जम्मू-कश्मीर में हुआ ये बदलाव, पाकिस्तान को नहीं आया पसन्द, जताया एतराज
नए डोमिसाइल कानून के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कम से कम 15 साल से निवास करने वाले गैर-स्थायी निवासी यह प्रमाण पत्र पाने के हकदार हैं।
भारत समेत पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस से जूझ रही है। सारे देश ऐसे में इस जानलेवा वायरस से निपटने के तरीके ढूंढ रहे हैं। लेकिन ऐसे में भारत का पड़ोसी पाकिस्तान अपना अलग ही राग अलाप रहा है। अब पाकिस्तान ने भारत की ओर से दिए जाने वाले अधिवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट) को अस्वीकार कर दिया जो कि जम्मू और कश्मीर के लोगों को बांटे जा रहे हैं। पाकिस्तान ने उन लोगों के सर्टिफिकेट को नहीं स्वीकारा है जी जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी नहीं हैं।
30,000 से अधिक लोगों अबतक मिल चुका डोमिसाइल सर्टिफिकेट
नए डोमिसाइल कानून के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कम से कम 15 साल से निवास करने वाले गैर-स्थायी निवासी यह प्रमाण पत्र पाने के हकदार हैं। 30,000 से अधिक लोगों को अब तक जम्मू और कश्मीर में ऑनलाइन डोमिसाइल सर्टिफिकेट प्राप्त हुए हैं। भारत सरकार की ओर से केंद्र शासित प्रदेश में गैर-निवासियों की अलग-अलग श्रेणियों में रहने के लिए कानून बदलने के बाद यह सर्टिफिकेट बांटा जा रहा है।
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पाकिस्तान ने उन लोगों को दिए जाने वाले डोमिसाइल सर्टिफिकेट पर सवाल उठाया है जो लोग मूल रूप से जम्मू और कश्मीर के नहीं हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के इस कदम पर ऐतराज जाहिर किया है। लेकिन अब पाकिस्तान को हमेशा की भाँती भारत के इस काम से भी दिक्कत है। और उसने अपना काम कर दिया।
पाकिस्तान ने बताया जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन
अब विरोध जताते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि गैर कश्मीरी लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट देना यूएन सिक्योरिटी काउंसिल रिजॉल्यूशनंस और जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है।
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यहां जम्मू एंड कश्मीर ग्रांट ऑफ डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर), 2020 के तहत लोगों को प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने विश्व बिरादरी से आग्रह किया है कि भारत के इस कदम को रोका जाए ताकि वह कश्मीर की जनसांख्यिकीय स्थिति को न बदल सके।