चीन ने बढ़ाई चिंता: सावधान हुए कई देश, सबसे ऊंची चोटी पर बिछाया जाल

माउंट एवरेस्ट पर चीन ने 5300 मीटर और 5800 मीटर की ऊंचाई पर 5G इंटरनेट नेटवर्क स्थापित किया है। माउंट एवरेस्ट पर तीन 5G नेटवर्क वाले स्टेशन बनाए गए हैं। तीसरा स्टेशन 6500 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।

Update: 2020-05-11 09:01 GMT

नई दिल्ली: दुनियाभर को महामारी कोरोना की चपेट में लाने के बाद भी चीन अपनी हैवानियत से बाज नहीं आ रहा है। अब चीन ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर 5G नेटवर्क स्थापित किया है। जिसे लेकर विशेषज्ञ बेहद चिंता में हैं। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि 5G नेटवर्क के जरिए चीन भारत सहित कई पड़ोसी देशों की निगरानी कर सकता है। इस हिसाब से ये कई अन्य ऐसे कार्यों को अंजाम दे सकता है जो सभी देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता हैं।

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5G इंटरनेट नेटवर्क स्थापित

माउंट एवरेस्ट पर चीन ने 5300 मीटर और 5800 मीटर की ऊंचाई पर 5G इंटरनेट नेटवर्क स्थापित किया है। माउंट एवरेस्ट पर तीन 5G नेटवर्क वाले स्टेशन बनाए गए हैं। तीसरा स्टेशन 6500 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है। दुनिया के लिए नया जाल बिछाने के इस काम में चाइना मोबाइल और हुवेई कंपनी ने मिलकर किया है।

ऐसे में चीन का दावा है कि अब एवरेस्ट पर प्रति सेकंड 1 जीबी का इंटरनेट स्पीड मिलेगी। ऐसा माना जा रहा है कि एवरेस्ट पर तीन 5G नेटवर्क स्टेशन बनाने में चीन ने लगभग 4.20 लाख डॉलर यानी 3.17 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।



इसी सिलसिले में बीजिंग में टेलीकॉम के एक्सपर्ट जियांग लीगैंग ने कहा कि माइनस तापमान में नेटवर्क कैसे काम करेगा यह कह पाना मुश्किल है। क्योंकि इतने तापमान में फाइबर केबल फट जाएंगे। लेकिन, चाइना मोबाइल के प्रवक्त जियांग ने कहा कि हमने इस समस्या का इलाज खोजकर स्टेशन बना दिया है।

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तिब्बत और एवरेस्ट पर स्थिति मजबूत करने की कोशिश

साथ ही जेएनयू में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने बताया कि चीन हमेशा से ही तिब्बत और एवरेस्ट पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करता रहा है। एवरेस्ट बेहद दुर्गम है और चीन की तरफ से इसका बहुत कम इस्तेमाल होता है। वहां से पर्वतारोही चढ़ाई नहीं करते हैं।

प्रोफेसर कोंडापल्ली ने यह भी बताया कि चीन ने एवरेस्ट पर अपनी तरफ 5जी नेटवर्क लगाया है। इसे समुद्र की सतह से हजारों मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। यह एक विवादास्पद कदम है क्योंकि इससे पूरा हिमालय उसकी जद में आ सकता है। चीन इसके जरिए भारत, बांग्लादेश और म्यांमार पर नजर रख सकता है।

वहीं चीन का दावा है कि वह माउंट एवरेस्ट पर 5G नेटवर्क इसलिए लगा रहा है ताकि वैज्ञानिक रिसर्च हो सके, मौसम की निगरानी और पहाड़ पर संचार स्थापित हो सके।

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एवरेस्ट के मामले में अपने साथ मिला ले

बता दें कि माउंट एवरेस्ट पर ज्यादातर पर्यटन और पर्वतारोही नेपाल की तरफ से जाते हैं। अब तकनीकी की मदद से चीन तिब्बत में मौजूद एवरेस्ट के हिस्से को विकसित करने की कोशिश कर रहा है। ये भी हो सकता है कि भविष्य में यह चीन अपनी तरफ से प्रयास करे और नेपाल को एवरेस्ट के मामले में अपने साथ मिला ले।

ऐसे में प्रोफेसर श्रीकांत कोंडोपल्ली ने कहा कि चीन के 5G नेटवर्क स्टेशन पर मिलिट्री कंपोनेंट है। यह भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि मिलिट्री कंपोनेंट का उपयोग चीन किस तरह करेगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

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