मौत की सड़क: Google Map ने रास्ते में भटकाया, ठंड में जमकर युवक की गई जान

Yakutsk से port of Magadan की दूरी कोलिमा फेडरल हाइवे के जरिए 1900 km है जबकि रोड ऑफ़ बोन्स से होते हुए ये 1733 km है। इसी के चलते गूगल मैप्स ने दोनों लड़कों को इस रास्ते पर जाने का सजेशन दिया था।

Update:2020-12-11 14:51 IST
मौत की सड़क: Google Map ने रास्ते में भटकाया, ठंड में जमकर युवक की गई जान

नई दिल्ली: रूस के साइबेरिया से खबर आई है कि Google Map की एक छोटी सी गलती के कारण 18 साल का लड़का रास्ता भटक गया जिसके कारण उसकी मौत हो गई। लड़का जिस गलत रास्ते पर गया वहां का रात में तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जिसके कारण उसकी सर्दी में जमने से मौत हो गयी। ये दोनों इस सड़क पर कई दिनों तक भटकते रहे थे।

रात के वक़्त काफी खतरनाक सड़क

मिली खबर के अनुसार सर्गे उस्तीनोव और वाल्दीस्लाव इस्तोमिन साइबेरिया के port of Magadan जा रहे थे लेकिन गूगल मैप्स की मदद लेने के चलते वे गलत दिशा में चले गए। वे गलती से Road of Bones पहुंच गए थे जो कि रात के वक़्त काफी खतरनाक मानी जाती है क्योंकि यहां अचानक तापमान गिर जाता है। गूगल मैप ने शार्टकट के चक्कर में दोनों को ऐसे रास्ते पर भेज दिया जो न सिर्फ बंद था बल्कि काफी जटिल भी था। ये दोनों दुनिया के सबसे ठंडे शहर Yakutsk से port of Magadan की यात्रा पर निकले थे।

सर्दी बढ़ने के बाद कार के रेडियेटर ने भी काम करना बंद कर दिया

ये सड़क पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई थी और सर्दी बढ़ने के बाद कार के रेडियेटर ने भी काम करना बंद कर दिया। इन दोनों लड़कों को नहीं पता था कि भीषण सर्दी से कैसे निपटना है और इसलिए उनमें से एक की जमने से मौत हो गयी जबकि दूसरे के हाथ-पांव बुरी तरह जमे हुए हैं और उन्हें काटना पड़ सकता है। खबर के मुताबिक सर्गे का पूरा शरीर पत्थर की तरह जमा हुआ मिला है जबकि वाल्दीस्लाव अभी भी जिंदा है लेकिन बुरी हालत में है। सर्गे की मौत हाइपरथेमिया की वजह से हुई है।

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इस कारण 'मौत की सड़क' के नाम से जानी जाती है

कहा जाता है कि इसे बनाने के लिए स्टालिन ने राजनीतिक कैदियों का सहारा लिया था। इसे बनाने के दौरान भी 10 लाख लोगों की जान गयी थी। Yakutsk से port of Magadan की दूरी कोलिमा फेडरल हाइवे के जरिए 1900 km है जबकि रोड ऑफ़ बोन्स से होते हुए ये 1733 km है। इसी के चलते गूगल मैप्स ने दोनों लड़कों को इस रास्ते पर जाने का सजेशन दिया था। बताया जाता है कि साल 1970 के बाद से ही इस सड़क का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसी के चलते दोनों की मदद के लिए पुलिस पेट्रोल को भी यहां पहुंचने में कई दिन लग गए।

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