Kabul Airport Atanki Hamla: टाइम बम जैसी हालत में काबुल हवाई अड्डा

Kabul Airport Atanki Hamla: अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने साफ कहा है कि काबुल हवाई अड्डे पर अगले 24 से 36 घंटों में आतंकी हमला होने की आशंका है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update: 2021-08-29 06:56 GMT

काबुल एयरपोर्ट पर धमाके के बाद का नजारा (फोटो: सोशल मीडिया)

Kabul Airport Atanki Hamla: अफगानिस्तान में अब सभी गतिविधियां काबुल हवाई अड्डे तक सीमित हो गई हैं। कुछ ही घंटे बचे हैं जिसके दरमियान नाटो सेनाओं की पूर्ण वापसी हो जानी है, देश से निकलने को बेताब हजारों लोगों का फैसला होना है। तालिबान के हाथ में काबुल हवाई अड्डे का नियंत्रण आ जाना है। उधर, आईएसआईएस अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए इन्हीं कुछ घंटों में हमले करने की फिराक में है।

अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने साफ कहा है कि काबुल हवाई अड्डे पर अगले 24 से 36 घंटों में आतंकी हमला होने की आशंका है। काबुल में जो अमेरिकी नागरिक हवाई अड्डे के भीतर नहीं पहुंच पाए हैं, उनको यहां न आने की ताकीद की गई है।

काबुल एयरपोर्ट पर तालिबानी सैनिकों की बढ़ी संख्या

काबुल हवाई अड्डे पर लोगों की भीड़ रोकने के लिए तालिबान ने भी अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। हवाई अड्डे की तरफ जाने वाली सड़कों पर जगह जगह बैरियर लगा दिए गए हैं जहां मिलिट्री ड्रेस और नाइट विजन पहने तालिबानी सैनिक पहरेदारी कर रहे हैं। हवाई अड्डे पर हुये बम धमाकों के बाद लोगों में घबराहट भी है सो जहां दो हफ्ते पहले भारी भीड़ हुआ करती थी वहां अब सन्नाटा है।


अफगानिस्तान से लौटें इन देशों के नागरिक

ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, न्यूज़ीलैंड समेत कई देशों ने अफगानिस्तान में अपने अभियान की समाप्ति की घोषणा कर दी है। इन देशों ने अब काबुल से अपनी उड़ानें बन्द कर दी हैं। अपने सभी सैनिकों को वापस निकाल लिया है। नाटो देशों के सैनिक और उनके ज्यादातर नागरिक सुरक्षित निकाल लिए गए हैं लेकिन बहुत से अफगानी मददगार नहीं निकाले जा सके हैं। ऐसे लोगों का आगे क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। चूंकि अब तमाम देश फ्लाइट्स बन्द कर चुके हैं सो कुछ विदेशी नागरिक अपने खर्चे से चार्टर्ड फ्लाइट्स का इंतजाम कर रहे हैं।

ISIS आतंकियों पर US की एयरस्ट्राइक

आईएसआईएस-खोरासान के खिलाफ अमेरिका ने एक सीमित कार्रवाई की है। अब लगता है कि आगे भी ड्रोन हमले किये जायेंगे। लेकिन इनका ज्यादा असरदार होना मुश्किल है क्योंकि अमेरिकी सेना की वापसी के साथ अफगानिस्तान में जमीनी खुफिया संपर्क उतने मजबूत नहीं रह जाएंगे और कोई भी मिशन दूर से करना होगा। इस क्षेत्र में बिना किसी सैन्य ठिकाने, बिना जमीनी सहयोगी और सीमित खुफिया संसाधनों के आईएस के खिलाफ़ लड़ाई बहुत मुश्किल होगी।

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