Covid-19: नार्थ कोरिया में बन रही सबसे बड़ी मानवीय आपदा, टीका न इलाज की सुविधा

Covid Outbreak in North Korea: प्योंगयांग में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार इसे ‘अस्पष्ट बुखार’ कह रही है। हालाँकि विशेषज्ञों की मानें तो ये कोरोना का प्रकोप है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2022-05-17 17:31 IST

नार्थ कोरिया में फैला कोरोना! (फोटो साभार- ट्विटर)

North Korea News: कोरोना वायरस (Corona Virus) को चीनी शहर वुहान (Wuhan) से उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग (Pyongyang) तक जाने में लगभग ढाई साल लग गए। लेकिन जब ये वायरस वहां पहुंचा तो तबाही मचा दी है। मात्र 72 घंटों के अंतराल में उत्तर कोरिया में कोरोना महामारी की स्थिति बदल गयी है। जहाँ चंद दिन पहले नार्थ कोरिया महामारी को पास न फटकने देने में अपनी सफलता की कहानी गढ़ राहा था वहीं अब ये एक तबाही में तब्दील हो गयी है।

दिक्कत ये है कि नार्थ कोरिया की कुख्यात गोपनीयता के चलते अब भी असली स्थिति किसी को नहीं पता है। देश में सटीक केस संख्या को मापना असंभव है, और जो भी आधिकारिक आंकड़े दिए जा रहे हैं वह निश्चित रूप से बेहद कम हैं। हैरानी की बात है कि अब भी नार्थ कोरिया सरकार कोरोना वायरस का नाम नहीं ले रही है बल्कि देश में फ़ैली बीमारी को 'अस्पष्ट बुखार' कह रही है। हालाँकि विशेषज्ञों का मानना है कि ये बुखार निश्चित रूप से कोरोना का प्रकोप है।

लाखों लोग आए चपेट में

पहले नार्थ कोरियाई सरकार के मीडिया ने पुष्टि की है कि एक "अस्पष्ट बुखार रोग" ने देश भर में 350,000 लोगों को संक्रमित किया था, फिर, तीन दिन बाद, राज्य मीडिया ने देश भर में कुल 12 लाख से अधिक लोगों को "बुखार" के लक्षणों की रिपोर्ट करने की पुष्टि की। ताजा स्थिति ये है कि इस "बुखार" के लिए 5,64,860 लोगों का इलाज किया जा रहा है। कम से कम 50 लोगों के मरने की पुष्टि की गई है। एक विशेषज्ञ ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें आशंका है कि मौतों की संख्या बहुत बड़ी होगी। एक्सपर्ट्स को चिंता है कि आने वाले हफ्तों और महीनों में स्थिति पूरी तरह से बड़ी मानवीय आपदा में बदल सकती है।

वैक्सीनेशन ही नहीं हुआ

नार्थ कोरिया, इरिट्रिया के साथ दुनिया के केवल दो देशों में से एक है, जिसने कोरोना के टीके (Corona Vaccine) नहीं लगाए हैं। देश का सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा दुनिया के सबसे खराब ढांचों में से एक है। ऐसे में नार्थ कोरिया बहुत से कमजोर स्थिति में है। वास्तविकता यह है कि देश के लोगों के बीच पहले से मौजूद कोई भी कोरोना प्रतिरक्षा (Corona Immunity) नहीं है, जबकि पिछले सप्ताह प्योंगयांग में पाया गया कोरोना वेरियंट वुहान में पाए जाने वाले मूल स्ट्रेन की तुलना में पांच से छह गुना अधिक संक्रामक है।

किम जोंग उन (फोटो साभार- ट्विटर)

कैसे हुई ये स्थिति

नार्थ कोरिया जनवरी 2020 में अपनी विदेशी सीमाओं को सील करने वाले पहले देशों में से एक था। महामारी से पहले भी इस देश के नागरिक गंभीर प्रतिबंधों के अधीन थे। ऐसे में एक आम धारणा है कि कोरोना वायरस वास्तव में पूर्वोत्तर चीन से सीमा पार कर नार्थ कोरिया गया था। हाल के महीनों में पूर्वोत्तर चीन अपने अब तक के सबसे बड़े प्रकोपों से तबाह हो गया है। हालाँकि, दोनों देशों के बीच व्यापार को 2020 की शुरुआत में अचानक रोक दिया गया था, लेकिन करीब डेढ़ हजार किलोमीटर की सीमा के कुछ हिस्सों में अवैध रूप से लोगों के आने जाने की कई खबरें आई हैं। आमतौर पर एक पतली सी नदी के जरिये आवाजाही और आवश्यक सामानों की तस्करी होती है।

