चीन में इंसानों पर कोरोना वैक्सीन का पहला ट्रायल, जानिए क्या रहा परीक्षण का नतीजा

चीनी विज्ञान अकादमी के सदस्य रोत्सी ने बताया कि चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस मुकाबले के लिए अहम वैज्ञानिक प्रमाण दिए हैं।

Update: 2020-05-26 05:15 GMT

अंशुमान तिवारी

बीजिंग। पूरी दुनिया में छाए कोरोना संकट से निजात पाने के लिए विभिन्न देशों के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। इस बीच एक बड़ी खबर आई है कि चीनी अनुसंधान केंद्र ने कोरोना की वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण किया है। दावा किया गया है कि क्लीनिकल परीक्षण में यह टीका पूरी तरह सुरक्षित मिला है।

कोरोना वैक्सीन बनाने की कोशिश में जुटी चीनी अनुसंधान टीम ने इंसानों पर किए गए परीक्षण के संबंध में ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लासेंट को जानकारी दी है। चीनी विज्ञान अकादमी के सदस्य रोत्सी ने बताया कि चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस मुकाबले के लिए अहम वैज्ञानिक प्रमाण दिए हैं।

परीक्षण में टीका पूरी तरह सुरक्षित मिला

उन्होंने लोसैंट को जानकारी दी है कि कोरोना के इस टीके का परीक्षण 108 वयस्कों पर किया गया है। उन्होंने दावा किया कि पहले परीक्षा में यह टीका पूरी तरह सुरक्षित मिला है और इसमें अच्छी सहनशीलता पाई गई है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी इस बाबत और अध्ययन करने की जरूरत है कि यह टीका कोरोना वायरस के संक्रमण की प्रभावी रोकथाम करने में कामयाब होगा या नहीं।

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परीक्षण को मील का पत्थर बताया

द लासेंट के मुख्य संपादक रिचोर्ड होर्टन ने चीन के इस महत्वपूर्ण परीक्षण के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी दी। उन्होंने चीनी अनुसंधानकर्ताओं के परीक्षण के परिणाम को मील का पत्थर बताया। विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए इस समय दुनिया के 120 से अधिक देशों में वैक्सीन पर अनुसंधान का काम चल रहा है। इनमें से कुछ वैक्सीन का क्लीनिकल आकलन किया जा रहा है।

इस दवा के ट्रायल पर लगाई रोक

विश्व स्वास्थ संगठन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कोरोना के इलाज में अभी तक कारगर मानी जा रही हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा के ट्रायल पर रोक लगा दी है। डब्लूएचओ का कहना है कि सुरक्षा कारणों के मद्देनजर यह रोक लगाई गई है। मालूम हो कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया के रोगियों को दी जाती है। अमेरिका में कोरोना के मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।

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इस अध्ययन के बाद उठाया कदम

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनोम का कहना है कि लैंसेट में एक अध्ययन के प्रकाशित होने के बाद हाइड्रोक्लोरोक्वीन पर रोक लगाने का फैसला किया गया। अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना के मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल करने से उनके मरने की संभावना बढ़ सकती है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस अध्ययन में दी गई चेतावनी के कारण ही यह कदम उठाया गया है। संगठन का यह भी कहना है कि सुरक्षा को लेकर इस दवा की समीक्षा भी की जा रही है।

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