सैन्य तनाव के बावजूद सर्वे का गजब नतीजा, 51 फीसदी चीनी लोगों को PM मोदी पसंद

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच भारी तनाव के बीच एक आश्चर्यजनक सच्चाई का खुलासा हुआ है।

Update: 2020-08-28 05:00 GMT
51 फीसदी चीनी लोगों को PM मोदी पसंद

अंशुमान तिवारी

बीजिंग: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच भारी तनाव के बीच एक आश्चर्यजनक सच्चाई का खुलासा हुआ है। दोनों देशों के बीच भले ही तनाव चरम पर हो मगर चीन के 51 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ की है। यह खुलासा किसी एजेंसी के सर्वे में नहीं हुआ है बल्कि यह खुलासा चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की ओर से कराए गए सर्वे में हुआ है। ग्लोबल टाइम्स को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाता है और इस अखबार में कही गई बातें ही चीनी सरकार का रुख मानी जाती है।

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ग्लोबल टाइम्स ने किया सर्वे

लद्दाख में इन दिनों भारत और चीन दोनों ने मोर्चेबंदी कर रखी है और दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की कई दौर की बातचीत के बाद भी इलाके में तनाव कम नहीं हुआ है। दोनों देशों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। इस बीच ग्लोबल टाइम्स की ओर से भारत और चीन के रिश्तों को लेकर कराए गए सर्वे में आश्चर्यजनक बात निकलकर सामने आई है।

51 फीसदी लोगों ने की मोदी सरकार की तारीफ

सर्वे में चीन के 51 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज की तारीफ की है। चीन के 70 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत में चीन विरोधी सोच काफी हावी हो चुकी है। सर्वे यह बात भी पता चली है कि 30 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव खत्म होगा और रिश्ते सुधरेंगे।

90 फीसदी लोग सैन्य कार्रवाई के समर्थन में

वैसे सर्वे में चीन के लोगों ने भारत को सबसे पसंदीदा देश नहीं बताया। लोगों ने रूस, जापान और पाकिस्तान के बाद भारत को स्थान दिया। जहां तक भारत के खिलाफ चीन की सैन्य कार्रवाई का मुद्दा है तो सर्वे में शामिल 90 फ़ीसदी लोग इससे सहमत दिखे। चीन के 50 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की चीन पर काफी हद तक निर्भरता है। उनका यह भी मानना है कि हाल में उठाए गए कदमों से निश्चित तौर पर भारत को नुकसान होगा।

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56 फीसदी लोगों की भारत में दिलचस्पी

ग्लोबल टाइम्स की ओर से किए गए इस सर्वे से पता चला है कि 56 फीसदी चीनी लोगों की भारत में काफी दिलचस्पी है या उन्हें भारत के बारे में काफी जानकारी है। चीन के 57 फ़ीसदी लोग चीनी सेना को ज्यादा मजबूत मानते हैं। इन लोगों का मानना है कि भारतीय सेना अभी इतनी मजबूत नहीं हुई है कि वह चीनी सेना का मुकाबला कर सके।

हुवावे ने जताई प्रतिबद्धता

उधर चीनी टेक कंपनी हुवावे की अभी भी भारत को लेकर दिलचस्पी खत्म नहीं हुई है। यह बहुराष्ट्रीय कंपनी भारतीयों को लुभाने ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। कंपनी का कहना है कि वह वह भारत की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार का खतरा नहीं पैदा कर रही है और भारत के प्रति अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने को प्रतिबद्ध है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी चरणबद्ध तरीके से अपने उपकरणों को हटाना चाहती है। अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया ने भी हुवावे को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

चीनी कंपनियों पर भारत का कड़ा रुख

भारत की ओर से हाल में चीनी कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया गया है और विभिन्न सरकारी ठेकों मैं चीनी कंपनियों का करार रद्द किया जा चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी ने नए आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से ऐसी नीतियां बनाई जा रही हैं ताकि आने वाले दिनों में चीन से सामानों के आयात को कम किया जा सके। सरकार ऐसी कंपनियों को बढ़ावा देने में जुटी हुई है जो ऐसे सामानों का निर्माण करने की दिशा में अग्रसर रहे हैं जिनका चीन से आयात किया जाता है।

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