कोरोना वायरस का कहर: शहर छोड़ कर गांव भाग रहे अमेरिकी
कोरोना वायरस के कारण अमेरिका में रियल एस्टेट का बिजनेस फायदे में दिख रहा है। फॉर्टीट्यूड रैंच जैसी कुछ कंपनियां लोगों को यह कह कर लुभा रही हैं कि वे उन्हें ऐसे दूर दराज के इलाकों में घर दिलाएंगी जहां उन्हें कोरोना से डरने की कोई जरूरत नहीं होगी। इसे "सर्वाइवल कम्यूनिटी" का नाम भी दिया गया है।
न्यूयार्क: कोरोना वायरस के कारण अमेरिका में रियल एस्टेट का बिजनेस फायदे में दिख रहा है। फॉर्टीट्यूड रैंच जैसी कुछ कंपनियां लोगों को यह कह कर लुभा रही हैं कि वे उन्हें ऐसे दूर दराज के इलाकों में घर दिलाएंगी जहां उन्हें कोरोना से डरने की कोई जरूरत नहीं होगी। इसे "सर्वाइवल कम्यूनिटी" का नाम भी दिया गया है।
कंपनी के सीईओ ड्र्यू मिलर का कहना है कि कोरोना संकट के बीच उनकी प्रॉपर्टी में रुचि दिखाने वालों की संख्या दस गुना बढ़ गई है। कंपनी इन घरों में अंडरग्राउंड बंकर देने का भी वादा करती है जो कथित रूप से न्यूक्लियर हमले से भी बचा सकेंगे। साथ ही इन घरों में पहले से खाने पीने का खूब सामान भरा गया होगा। इन घरों को यह सोच कर बनाया गया है कि "जब सामाजिक व्यवस्था ठीक से काम करना बंद कर देगी, चारों तरफ लूट मची होगी, कानून व्यवस्था का कोई अता पता नहीं होगा और शहर सुरक्षित नहीं रह जाएंगे" तब लोगों को एक सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया जा सकेगा।
यह पढ़ें...ऐतिहासिक नौचंदी मेले पर लगा कोरोना का ग्रहण, सालों पुरानी परंपरा टूटी
अमेरिका में इस बीच कोरोना संक्रमण के दो लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। दुनिया में और किसी भी देश में इतने मामले नहीं देखे गए हैं। भीड़भाड़ वाले शहरों जैसे कि न्यूयॉर्क पर सबसे बुरा असर पड़ा है। ऐसे में कुछ लोग सुरक्षित रहने के लिए शहरों से भागने की सोच रहे हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि भीड़ से दूर गांव देहात में रहना और भी जानलेवा साबित हो सकता है क्योंकि जरूरत पड़ने पर वहां चिकित्सीय सुविधाएं आसानी से नहीं पहुंचाई जा सकेंगी।
अमेरिका के लोग कितने चिंतित हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 7 मार्च को इंटरनेट में "रूरल प्रॉपर्टी" की सर्च पिछले साल की तुलना में 364 फीसदी ज्यादा बढ़ गई। नॉर्थ कैरोलाइना में ऐसी ही एक कंपनी चलाने वाले जॉन हेनेस कहते हैं कि कोरोना संकट ने लोगों को यह अहसास कराया कि उन्हें बहुत पहले ही इस तरह की प्रॉपर्टी में निवेश कर लेना चाहिए था। वे बताते हैं कि मार्च के मध्य तक वे इतनी प्रॉपर्टी बेच चुके हैं जितनी 2019 में पूरे साल में बेची थीं। "बहुत से लोग महीनों या शायद सालों से सोच रहे थे कि खरीदें या नहीं लेकिन इस वायरस ने उन्हें फैसला लेने पर मजबूर कर दिया।"
यह पढ़ें...बहुत खतरनाक ये हथियार: शक्तिशाली देशों की भी कर सकता है खटिया खड़ी
गांव में भी डरे हुए लोग
वहीं जिन गांवों में घर खरीदे जा रहे हैं, वहां लोगों को अब डर सता रहा है कि उन्हें नए लोगों के साथ अपने संसाधन बांटने पड़ेंगे। अकसर ऐसी दूर दराज जगहों पर लोग निवेश के मकसद से घर खरीद कर रख लेते हैं और फिर साल में एक या दो बार वहां छुट्टी बिताने के लिए चले जाते हैं। लेकिन कोरोना संकट के बीच हालात अलग होंगे। वैसे, इस अजीब ट्रेंड में अमेरिका अकेला नहीं है। कनाडा, यूरोप और न्यूजीलैंड में भी कई लोग इस तरह की "सर्वाइवल प्रॉपर्टी" में निवेश कर रहे हैं।