तीन कंपनियों ने शुरू किया कोरोना की दवाई का ह्यूमन ट्रायल, जगी बड़ी उम्मीद

Coronavirus Medicine : कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए इसकी सटीक दवाई की खोज का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update:2021-07-26 14:39 IST

Medicine 

Coronavirus Medicine Human Trial: बहुत मुमकिन है कि कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) खत्म करने की गोलियां आपके पास के मेडिकल स्टोर (Medical Store) में मिलने लगेंगी। आप घर पर ही अपनी जांच कर लें और पॉजिटिव रिपोर्ट (Covid-19 Positive Report) आने पर दवा खरीद कर ले लें। अब ऐसा होने की स्थिति बन रही है क्योंकि दुनिया की टॉप दवा कंपनियों ने कोरोना की दवा का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है।

कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए इसकी सटीक दवाई की खोज का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस पर काबू, वैक्सीनों की बजाए निश्चित दवा के जरिये ही किया जा सकता है। इसीलिए कोरोना की दवाई की खोज में दुनिया भर की कंपनियां लगी हैं।

अब जापान की एक फार्मा कंपनी शियोनोगी ने ऐलान किया है कि उसने कोरोना वायरस को मारने वाली दवाई का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। ये गोली के रूप में होगी जिसे मरीजों को दिन में सिर्फ एक बार लेना होगा। कोरोना का ऐसा इलाज ढूंढने में फाइजर और मर्क कंपनियां भी लगी हुई हैं। इन दोनों कंपनियों ने भी ऐसी दवा के ह्यूमन ट्रायल शुरू किए हैं। फाइजर को उम्मीद है कि उसकी दवाई इस साल के अंत तक बाजार में आ जायेगी। फाइजर की दवा मरीज को दिन में दो बार लेनी होगी। मर्क कंपनी भी 2 हजार लोगों पर ट्रायल कर रही है और उसका भी कहना है कि उसकी दवाई इसी साल लांच हो जाएगी।


जापान में ओसाका स्थित शियोनोगी इसके पहले कोलेस्ट्रॉल की अत्यंत सफल दवा 'क्रेस्टर' डेवलप कर चुकी है। कंपनी का कहना है कि कोरोना की दवाई के साइडइफेक्ट्स जानने का परीक्षण चल रहा है। ये काम अगले साल तक जारी रहेगा। शियोनोगी का दावा है कि उसकी कोरोना गोली पांच दिन में वायरस को खत्म कर देगी।

फाइजर, मर्क और शियोनोगी, ये तीनों कंपनियां

कोरोना से जंग की सबसे बड़ी कमजोरी को दूर करने का लक्ष्य रखे हुए हैं। दरअसल, वैक्सीनें कोरोना के ज्ञात वेरियंट से हुई बीमारी की गंभीर अवस्था से बचाती हैं। बीमारी नहीं होगी, ये कोई वैक्सीन गारंटी नहीं देती, इसके अलावा बहुत से लोगों में वैक्सीनों के प्रति अविश्वास है। एक बात ये भी है कि वैक्सीनेशन के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं।

कोरोना के जो ट्रीटमेंट मौजूद हैं उनमें गिलीड साइंसेज की एन्टीवायरल ड्रग रेमदेसिविर प्रमुख है लेकिन ये भी अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीजों को दी जाती है और कुछ ही मामलों में ये प्रभावी पाई जाती है। अन्य दवाओं में मोनोक्लोनल एन्टीबॉडी ड्रग्स और स्टेरॉयड डेक्सामिथासोन शामिल हैं लेकिन ये कुछ वेरियंट पर असरदार नहीं हैं। स्टेरॉयड के साइडइफ़ेक्ट काफी खतरनाक पाए गए हैं। आइवेरमेकटिन को सेहत के लिए हानिकारक बताया गया तो हाइड्रोक्सिक्लोरोक्विन भी खरी नहीं उतर पाई। और भी कई दवाओं को मरीजों पर आजमाया जा चुका है लेकिन कुछ न कुछ मसला सभी के साथ निकल आता है।


सच्चाई यही है कि महामारी से जंग में एक निश्चित और सटीक दवा अब भी नदारद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक निश्चित और प्रभावी दवा से ही कोरोना को हराया जा सकता है।

एक बार कोरोना वायरस को खत्म करने की दवा आ जायेगी तो फिर ये बीमारी एक सामान्य मौसमी बीमारी की तरह हो जाएगी। कोई भी व्यक्ति संक्रमण की पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर दुकान से गोली खरीद कर इलाज कर सकेगा। आज बाजार में इन्फ्लूएंजा की ऐसी दवाई उपलब्ध हैं जिनमें रॉश की टेमीफ्लू और शियोनोगी की शॉफ्लूज़ा शामिल हैं। हालांकि ये दवाएं भी हर मरीज पर कारगर साबित नहीं होतीं।

बहरहाल, फाइजर और शियोनोगी की गोलियां कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए प्रोटीज नामक एंजाइम को रोकेंगी। कोरोना वायरस को मानव सेल्स के भीतर अपने को कॉपी करने के लिए प्रोटीज की जरूरत पड़ती है। एचआईवी समेत अन्य वायरस के खिलाफ प्रोटीज इन्हीबिटर का व्यापक इस्तेमाल किया जाता है। सिर्फ एक समस्या वायरस के दवाई के प्रति कवच बना लेने की होती है।

शियोनोगी के अनुसार शुरुआती रिसर्च में पता चला है कि उनकी दवा के असर से बचने के लिए वायरस आसानी से म्यूटेट नहीं कर पाता है।

दूसरी ओर मर्क कंपनी का कहना है कि उसकी दवा ऐसा प्रभाव डालती है कि वायरस रिप्लीकेट नहीं कर पाता है। मर्क ने इस साल अप्रैल में कहा था कि वर्षों पूर्व उसकी दवा का अध्ययन इबोला वायरस के खिलाफ किया गया था। अब जो स्टडी की गई है उससे पता चला है कि ये दवा मरीजों में कोरोना का वायरल लोड घटाने में कामयाब है। अभी कम्पनी और रिसर्च कर रही है ताकि किसी व्यक्ति में शुरुआती संक्रमण पर दवा का असर पता लग सके।

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