भारत-चीन का नया अखाड़ा बनेगा ये मैदान, जानें इसके बारे में
1962 के युद्ध के दौरान चीनी सैनिकों ने डेपसांग मैदान पर कब्जा कर लिया था। 2013 में चीनी सैनिकों द्वारा इसके 19 किमी अंदर आकर भारत के टेंटों को उखाड़ दिया गया
नई दिल्ली: लद्दाख में सामरिक लिहाज से पैंगोंग से भी ज्यादा महत्वपूर्ण डेपसांग भारत के लिए करीब एक दशक से सिरदर्द बना हुआ है। चीन की पिपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 2002 और 2013 में समझौते और आपसी यकीन को धता बताते हुए कुल करीब 1000 वर्ग किलोमीटर जमीन को विवाद में फंसा रखा है। भारत एवं चीन के बीच सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण डेपसांग मैदान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये दोनों देशों के बीच फिर वार्ता हुई है। बताया जाता है कि डेपसांग मैदान में गश्त को रोकने पर बातचीत केंद्रित थी।
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क्या है डेपसांग मैदान
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे गतिरोध में पैंगोंग एवं डेपसांग मैदान प्रमुख क्षेत्र हैं।
1962 के युद्ध के दौरान चीनी सैनिकों ने डेपसांग मैदान पर कब्जा कर लिया था। 2013 में चीनी सैनिकों द्वारा इसके 19 किमी अंदर आकर भारत के टेंटों को उखाड़ दिया गया जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच 21 दिन तक गतिरोध बना रहा। डेपसांग मैदान के एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में काफी संख्या में चीनी सेना की उपस्थिति है, जिसे 'बल्ज' कहा जाता है। चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना की टुकड़ियों को विभिन्न गश्त बिंदुओं और क्षेत्रों तक पहुँचने से रोक दिया है। इस इलाके में चीन द्वारा निर्माण कार्य किये गए हैं और टैंक व बख्तरबंद वाहनों की मौज़ूदगी बढ़ाई गई है।
दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध को नौ महीने हो गए हैं
दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध को नौ महीने हो गए हैं। अब तक हुए समझौते के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है तथा अस्त्र-शस्त्रों, अन्य सैन्य उपकरणों, बंकरों एवं अन्य निर्माण को भी हटा लिया है। लेकिन डेपसांग और अन्य इलाकों में स्थिति ज्यों कि त्यों है।
भारतीय सेना पिछले 15 साल से डेपसांग में नहीं जा पाई है। चीन ने अपनी सेना की टुकड़ियों को भेज कर डेपसांग के हिस्से में भारतीय सेना की गश्त को रोक रखा है। डेपसांग इलाके में चीनियों ने अपनी दो ब्रिगेड तैनात कर रखीं हैं जिससे भारतीय सेना का पैट्रोलिंग पॉइंट पीपी 10 से लेकर 13 तक का संपर्क टूट गया है।
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भारत के लिए डेपसांग बेहद अहम है
भारत के लिए डेपसांग बेहद अहम है। डेपसांग जिस जगह है वहां पूर्व में काराकोरम पास के नजदीक स्थित दौलत बेग ओल्दी पोस्ट से महज 30 किलोमीटर दूर है। ये सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही ये लद्दाख में एकमात्र ऐसी जगह है जहां की पहाड़ी धरती की जमीन बिल्कुल समतल है। ये क्षेत्र 972 वर्ग किमी तक फैला हुआ है। हालांकि भारतीय सेना मार्च में गश्त की सीमा तक पहुंचे सकते हैं लेकिन इस बीच चीन ने अप्रैल से ही इस पहुंच को रोक दिया है। अब भारतीय सेना के लिए ये क्षेत्र मुश्किल हो गया है।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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