मिसाल बने मुस्लिम भाई: वृध्दा की मौत पर खर्च किए अपने पैसे, हो रही तारीफ

आजकल के माहौल में इंसानियत बहुत कम ही देखने को मिलती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि समाज से इंसानियत बिल्कुल ही खत्म हो गई है। इंदौर में एक घटना हुई, जो इसका ही उदाहरण है। इंदौर में एक महिला की मृत्यु हो गई।

Update:2020-04-07 17:15 IST
मिसाल बने मुस्लिम भाई: वृध्दा की मौत पर खर्च किए अपने पैसे, हो रही तारीफ

नई दिल्ली। आजकल के माहौल में इंसानियत बहुत कम ही देखने को मिलती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि समाज से इंसानियत बिल्कुल ही खत्म हो गई है। इंदौर में एक घटना हुई, जो इसका ही उदाहरण है। इंदौर में एक महिला की मृत्यु हो गई। इसके बाद मुस्लिम पड़ोसियों को जब पता चला कि उसके परिवारवालों के पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं हैं तो वो उनकी मदद के लिए आगे आए। मुस्लिम लोगों ने हिंदू महिला की अर्थी को कंधा दिया और उनका अंतिम संस्कार भी कराया।

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महिला को मोहल्ले वाले दुर्गा मां नाम से पुकारते

ऐसा बताया जा रहा है कि ये मामला इंदौर के साउथ तोड़ा का है जहां के गणेश मंदिर में रहने वाली एक बुज़ुर्ग महिला की मौत हो गई। उस महिला को मोहल्ले वाले दुर्गा मां नाम से पुकारते थे। वह कई दिनों से बीमार चल रही थी।

साउथ तोड़ा मोहल्ले में रहने वालों मुस्लिम परिवारों के लोग अक्सर उसका हालचाल लिया करते थे। लोगों ने बताया कि उन्होंने बीती रात को भी महिला से उसकी तबीयत का हाल पूछा था लेकिन जब सुबह देखा तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

इस इलाके के लोगों ने इसकी जानकारी बुज़ुर्ग महिला के लड़कों को दी और उन्हें बुलाया गया। बुज़ुर्ग महिला के लड़कों ने बताया कि उनके पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे अपनी मां का अंतिम संस्कार करा सकें।

जिसके बाद पास में रहने मुस्लिम पड़ोसियों ने बुज़ुर्ग महिला दुर्गा का अंतिम संस्कार किया। लोग इसे हिन्दू- मुस्लिम की एकता की मिसाल बता रहे हैं।

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वृद्धा के 2 बेटे हैं लेकिन उनके पास इतने रुपये नहीं थे

दुर्गा मां नाम की वृद्ध महिला का लंबी बीमारी के चलते निधन हुआ। उनका अंतिम संस्कार पड़ोस के मुस्लिमों ने किया। इस दौरान उन लोगों ने चहरे पर मास्क लगाए हुए थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर शवयात्रा निकाली। आपको बता दें कि वृद्ध महिला का असली नाम द्रौपदी था लेकिन क्षेत्र के सभी लोग दुर्गा मां के नाम से बुलाते थे।

ये बुज़ुर्ग महिला एक बहुत गरीब परिवार से थी। वृद्धा के 2 बेटे हैं लेकिन उनके पास इतने रुपये नहीं थे कि वे अपनी मां का अंतिम संस्कार करा सकें।

ऐसे में परिवार के दामाद ने अंतिम संस्कार का सामान मंगवाया। बाद में परिजनों को मुस्लिम पड़ोसियों ने मुखाग्नि के लिए लकड़ियां दिलवाईं। इसके साथ ही उनकी आर्थिक मदद भी की। इन लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर वृद्धा का अंतिम संस्कार किया। इन लोगों के इस कारनामें को आज पूरी दुनिया सलाम कर रही है।

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