कोरोना वैक्सीन का सफल परीक्षण! जानिए कहां लगेगा इंजेक्शन, दुनिया में खुशी की लहर

कोरोना वायरस तेजी से पूरी दुनिया फैलता जा रहा है। अभी तक इसकी कोई दवा नहीं बन पाई है। कई देश कोरोना महामारी की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। भारत में भी दो वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है।

Update: 2020-07-16 15:52 GMT

नई दिल्ली: कोरोना वायरस तेजी से पूरी दुनिया फैलता जा रहा है। अभी तक इसकी कोई दवा नहीं बन पाई है। कई देश कोरोना महामारी की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। भारत में भी दो वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। ये ट्रायल बंदर और खरगोशों पर सफल रहा है और अब इसका ट्रायल इंसानों पर किया जा रहा है। अगर सब कुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक या फिर 2021 के शुरूआत में ही कोरोना वैक्सीन आ जाएगी। लेकिन इससे पहले विश्व की दो अग्रिणी कंपनियां बिल्कुल फाइनल स्टेज में पहुंच गई हैं।

ब्रिटेन की ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वायरस वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल सफल हो गया है। ब्राजील में किए गए ह्यूमन ट्रायल के नतीजे बहुत अच्छे आए हैं। ट्रायल में शामिल वॉलंटियर्स में वैक्‍सीन से वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 (AZD1222) के पूरी तरह सफल होने को लेकर आश्वस्त हैं।

इसके साथ ही वैज्ञानिकों को भरोसा है कि सितंबर 2020 तक ये वैक्सीन लोगों को उपलब्ध करा दी जाएगी। इस वैक्सीन को AstraZeneca कंपनी बनाएगी। इस परियोजना में भारतीय कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भी शामिल है।

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इस जानलेवा महामारी से लोगों को बचाने के लिए दुनिया भर में 100 से अधिक संभावित टीकों का विकास और परीक्षण हो रहा है। मानव परीक्षणों में 19 में से, केवल दो अंतिम चरण III में हैं। इनमें से एक चीन के सिनोफार्मा और दूसरा एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा मिलकर तैयार की जा रही वैक्सीन है।

मिली जानकारी के मुताबिक ये दोनों कंपनियां बिल्कुल अहम पड़ाव तक पहुंच चुकी हैं। सेचेनोव विश्वविद्यालय में एक विभाग के निदेशक और परीक्षण के समन्वयक एलेना स्मोलिआर्चुक ने बताया कि हम लोग मुख्य रूप से सुरक्षा के स्तर पर परीक्षण कर रहे हैं ताकि ये बीमारी इंसान को अपना शिकार न बना पाए।

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कोरोना वायरस से पी‍ड़‍ित लोगों के लिए भारत बायोटेक कंपनी नाक के जरिये ली जाने वाली एक विशेष वैक्सीन बना रही है। यूनिवर्सिटी आफ विस्कांसिन मैडीसन और वैक्सीन निर्माता कंपनी फ्लूजेन (FluGen)के वायरोलाजिस्ट ने भारत बायोटेक के साथ मिलकर कोविड-19 के खिलाफ कोरोफ्लू (CoroFlu) नामक इस वैक्सीन को बनाने के लिए परीक्षण शुरू कर दिये हैं।

कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस से बचाव का टीका नाक में लगाया जा सकता है। इसके पीछे विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोनोवायरस समेत कई रोगाणु, म्यूकोसा के माध्यम से शरीर में जाते हैं, गीले, स्क्विशी ऊतक जो नाक, मुंह, फेफड़े और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। आम तौर पर टीके शरीर के ऊपरी हिस्सों में लगाए जाते हैं।

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उन्होंने बताया कि जैसे हाथ के ऊपरी हिस्सों में। मगर हर वायरस की अपनी अलग प्रवृत्ति का होता है। कोरोना वायरस उन सभी से बिल्कुल अलग है। इसके बचाव और तुरंत लाभ के लिए नाक के जरिए अगर वैक्सीन अंदर जाएगी तो सीधे इस वायरस पर अटैक करेगी और उसको खत्म कर देगी।

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