सऊदी अरब को भारत की दो टूकः रिश्तों पर असर, करारा जवाब देंगे मोदी
बता दें कि भारत ने ईरान से तेल आयात बंद कर सऊदी से बढ़ा दिया था। और उम्मीद लगाई थी कि सऊदी बड़े खरीदार के तौर पर भारत को रियायत देगा।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान से पिछले हफ्ते ही फोन पर बात हुई थी। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने का संकल्प लिया था।
मोदी की बातचीत
पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस की बात तब हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो टूक कह दिया कि वह सऊदी अरब में अपने समकक्ष यानी किंग सलमान से ही बात करेंगे ना कि किंग सलमान के बेटे क्राउन प्रिंस से। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि क्राउन प्रिंस सऊदी अरब के रक्षा मंत्री हैं और उनके समकक्ष अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन हैं।
यह पढ़ें....दहेज की भारी रकम भी न दे सकी बेटी को जिंदगीः पिता बोले ये हत्या है
व्यापारिक रिश्ते मजबूत
अगर क्राउन प्रिंस को बात करनी है तो वे रक्षा मंत्री से बात करेंगे ना कि सीधे राष्ट्रपति बाइडेन से । सऊदी से वो रिश्ते नहीं हैं, जो ट्रंप के कार्यकाल में थे। बाइडेन सऊदी पर लगाम कसना चाहते हैं। लेकिन भारत के लिए सऊदी अरब को लेकर बाइडेन की तरह कोई स्टैंड लेना आसान नहीं है। मोदी सरकार के कार्यकाल में दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते मजबूत हुए हैं। सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर भी पाकिस्तान का साथ ना देकर अप्रत्यक्ष रूप से भारत की मदद की।
सऊदी अरब और भारत के संबंधों में तनाव तेल की बढ़ती कीमतों ने ला दिया है। पिछले महीने भारत ने सऊदी अरब से तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा था ताकि तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हो सके। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज से भारत के अनुरोध के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कह दिया था कि भारत ने पिछले साल सस्ते में जो तेल खरीदा था, उस तेल को पहले खर्च करें। सऊदी का यह बयान भारत के लिए झटका था।
तेल उत्पादन में कटौती
सऊदी अरब खुद से ही तेल उत्पादन में कटौती कर रहा है जिससे वैश्विक कीमतें बढ़ रही हैं। ओपेक प्लस ने भी अप्रैल तक तेल उत्पाद में कटौती जारी रखने का फैसला किया था। सऊदी अरब का कहना है कि भारत ने रणनीतिक रूप से जिन स्टोर में तेल सुरक्षित रखा है, उसका इस्तेमाल करें। भारत ने फैसला लिया कि वो अब तेल आयात के मामले में मध्यपूर्व पर निर्भरता कम करेगा। कंपनियां मई महीने से इस पर अमल करने लगेंगी। फरवरी महीने में मध्यपूर्व से भारत का तेल आयात पिछले 22 महीनों में सबसे निचले स्तर पर आ गया। फरवरी में अमेरिका भारत में इराक के बाद दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है।
तेल पर निर्भरता कम करने पर विचार
बता दें कि भारत ने ईरान से तेल आयात बंद कर सऊदी से बढ़ा दिया था। और उम्मीद लगाई थी कि सऊदी बड़े खरीदार के तौर पर भारत को रियायत देगा। मोदी सरकार खाड़ी के देशों के तेल पर निर्भरता कम करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड, मई महीने में 1.8 करोड़ बैरल तेल का उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रही हैं।
यह पढ़ें....रालोद ने अनिल दूबे और डॉ. कुलदीप उज्जवल को राष्ट्रीय सचिव किया मनोनीत
तेल की रिफाइनरी क्षमता
हर दिन 50 लाख बैरल तेल की रिफाइनरी क्षमता है और इन पर सरकारी कंपनियों का 60 फीसदी पर नियंत्रण है। भारत की सरकारी कंपनियां एक महीने में एक करोड़ 48 लाख बैरल तेल का आयात करती हैं। तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल उत्पादक देश देशों ओपेक और ओपेक प्लस से कहा था कि वे तेल उत्पादन की सीमा को खत्म करें ताकि कीमतें नियंत्रण में रहें।