कई विशेषज्ञों ने कहा है कि इन तस्करी नेटवर्कों ने सीमा पर आसान आवाजाही और अंतरराष्ट्रीय संपर्क को सुविधाजनक बनाकर नार्थ कोरिया में वायरस को फैला दिया होगा। कुछ एक्सपर्ट्स ने हाल ही में संभावित सुपरस्प्रेडर कार्यक्रम की ओर भी इशारा किया है। ये इवेंट था 25 अप्रैल को प्योंगयांग में सेना की स्थापना की 90वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित एक सैन्य परेड का। इसमें कई हजार लोगों ने भाग लिया, जिनमें कई सैनिक भी शामिल थे। इनमें किसी ने भी मास्क नहीं पहना हुआ था न कोई सामाजिक दूरी का पालन किया गया। इस परेड में शामिल सैनिक अब बीमार हैं। बहुत संभव है कि उत्तरी सीमा क्षेत्रों की सैन्य इकाइयाँ किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आईं, जो तस्करों के संपर्क में आया था, और फिर वे प्योंगयांग में चले गए और शहर के बीच में इस विशाल परेड में मार्च किया हो।

क्या है जमीनी स्थिति

संक्रमित लोगों की संख्या पिछले वीकेंड में तीन गुना हो गई है और देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से बढ़ते प्रकोप के तहत चरमरा रही हैं। आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया है कि किम जोंग उन ने रिज़र्व स्टॉक की दवाओं को तुरंत जारी करने और समय पर आपूर्ति करने के लिए एक आपातकालीन आदेश दिया है। फार्मेसियों को 24 घंटे काम करने को कहा गया है। किम ने प्योंगयांग में दवा की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए पीपुल्स आर्मी से सैन्य कर्मियों को जुटाने का आह्वान किया है।

सच्चाई ये है कि कोरोना के बड़े पैमाने पर प्रकोप से निपटने के लिए नार्थ कोरिया का स्वास्थ्य ढांचा गंभीर रूप से अक्षम है। यूके के सेंट्रल लंकाशायर विश्वविद्यालय में नार्थ कोरिया अध्ययन के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ सोजिन लिम ने वाइस वर्ल्ड न्यूज़ को बताया कि नार्थ कोरिया में बिना एनेस्थीसिया के सर्जरी की जा रही है और दर्द से राहत के लिए भांग दी जा रही है। उन्होंने रोगियों के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि लोगों को काला बाजार में अपनी दवा खरीदनी पड़ती है और फिर खुद अपने आप को इंजेक्शन या ड्रिप लगानी पड़ती है। ग्रामीण इलाकों में समस्या बदतर है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, भूखी और कुपोषित आबादी और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप मृत्यु दर आसमान छूने लगेंगी। आबादी के कुछ हिस्सों के लिए अस्तित्व का संकट है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किम शासन ने बाहरी दुनिया से टीकों के कई प्रस्तावों को ठुकराते हुए अपनी शैली में महामारी से लड़ने का दंभ भरा था।

कोवैक्स कार्यक्रम के हिस्से के रूप में कोरोना टीकों की वैश्विक आपूर्ति का प्रबंधन करने वाले यूनीसेफ ने पिछले साल सितंबर में दावा किया था कि नार्थ कोरिया सरकार ने चीन के सिनोवैक वैक्सीन की लगभग तीस लाख खुराक को बिना किसी वजह के यह कहते हुए कि अस्वीकार कर दिया कि उन्हें गंभीर रूप से प्रभावित देशों में भेजा जाना चाहिए। यही नहीं नार्थ कोरिया ने एस्ट्राजेनेका की 20 लाख खुराक को भी अस्वीकार कर दिया। नार्थ कोरिया सरकार ने अपने लोगों को वैक्सीन लगाने की बजाय सीमा पर कीटाणुशोधन केंद्रों का निर्माण करने के लिए लाखों डॉलर खर्च किए ताकि देश में आने वाले माल को कीटाणुरहित कर सकें।

भुखमरी के हालात

बाहरी दुनिया के साथ सभी संपर्क तोड़ने के प्रयासों का नार्थ कोरिया की अर्थव्यवस्था और खाद्य भंडार (Food Stores) पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। चीन जैसे पड़ोसी देशों से आपूर्ति ठप हो गयी है। ईंधन की कमी ने किसानों को अपनी जमीन पर मैन्युअल रूप से खेती करने के लिए मजबूर किया है। अप्रैल में साउथ कोरिया के एक अखबार ने कई नार्थ उत्तर कोरियाई नागरिकों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए दावा किया कि लोग अपने घरों में भूख से मर रहे हैं या भोजन के लिए भीख मांग रहे हैं।

यह बताना मुश्किल है कि आने वाले समय में क्या स्थिति आने वाली है लेकिन ये मान लेना चाहिए कि गोपनीयता के लिए कुख्यात इस देश से सही तस्वीर सामने नहीं आ पायेगी। मामलों की असल संख्या निश्चित रूप से वर्तमान में बताई जा रही संख्या की तुलना में बहुत अधिक है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, वुहान में जब यह पहली बार फैला था, जब इससे पहले कोई भी संक्रमित नहीं हुआ था। लेकिन अब नार्थ कोरिया में जो फैल रहा है, वह वुहान की तुलना में पांच से छह गुना अधिक फैलने वाला है। संक्रमण दर तेजी से बढ़ रही होगी। इसका परिणाम सामूहिक मृत्यु हो सकता है।

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