ईरान का जनरल: जिसके नाम से कांपते थे दुश्मन देश, अमेरिका ने ऐसे दी दर्दनाक मौत

अमेरिका ने शुक्रवार को बगदाद एयरपोर्ट पर एक एयर स्ट्राइक की। जिसमें ईरान समर्थित कुर्द बल के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई। इसकी जानकारी मिलते ही ईरान ने अमेरिका पर हमला करके बदला लेने की धमकी दी है।

Update: 2020-01-03 11:02 GMT

नई दिल्ली: इराक की राजधानी बगदाद में स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के बाद अमेरिका ने शुक्रवार को बगदाद एयरपोर्ट पर एक एयर स्ट्राइक की। जिसमें ईरान समर्थित कुर्द बल के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई।

इसकी जानकारी मिलते ही ईरान ने अमेरिका पर हमला करके बदला लेने की धमकी दी है। आइये जानते हैं कौन है कासिम सुलेमानी? जिसकी मौत पर अमेरिका जश्न मना रहा है। वही ईरान शोक में डूबा है। और तीन दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक का अवकाश घोषित किया गया है।

छोटी उम्र में ही कूद पड़े थे युद्ध के मैदान में

कासिम सुलेमानी पूर्वी ईरान के एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे। परिवार में रोजगार का कोई खास साधन नहीं था। परिवार का खर्च चलाने के लिए कासिम ने 13 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था।

वह बचपन से ही ईरानी नेता खमेनई के भाषणों को काफी ध्यान लगाकर सूना करते थे। फॉरेन पॉलिसी मैगजीन के मुताबिक, 1979 में ईरानी क्रांति के दौरान सुलेमानी ने 6 हफ्तों की ट्रेनिंग लेकर ईरान के अजरबैजान प्रांत में पहली बार जंग लड़ी। ईरान-इराक के युद्ध के बाद सुलेमानी राष्ट्रीय हीरो बनकर उभरे।

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इराक में ऐसे बनाई धमक

कासिम सुलेमानी के बारे में कहा जाता है कि 2005 में इराक में नई सरकार के बनने के बाद सुलेमानी का इराक की राजनीति में दखल और बढ़ गया। इसी दौरान शिया राजनीतिक पार्टी और पैरामिलिट्री फोर्स बद्र संगठन को सरकार का अंग बना दिया गया। बद्र संगठन को इराक में ईरान की सबसे पुरानी प्रॉक्सी फोर्स कहा जाता है।

2011 में जब सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ा तो सुलेमानी ने अपनी इराकी प्रॉक्सी फोर्स को सीरिया में असद सरकार का बचाव करने भेजा। बता दें कि तत्कालीन अमेरिकी सरकार सीरिया से बशर अल हसद को सत्ता से बाहर करना चाहती थी।

ईरान का दूसरा सबसे ताकतवर शख्स थे सुलेमानी

सुलेमानी को ईरान का दूसरा सबसे ताकतवर शख्स भी कहा जाने लगा था। 2019 में जब ईरान के सुप्रीम लीडर खमनेई ने सुलेमानी को देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान से नवाजा तो सेना में उनकी बढ़ती ताकत का अंदाजा हो गया था। 1979 में इस्लामिक गणराज्य ईरान की स्थापना के बाद पहली बार किसी कमांडर को यह सम्मान दिया गया था।

सेना के बीच थी अच्छी पकड़

इराक के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने विदेशी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "सुलेमानी केवल सेना में काम करता हुआ एक सैनिक भर नहीं है। वह सैन्य मोर्चे की जांच करने के लिए जाते हैं और जंग का जिम्मा संभालते हैं। उन्हें कमांड सिर्फ ईरान के सुप्रीम लीडर देते हैं। अगर उन्हें पैसे की जरूरत होती है तो उन्हें तुरंत पैसा मिल जाता है। हथियार मांगने पर तुरंत हथियार मुहैया कराए जाते हैं, वह जो कुछ भी मांगते हैं, उन्हें सब मिल जाता है।

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अमेरिका की नाक में ऐसे कर दिया था दम

अमेरिका ने 2019 में ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। अमेरिका को जवाब देते हुए सुलेमानी ने कहा था कि अमेरिका के साथ किसी भी तरह का समझौता सरेंडर करना होगा।

सुलेमानी कुद्स फोर्स द्वारा किए गए सभी सैन्य ऑपरेशनों के अलावा इंटेलिजेंस भी जुटाते थे। 2018 में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती दे डाली थी। उन्होंने कहा था, "मिस्टर ट्रंप मैं आपको बता रहा हूं कि हम आपके करीब पहुंच गए हैं, हम वहां पहुंच चुके हैं जिसके बारे में आपको अंदाजा भी नहीं है। युद्ध भले ही शुरू आप करेंगे लेकिन खत्म हम करेंगे।"

सीरिया में ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स पर तमाम एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया जा चुका है। अगस्त महीने में इजरायल ने रिवॉल्यूशनरी गार्ड पर ड्रोन अटैक की योजना बनाने का आरोप लगाया था। इजरायली मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के विदेश मंत्री काट्ज ने बयान दिया था कि वे सुलेमानी को समूल नष्ट करने को लेकर काम कर रहे हैं।

अक्टूबर महीने में तेहरान ने बताया था कि उसने इजरायली और अरब एजेंसी ने सुलेमानी को मारने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इसे नाकाम कर दिया।

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