एससीओ में पाकिस्तान से तल्खी पर एस जयशंकर का दो टूक, बोले-‘अच्छे मेहमान के लिए मैं अच्छा मेजबान

SCO Meeting: बोले- पाकिस्तान की किसी भी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आतंक के पीड़ित और साजिशकर्ता एक साथ बैठकर बातचीत नहीं कर सकते।

Update:2023-05-08 01:17 IST
S Jaishankar and bilawal bhutto (Photo-Social Media)

SCO Meeting: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खरी-खरी सुनाई थी। बिलावल एससीओ समिट में शामिल होने गोवा आए थे। एस जयशंकर ने आतंकवाद के प्रोमोटर, प्रोटेक्टर और आतंकवाद उद्योग के प्रवक्ता के तौर पर पाकिस्तान की पोजीशन का जवाब दिया था। उन्होंने बिलावल से हैंडशेक करने की बजाय दूर से ही नमस्ते किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच की तल्खी साफ नजर आई। बिलावल के साथ तल्खी पर मीडिया में चल रही तमाम चर्चाओं पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि बिलावल भुट्टो एससीओ में बतौर विदेश मंत्री आए थे। अगर मेरे पास एक अच्छा अतिथि होगा, तो मैं एक अच्छा मेजबान हूं। बतादें कि एससीओ की बैठक के बाद जयशंकर ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पाकिस्तान और बिलावल को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा था कि एससीओ बैठक में बिलावल के साथ विदेश मंत्री के तौर पर बर्ताव किया गया। वह आतंकी इंडस्ट्री के प्रवक्ता हैं। उन्होंने कहा, पाकिस्तान की किसी भी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आतंक के पीड़ित और साजिशकर्ता एक साथ बैठकर बातचीत नहीं कर सकते।

राहुल पर भी साधा निशाना-

विदेश मंत्री जयशंकर ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी से चीन पर क्लास लेना चाहूंगा, लेकिन मुझे पता चला कि वह खुद चीनी राजदूत से क्लास ले रहे थे। माना जा रहा है कि विदेश मंत्री ने राहुल गांधी के पैंगोंग झील के किनारे चीन के पुल निर्माण को लेकर जनवरी में दिए गए बयान पर निशाना साधा है। उस समय राहुल ने तंज कसते हुए कहा था कि कहीं पीएम इस पुल का उद्घाटन करने ना चले जाएं। राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा था, ‘हमारे देश में चीन एक कूटनीतिक पुल का निर्माण कर रहा है। पीएम की चुप्पी से पीएलए के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। अब तो ये डर है कि कहीं पीएम मोदी इस पुल का भी उद्घाटन करने ना पहुंच जाएं।‘

चाबहार बंदरगाह पर भी रखी बात-

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इस बंदरगाह के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान के रवैये में कुछ चमत्कारी परिवर्तन नहीं होता है, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं है, हमें मध्य एशिया तक पहुंच विकसित करने के लिए रास्ता खोजना होगा। उन्होंने कहा कि ईरान में बंदरगाह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह मुश्किल रहा है, ईरान प्रतिबंधों के अधीन रहा है, लेकिन हमने लगातार प्रगति की है।‘‘

क्या है चाबहार बंदरगाह?-

बता दें कि चाबहार बंदरगाह से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच कारोबार करना और अधिक आसान हो जाएगा। यही नहीं चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान में चीन की मदद से बन रहे ग्वादर बंदरगाह का जवाब माना जाता है। भारत के लिए चाबहार बंदरगाह इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता बन जाएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। साथ ही अफगानिस्तान और रूस से भारत का जुड़ाव और मजबूत हो जाएगा। 2016 में हुए समझौते के तहत भारत चाबहार बंदरगाह में जरूरी साजो-सामान के लिए 85 मिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है। इसके साथ ही बंदरगाह के विकास के लिए भारत 150 मिलियन डॉलर का लोन भी दे रहा है।

क्या है एससीओ-

बतादें कि एससीओ का गठन 15 जून 2001 को किया गया था। तब चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने ‘शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन‘ की स्थापना की। इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया। शंघाई सहयोग संगठन में 8 सदस्य देश शामिल हैं। इनमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इनके अलावा चार पर्यवेक्षक देश- ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं।

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