चीन विरोधी माहौल से ड्रैगन घबराया, व्यापार को सामान्य बनाने की लगाने लगा गुहार
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव के बाद देश में चीनी कंपनियों और चीनी उत्पादों के खिलाफ माहौल गरमा गया है। काफी संख्या में लोग चीन विरोधी...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव के बाद देश में चीनी कंपनियों और चीनी उत्पादों के खिलाफ माहौल गरमा गया है। काफी संख्या में लोग चीन विरोधी भावनाओं का इजहार कर रहे हैं। अपनी कंपनियों के खिलाफ भारत के कड़े कदमों और चीनी उत्पादों के खिलाफ माहौल बनने से ड्रैगन बौखला गया है। भारत के साथ सीमा विवाद के बीच चीन ने बीजिंग और दिल्ली दोनों जगहों पर अपनी कंपनियों के संरक्षण का मामला उठाया है। हालांकि भारत की ओर से अभी तक कोई सीधा जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन चीन को स्पष्ट कर दिया गया है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी ताजा विवाद के संबंध में चीन के रुख से ही द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय होगी।
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चीनी कंपनियों को लगेगा भारी झटका
जानकार सूत्रों का कहना है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगातार भारत के खिलाफ साजिश रचने की कोशिश में जुटा हुआ है मगर इसके साथ ही भारत के साथ अपने व्यापार को सामान्य बनाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश भी कर रहा है। चीन को इस बात का बखूबी एहसास है कि भारत में चीन विरोधी माहौल से चीनी कंपनियों को जबर्दस्त झटका लगेगा। दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते पर भी इसकी आंच आने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसीलिए ड्रैगन भारत पर दबाव बनाकर व्यापारिक रिश्ते सामान्य बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि भारी घाटे की आशंका से घबराई हुई चीनी कंपनियां विभिन्न स्तरों पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
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सीमा विवाद का व्यापारिक रिश्ते पर असर
सूत्रों का कहना है कि कोरोना का संकट पैदा होने के बाद ही भारत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था कि इस संकट से निपटने में सहयोग ही भारत और चीन के भावी रिश्तों की बुनियाद बनेगा, लेकिन चीन ने कोरोना संकटकाल में ही भारत के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए सीमा विवाद का नया फ्रंट खोल दिया। इसका असर दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर दिखने लगा है। देश में जबर्दस्त चीन विरोधी माहौल बन गया है। चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की मुहिम तेजी पकड़ रही है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में गेंद पूरी तरह चीन के पाले में है। अगर सीमा विवाद को लेकर चीन के रुख में बदलाव नहीं आता है तो नए समझौतों की बात तो दूर भारत के लिए पुराने समझौतों को ही जारी रखना काफी मुश्किल हो जाएगा।
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अपने हितों की रक्षा में जुटीं चीनी कंपनियां
सूत्रों का कहना है कि चीनी कंपनियों को इस बात की भनक लग चुकी है कि भारत में बनते चीन विरोधी माहौल से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा और इसी कारण चीनी कंपनियां अपने हितों की रक्षा के लिए दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही हैं। चीन विरोधी पब्लिक ओपिनियन को मैनेज करने के लिए साझा सचिवालय बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
भारत का सख्त रुख अपनाने का संकेत
हालांकि चीन की ओर से व्यापारिक माहौल को सामान्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन भारत के रुख से साफ है कि व्यापारिक मोर्चे पर भी वह कठोर फैसले लेने की दिशा में कदम उठाएगा। चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए व्यापार में चीनी वर्चस्व को खत्म करने की कोशिश शुरू भी हो गई है। देश में चीन विरोधी माहौल को देखते हुए भारत सरकार सतर्क है और इस मामले में काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
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