लौजेन के भाई-बहनों ने सऊदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए 

रियाद की एक अपराध अदालत में बुधवार को 11 महिलाओं पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार समूहों से संपर्क रखने के लिये आरोप तय करने के लिये दूसरी बार सुनवाई हुई। इस दौरान विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों को अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई थी।

Update: 2019-03-28 12:28 GMT

रियाद : सऊदी अरब में करीब एक साल पहले हिरासत में ली गई महिला कार्यकर्ताओं ने बुधवार को सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान उन्हें यातनाएं दी गई और उनका यौन उत्पीड़न किया गया।

रियाद की एक अपराध अदालत में बुधवार को 11 महिलाओं पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार समूहों से संपर्क रखने के लिये आरोप तय करने के लिये दूसरी बार सुनवाई हुई। इस दौरान विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों को अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई थी।

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इस दौरान अदालत में मौजूद सूत्रों ने बताया कि उनमें से कुछ महिलाएं रोने लगीं। उन्होंने तीन न्यायधीशों की पैनल के सामने कहा कि पूछताछकर्ताओं ने उन्हें बिजली के झटके लगाए गए, हिरासत के दौरान उनके साथ मारपीट की गई और यौन शोषण किया गया।

सऊदी अरब सरकार मानवाधिकारों के अपने रिकॉर्ड को लेकर गहन अंतरराष्ट्रीय जांच का सामना कर रही है। हालांकि वह महिलाओं पर अत्याचार और उनके उत्पीड़न से साफ इनकार करती रही है।

जिन महिलाओं को हिरासत में लिया गया है, उनमें प्रमुख कार्यकर्त्ता लौजेन अल-हथलौल, ब्लॉगर इमान अल-नफ़जान और प्रोफेसर हातून अल-फासी शामिल हैं।

इन कार्यकर्ताओं को महिलाओं के गाड़ी चलाने पर लगा प्रतिबंध हटने से ठीक पहले हिरासत में लिया गया था। महिलाओं ने गाड़ी चलाने के अधिकार और प्रतिबंधात्मक संरक्षकता प्रणाली को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया था।

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लौजेन के भाई-बहनों ने सऊदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए

फिलहाल विदेश में रह रहे उनके भाई-बहनों का आरोप है कि उन्हे यातना देने में वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान के शीर्ष सलाहकार सऊद अल कहतानी का हाथ है। कहतानी को पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद पद से हटा दिया गया था।

लौजेन के भाई वलीद अल हथलौल ने कहा, "राजकुमार का शीर्ष सलाहकार मेरी बहन को बलात्कार, जान से मारने और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी दे रहा था।" महिलाओं के परिवार के सदस्यों ने बताया कि कि कुछ महिलाओं ने जमानत की अपील की है, जि सपर न्यायाधीश बृहस्पतिवार को फैसला ले सकते हैं।

मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी।

 

(भाषा)

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