चीन खून का प्यासा: सबसे खतरनाक हमले को तैयार, अमेरिका ने जारी की रिपोर्ट
अमेरिका के शीर्ष कमांडर द्वारा दी गई चेतावनी के अनुसार, चीन अगले छह सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है। ऐसे में सीनेट में पेश हुए अमेरिकी कमांडर एडमिरल फिलिप डेविडसन ने कहा कि एशिया में अमेरिका की सैन्य ताकत को रोकने के लिए चीन लगातार कोशिशें कर रहा है।
नई दिल्ली। अमेरिका ने ताइवान पर हमले को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। अमेरिका के शीर्ष कमांडर द्वारा दी गई चेतावनी के अनुसार, चीन अगले छह सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है। ऐसे में सीनेट में पेश हुए अमेरिकी कमांडर एडमिरल फिलिप डेविडसन ने कहा कि एशिया में अमेरिका की सैन्य ताकत को रोकने के लिए चीन लगातार कोशिशें कर रहा है और वो सबसे पहले ताइवान पर हमले को ही अंजाम देगा। इस बारे में रिपोर्ट भी सामने आई है।
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चीन ताइवान पर हमला
दरअसल चीन स्वशासित ताइवान को जबरन अपने में मिलाने की धमकी अक्सर देता रहता है। ऐसे में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अधिकारी एडमिरल फिलिप डेविडसन ने मंगलवार को कहा, मुझे चिंता है कि चीन अमेरिकी और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अमेरिकी की जगह लेने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए कोशिशें तेज कर रहे हैं। वो साल 2050 तक ऐसा कर सकता है।
ऐसे में अमेरिकी सीनेट की सैन्य सेवा समिति के सामने अमेरिकी कमांडर ने कहा, जाहिर है कि इससे पहले उनकी (चीन) महत्वाकांक्षा ताइवान है। और मुझे लगता है कि ये खतरा इसी दशक में पैदा होने वाला है, वास्तव में अगले छह साल में ही चीन ताइवान पर हमला कर सकता है।
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खतरे को लगातार बढ़ा रहे
आगे डेविडसन ने कहा कि चीन क्षेत्र में अपनी सैन्य पूंजियों का लगातार विस्तार कर रहा है जिससे अमेरिका के लिए प्रतिकूल हालात बन रहे हैं और हमारा प्रतिरोध का स्तर भी कमजोर पड़ रहा है। हम इस खतरे को लगातार बढ़ने दे रहे हैं जिसकी वजह से चीन यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकता है।
इसके साथ ही चीन हमारी सेना की तरफ से मजबूत जवाब दिए जाने से पहले ही इस काम को अंजाम दे सकता है। जानकारी देते हुए अमेरिकी कमांडर ने कहा, चीन हमले के इरादे से ही क्षेत्र में साजो-सामान इकठ्ठा कर रहा है वरना इसका कोई और मतलब नहीं हो सकता है।
बता दें, ताइवान का आधिकारिक नाम 'द रिपब्लिक ऑफ चाइना' है। साल 1949 में गृहयुद्ध के अंत में राष्ट्रवादी नेता कोमिंगतांग मुख्यभूमि (चीन) भाग गए जिसके बाद ताइवान की स्थापना हुई। बीजिंग की चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी का ताइवान पर कभी शासन नहीं रहा है लेकिन वो इसे अपना ही हिस्सा मानता है।
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