Afghanistan News: तालिबान शासित अफगानिस्तान में पत्रकारों पर आई शामत, 50% मीडिया हाउस पर लगा ताला
Afghanistan News: दुनिया के कई हिस्सों में स्वतंत्र पत्रकारिता मौजूदा समय में एक चुनौतीपूर्ण टास्क हो गया है। पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं। तालिबान शासित अफगानिस्तान में तो उनकी स्थिति और बद से बदतर हो गई है।
Afghanistan News: दुनिया के कई हिस्सों में स्वतंत्र पत्रकारिता मौजूदा समय में एक चुनौतीपूर्ण टास्क हो गया है। पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं। तालिबान शासित अफगानिस्तान में तो उनकी स्थिति और बद से बदतर हो गई है। सत्ता संभालने के बाद से तालिबान ने मीडिया पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया था। नतीजा ये हुआ है कि आज अफगानिस्तान के लगभग 50 प्रतिशत मीडिया संस्थान पर ताला लग गया है। बड़ी संख्या में पत्रकार बेरोजगार हुए हैं। महिला पत्रकारों को तो सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा है।
नेशनल जर्नलिस्ट्स डे के मौके पर अफगानिस्तान नेशनल जर्नलिस्ट्स यूनियन (एएनजेयू) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान राज के शुरू होने के बाद से 53 प्रतिशत पत्रकारों का रोजगार छिन गया और 50 प्रतिशत मीडिया आउटलेट कई कारणों से बंद हो गए। एनजेयू के सदस्य मसूर लुत्फी ने कहा, ज्यादातर मीडियाकर्मी अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। मीडिया समुदाय को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिनमें आर्थिक कठिनाईयां भी शामिल हैं। देश में उनके गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इसके अलावा मीडिया समुदाय के सुरक्षात्मक कानूनों को भी रद्द कर दिया गया है। टोलो न्यूज के मुताबिक, जो मीडिया संस्थान और पत्रकार अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं, उन्हें सूचना तक पहुंचने में काफी दिक्कत हो रही है। तालिबान अधिकारी किसी भी मुद्दे पर उनसे जानकारी साझा नहीं करना चाहते। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 2022 में अफगानिस्तान में पत्रकारों के खिलाफ 200 से अधिक टॉर्चर के मामले सामने आए जिनमें मनमानी गिरफ्तारी, दुर्व्यवहार, उत्पीड़न, धमकी और डराना शामिल है। एक स्थानीय मीडिया ग्रुप का कहना है।
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कि अफ़ग़ानिस्तान में मीडिया की आज़ादी बद से बदतर हो गई है और सत्ताधारी शासन में पत्रकारों का मनोबल गिर रहा है। देश भर में तालिबानी अधिकारियों को पसंद नहीं आने वाले संवेदनशील मुद्दों की रिपोर्टिंग के लिए कई पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया, सताया गया और जान से मारने की धमकी दी गई। सैंकड़ों मीडिया संस्थान जिनमें टेलीविजन से लेकर रेडियो और प्रिंट मीडिया के साथ-साथ न्यूज एजेंसी शामिल हैं, बंद हो गए हैं। जिससे करीब 6 हजार मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं।
तालिबान का शासन हमेशा से महिलाओं के लिए काफी खौफनाक रहा है। अतीत में इसके कई बर्बर उदाहरण हैं। हालांकि, दूसरी बार सत्ता में आने के बाद इस पर जरूर कुछ लगाम लगा है लेकिन अब भी सबसे अधिक मार महिलाओं पर ही पड़ी है। उनके एजुकेशन पर रोक लगा दी गई है। नौकरियों से भी निकाला जा चुका है। मीडिया में भी पुरूषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई हैं। टोलो न्यूज के मुताबिक, नौकरी गंवाने वाले पत्रकारों में अकेले 72 प्रतिशत महिलाएं हैं। अफगान मीडिया में अब भी 200 से अधिक महिला मीडियाकर्मी काम कर रही हैं। जिन्हें तालिबान द्वारा लागू किए गए सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना पड़ रहा है।
अफगानिस्तान नेशनल जर्नलिस्ट्स यूनियन (एएनजेयू) के रिपोर्ट पर तालिबान की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने रिपोर्ट में कही गई बातों को खारिज किया है। तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि वे पत्रकारों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्हें उपलब्ध सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ पत्रकारों ने तालिबान के अधिकारियों से मीडिया की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस दिशा में सहयोह मांगा है।