर बीते तीन साल से कब्‍जा कर लिया है।

बीते कुछ समय से भारत के खिलाफ एक के बाद एक कदम उठाने वाली नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने चीन की इस नापाक हरकत पर अपनी जुबान बंद कर ली है। भारत के खिलाफ अक्‍सर बयानबाजी करने वाली नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने भी इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। मानों जैसे कम्‍युनिस्‍ट पार्टी को सांप सूंघ गया हो।

लगभग 60 साल तक रुई गांव नेपाल के अधीन रहा है। अब इस गांव में रहने वाले गोरखा चीन के दमनकारी शासन के अधीन आ गए हैं। नेपाली अखबार के अनुसार रुई गांव वर्ष 2017 से तिब्‍बत के स्‍वायत्‍त क्षेत्र का हिस्‍सा बन गया है। इस गांव में अभी 72 घर हैं।

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अभी भी नेपाल के मानचित्र में रुई गांव

बताया गया है कि रुई गांव अभी भी नेपाल के मानचित्र में शामिल है, लेकिन वहां पर पूरी तरह से चीन का नियंत्रण है। चीन ने रुई गांव के सीमा स्तंभों को अतिक्रमण को वैध बनाने के लिए हटा दिया है। लेकिन नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी और केपी शर्मा ओली सरकार ने मौन धारण किया हुआ है।

कहा तो यहां तक जा रहा है चीन की इस नापाक हरकत को छिपाने के लिए नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार भारत के खिलाफ कदम उठा रही है, ताकि देश की जनता के ध्यान को उधर से भटकाया जा सके। क्योंकि नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का झुकाव चीन की तरफ माना जाता है।

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नेपाल के पास लोगों के राजस्व का रिकॉर्ड मौजूद

नेपाल के भू-राजस्व कार्यालय गोरखा ने बताया कि उनके पास अभी भी रुई गांव के निवासियों से एकत्र राजस्व का रिकॉर्ड है। रुई गांव के निवासियों के दिए गए राजस्‍व का विवरण भूमि राजस्व कार्यालय में सुरक्षित है। कार्यालय के एक सहायक कर्मचारी ने बताया कि कार्यालय के रिकॉर्ड अनुभाग में अथारा साया खोले से रुई तक के लोगों के राजस्व का रिकॉर्ड मौजूद हैं।'

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नेपाली इतिहासकार रमेश धुंगल का कहना है कि वर्ष 2017 तक रुई और तेइगा गांव देश के गोरखा जिले के उत्तरी भाग में थे। उन्‍होंने कहा कि रुई गांव नेपाल का हिस्सा है। न तो हमने इसे युद्ध में खोया और न ही यह तिब्बत से संबंधित किसी विशेष समझौते या अनुबंध के अधीन था। नेपाल ने सीमा के पिलर को लगाते समय लापरवाही बरती जिसकी वजह से हमने रुई और तेघा दोनों गांव खो दिए।

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