खतरे में इमरान सरकार: सेना और चरमपंथी कर रहे ये बड़ी साजिश
मरान खान के नेतृत्व में उनकी आवाम भी ज्यादा खुश नहीं है। इमरान खान अपनी जनता का ध्यान पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक मंदी से हटाने के लिए बार-बार कश्मीर मुद्दे का सहारा लेता है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान कश्मीर से विशेषाधिकार हटाए जाने के बाद किसी न किसी तरह से अंतरराष्ट्रीय देशों का ध्यान कश्मीर पर लाने की कोशिश करता रहता है। हालांकि कोई देश पाकिस्तान के समर्थन में आगे नहीं आया है। और अब लगता है कि वो अपने कुर्सी से भी हाथ धो बैठेंगे। दरअसल, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) उनको ही दरकिनारे करने में लगी है। एक तरफ पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा कारोबारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने आजादी मार्च के साथ सरकार के खिलाफ खड़े होने का फैसला ले लिया है।
आर्थिक मंदी का सामना कर रही जनता-
इमरान खान के नेतृत्व में उनकी आवाम भी ज्यादा खुश नहीं है। इमरान खान अपनी जनता का ध्यान पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक मंदी से हटाने के लिए बार-बार कश्मीर मुद्दे का सहारा लेता है। लेकिन सेना प्रमुख और जमीयत नेता रहमान ने स्थिति को देखते हुए अपने हिसाब से योजना बनाने में जुटे हैं।
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नागरिकों की उम्मीदों को नहीं कर पाये पूरा-
इमरान खान ने साल 2018, अगस्त में पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रुप में शपथ ली थी। लेकिन वो देश के नागरिकों खासकर युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरने में असमर्थ रहे। इमरान खान के नेतृत्व में 1 साल के अंदर ही पाकिस्तान कंगाली और बेरोजगारी के स्तर पर पहुंच गया है। जब इस मुद्दे के ऊपर इमरान खान की सरकार से सवाल पूछे जाने लगे तो उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर सबका ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश की।
धार्मिक कार्ड का फायदा नहीं उठा पायेंगे रहमान- इमरान
बता दें कि शनिवार को जमीयत प्रमुख फजलुर रहमान ने पेशावर में सरकार के खिलाफ आजादी मार्च की घोषणा की, जिस दौरान उन्होंने कहा कि ये मार्च तभी खत्म होगा जब ये सरकार चली जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि सारा देश उनके लिए युद्ध का मैदान होगा। वहीं पीएम इमरान खान का कहना है कि मौलाना फजलुर रहमान पीपीपी और पीएमएल-एन की तरफ से सरकार के खिलाफ धार्मिक कार्ड हालात का फायदा नहीं उठा पायेंगे।
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