CAA और 370 का विरोध करने वाले इस मुस्लिम देश ने भारत पर किया ये बड़ा ऐलान

मलेशिया ने कश्मीर से 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी समेत भारत के तमाम आंतरिक मुद्दों में दखल देने की कोशिश की है। मलेशिया के इन कोशिशों पर भारत ने उसे कई बार चेतावनी देते हुए कहा था कि ये हमारा आतंरिक मामला है।

Update: 2019-12-30 09:37 GMT

नई दिल्ली: मलेशिया ने कश्मीर से 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी समेत भारत के तमाम आंतरिक मुद्दों में दखल देने की कोशिश की है। मलेशिया के इन कोशिशों पर भारत ने उसे कई बार चेतावनी देते हुए कहा था कि ये हमारा आतंरिक मामला है। भारत की नाराजगी के बाद अब मलेशिया ने भारतीयों को एक बड़ा ऐलान किया है।

मलेशिया ने भारतीयों को वीजा फ्री एंट्री देने की घोषणा की है यानी अगले साल से मलेशिया घूमने के लिए भारतीय पर्यटकों को वीजा की आवश्यकता नहीं होगी। भारत के अलावा ये छूट चीन के पर्यटकों को भी ये मिलेगी।

भारतीय 2020 में 15 दिनों तक मलेशिया में बिना वीजा के रह सकते हैं। मलेशिया घूमने के लिए अब भारतीयों को सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल रजिस्ट्रेशन ऐंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि भारतीय पर्यटकों को मलेशिया में ऑथराइज्ड एयरपोर्ट या एंट्री प्वॉइंट्स से ही एंट्री और एग्जिट करना होगा।

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गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से मलेशिया ने अपने कई ऐसे बयान दिए जिसपर से भारत ने नाराजगी जताई। भारत सरकार ने हाल ही में नागरिकता कानून पर मलेशियाई प्रधानमंत्री डॉ. महातिर मोहम्मद के बयान को लेकर मलेशिया के उच्चायुक्त को समन किया था। महातिर ने नागरिकता कानून पर अफसोस जताया था और कहा था कि यह मुस्लिमों के साथ भेदभाव करता है।

मलेशिया के विदेश मंत्री दातुक सैफुद्दीन अब्दुल्ला का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया थी। उन्होंने कहा कि मलेशिया के शीर्ष दूत को बुलाने को मैं बिल्कुल सामान्य मानता हूं। जब एक देश किसी घटना या बयान को लेकर असंतुष्ट होता है तो वह उस पर स्पष्टीकरण मानता है। हमारे उच्चायुक्त दातुक हिदायत अब्दुल हामिद ने इस मामले पर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है।

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विदेश मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे हैं और हमारे बीच कोई भी समस्या नहीं है। हमारा पक्ष साफ है कि हम बिना विचारधारा और पृष्ठभूमि को आधार बनाए बिना सभी देशों के साथ संबंध स्थापित करना चाहते हैं। हम किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे लेकिन अगर बात लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून की बात होगी तो हम अपनी राय और अपना नजरिया जरूर सामने रख सकते हैं।

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सैफुद्दीन ने कहा कि दुनिया भर की सरकारें किसी भी मामले पर किसी नेता के राजनीतिक बयान और आर्थिक संबंध में फर्क करना जानती हैं। हर देश का किसी मुद्दे पर अपना पक्ष होता है इसलिए साफ तौर पर एक या दो राजनीतिक बयान ऐसे हो सकते हैं जिसकी वजह से असंतोष हो सकता है, हालांकि इससे दो देशों के रिश्तों पर कोई खतरा नहीं आएगा।

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