यहां मुस्लिम महिलाएं करती कई मर्दों से शादियां, कैसी है ये अनोखी परंपरा

इस जनजाति के लोगों में संबंधों को लेकर इतना खुलापन है कि शादीशुदा महिलाओं को अगर कोई दूसरा पुरुष पसंद आ जाए तो वे उसके साथ रह सकती हैं।

Update: 2020-05-06 11:33 GMT
यहां मुस्लिम महिलाएं करती कई मर्दों से शादियां, कैसी है ये अनोखी परंपरा

नई दिल्ली। पाकिस्तान अपनी अजीबों-गरीब हरकतों की वजह से दुनियाभर में मशहूर है। पाकिस्तान के अफगानिस्तान का सच सामने आया है। अफगानिस्तान से लगे हुए बॉर्डर पर कलाशा नाम की जनजाति पाकिस्तान के बेहद कम संख्या वाले अल्पसंख्यकों में है। इसके सदस्यों की संख्या करीब पौने 4000 है। वैसे तो ये जनजाति अपनी अजीबोगरीब परंपराओं के लिए बहुत चर्चित है। इसमें सबसे ज्यादा खास मामला ये है कि समुदाय की विवाहित महिलाओं को दूसरा पुरुष पसंद आ जाए, तो वे अपनी शादी तोड़ देती हैं और उसकी ही हो जाती हैं। चलिए जानते है आखिर क्या है ये परंपरा।

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पहले जान लें जनजाति के बारें में

बॉर्डर से सटे कलाशा जनजाति खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में चित्राल घाटी के बाम्बुराते, बिरीर और रामबुर एरिया में रहता है। ये समुदाय हिंदूकुश पहाड़ों से चारों ओर घिरा हुआ है और मानता ये है कि इसी पर्वत श्रृंखला से घिरा होने के कारण उसकी सभ्यता और संस्कृति अभी तक बची हुई है।

बता दें, इस पहाड़ के कई ऐतिहासिक कथाएं भी हैं, जैसे इसी इलाके में सिकंदर की जीत के बाद इसे कौकासोश इन्दिकौश कहा जाने लगा। वहीं यूनानी भाषा में इसका मतलब हिंदुस्तानी पर्वत है। इन्हें सिकंदर महान का वंशज भी माना जाता है।

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औरतें-मर्द सभी साथ मिलकर शराब पीते

2018 में पहली बार कलाशा जनजाति की गणना के मुताबिक आबादी 3800 है। यहां के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं और किसी भी त्यौहार पर औरतें-मर्द सभी साथ मिलकर शराब पीते हैं और जश्न मनाते हैं।

कोई भी छोटा-बड़ा आयोजन होता है इस जनजाति में, तो संगीत जरूर होता है। ये त्यौहार पर बांसुरी और ड्रम बजाते हुए नाचते-गाते मनाते हैं। हालांकि अफगान और पाकिस्तान के बहुसंख्यकों से डर के कारण से ये ऐसे मौकों पर भी साथ में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र से लेकर आधुनिक बंदूकें भी रखते हैं।

औरतें संभालती घर

हालांकि कलाशा जनजाति में घर के लिए आमदनी का ज्यादातर भार औरतों ने संभाला हुआ है। वे भेड़-बकरियां चराने के लिए पहाड़ों पर जाती हैं। घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिन्हें बेचने का काम पुरुष करते हैं।

इस जनजाति की महिलाएं सजने-संवरने की बहुत शौकीन होती हैं। ये महिलाएं सिर पर खास किस्म की टोपी और गले में पत्थरों की रंगीन मालाएं पहनती हैं।

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तीन त्यौहार बेहद खास

ये जनजाति सालभर में तीन त्यौहार बेहद खास होते हैं- Camos, Joshi और Uchaw। इनमें से भी सबसे बड़ा त्यौहार Camos होता है जिसे दिसंबर में मनाया जाता है।

और यही वो मौका है जिसमें महिलाएं -पुरुष और लड़के-लड़कियां आपस में मेल-मुलाकात करते हैं। बस यही वो कीमती समय होता है, जब बहुत से लोग नए-नए रिश्ते में जुड़ जाते हैं।

इस जनजाति के लोगों में संबंधों को लेकर इतना खुलापन है कि शादीशुदा महिलाओं को अगर कोई दूसरा पुरुष पसंद आ जाए तो वे उसके साथ रह सकती हैं।

पाकिस्तान में औरतें कैद, यहां ये

ऐसे में पाकिस्तान जैसे देश में जहां महिला की आजादी बस उनके कमरे तक ही सीमित होती है, वहीं इस जनजाति में औरतों को इतनी आजादी दी जाती है कि वे कभी भी अपना मनपसंद साथी चुन सकती हैं।

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और तो और महिलाएं पति चुनती हैं, उनके साथ रहती हैं लेकिन अगर शादी में साथी से खुश नहीं हैं और कोई दूसरा पसंद आ जाए तो बिना शोर मचाया बिना किसी कार्यवाही किये, दूसरे के साथ जा सकती हैं।

पीरियड्स के दौरान

लेकिन मॉर्डन तौर-तरीकों के बाद भी महिलाओं पर कई रोकटोक भी हैं। जैसे पीरियड्स के दौरान वे घर से बाहर बने घर में रहने को मजबूर की जाती हैं। इस दौरान उन्हें अपवित्र माना जाता है।

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मौत पर जश्न

साथ ही ये भी मान्यता है कि घर में रहना या परिवार के लोगों को छूने पर ईश्वर नाराज हो जाएंगे, जिससे बाढ़ या अकाल जैसे हालात हो सकते हैं। इसे बशाली घर कहा जाता है जिसकी दीवार पर लिखा होता है कि इसे छूना मना है।

वहीं इस विचित्र जनजाति के कई तौर-तरीके बिल्कुल अलग और अजीब हैं। जैसे किसी की मौत होने पर रोते नहीं है, बल्कि खुशियां मनाते हैं। मृत्यु का क्रियाकर्म के दौरान ये लोग जाने वाले के लिए खुशी मनाते हुए नाचते-गाते और शराब पीते हैं। वे मानते हैं कि कोई ऊपरवाले की मर्जी है उसी में हमारी खुशी है।

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