म्यांमार में जनता पर आफत, हो रही ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार

म्यांमार में 1 फरवरी से ही राजनीतिक उथल-पुथल जारी है और जब से लोग लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं, सेना और पुलिस उनकी आवाज दबाने के लिए बल का प्रयोग कर रही है।

Update: 2021-03-08 05:40 GMT
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद जनता का दमन बढ़ता ही जा रहा है। देश में सेना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी है।

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद जनता का दमन बढ़ता ही जा रहा है। देश में सेना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी है। हर दिन सुरक्षाबल कहीं न कहीं गोलियों की बौछार करते हैं, ग्रेनेड चलाते हैं जिससे दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं। लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे लोगों, छात्रों और शिक्षकों को बड़े पैमाने पर गिरफ्तार किया जा चुका है।

म्यांमार में 1 फरवरी से ही राजनीतिक उथल-पुथल जारी है और जब से लोग लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं, सेना और पुलिस उनकी आवाज दबाने के लिए बल का प्रयोग कर रही है। म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन एस बर्गनर ने कहा कि सेना के तख्तापलट के बाद से अब तक 50 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।

म्यांमार में हर रोज सेना के तख्तापलट के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं और इसकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। सेना ने देश के अस्पतालों और विश्वविद्यालयों में कब्जा जमा लिया है। राजनीतिक कैदियों के लिए स्वतंत्र सहायता संघ ने दावा किया है कि 1700 लोगों को नजरबंद किया गया है।

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बढ़ रहा दबाव

इस बीच म्यांमार की सेना पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी देश म्यांमार के जनरलों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। अमेरिका ने कहा कि वह आगे की कार्रवाई पर विचार कर रहा है। लेकिन म्यांमार के जनरल वैश्विक निंदा को नजरअंदाज कर रहे हैं। सैन्य तख्तापलट का विरोध में बड़े व्यापार यूनियनों ने देशव्यापी अनिश्चितकालीन बंद बुलाया है। देश के नौ यूनियनों के संगठन ने कहा है कि वक्त आ गया है कि हम अपने लोकतंत्र को बचाएं। ये प्रदर्शन तब और तेज हो गए, जब म्यांमार की नेता और आंग सान सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी के एक सदस्य खिन मौंग लाट 7 मार्च की सुबह एक सैन्य अस्पताल में मृत पाए गए।

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म्यांमार से मिजोरम आए आठ पुलिसकर्मी

इस बीच म्यांमार से जान बचा कर भागे 8 पुलिसवालों ने भारत में पनाह ली है। म्यांमार की सैन्य सरकार ने भारत से कहा है कि वह इन पुलिसवालों को उन्हें सौंप दे। मिजोरम के सरछिप जिले की पुलिस का कहना है कि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि शरण लिए हुए लोग आम नागरिक हैं या पुलिस के जवान।

मिजोरम पुलिस का कहना है कि हाल में 100 से अधिक लोगों ने राज्य में शरण लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने का प्रयास किया था। हालांकि, बार्डर पर तैनात असम राइफल्स के सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में अवैध प्रवेश की अनुमति नहीं दी।

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