नेपाल ने फिर दिया भारत को झटका, चीन पर किया ये बड़ा एलान

भारत और नेपाल के बीच सालों से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण रिश्ते में बीते कई महीनों से खटास पैदा हो गई है। दोनों के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

Update:2020-08-04 11:47 IST
PM KP Oli

नई दिल्ली: भारत और नेपाल के बीच सालों से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण रिश्ते में बीते कई महीनों से खटास पैदा हो गई है। दोनों के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कहा जा रहा है कि चीन के हस्तक्षेप की वजह से नेपाल और भारत में तनाव बढ़ा है। इस बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने नेपाल के चीन की तरफ बढ़ते झुकाव और आंतरिक राजनीति में दखल का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि पहले हम भारत की ओर ज्यादा झुके थे, लेकिन अब हम सही रास्ते पर आ गए हैं।

चीन की तरफ झुकाव वाला आरोप परेशान करने वाला

नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार या नेपाल का चीन की तरफ झुकाव वाला आरोप परेशान करने वाला है। हम यह कई बार कह चुके हैं कि हम एक संतुलित और राष्ट्रीय हित पर आधारित संबंध बनाते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने दोनों पड़ोसी देशों भारत और चीन के साथ सहयोग और साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। हमारे लिए दोनों ही देश के सहयोग जरूरी है। हम एक की कीमत पर दूसरे के रिश्ते को बढ़ावा या अनदेखा नहीं कर सकते।

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हमने एकतरफा ढलान को सही जगह लाने का प्रयास किया

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने आगे कहा कि नेपाल ने चीन को जो अब समझ दी है, वास्तव में वह इतिहास में पहले से ही होनी चाहिए थी। नेपाल पहले एक तरफ झुक गया। अब हमने उस एकतरफा ढलान को सही जगह लाने का प्रयास किया है। इसलिए नेपाल कहीं नहीं झुक रहा। हमने एकतरफा निर्भरता को खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि नेपाल अपने राष्ट्रीय हित के मद्देनजर दोनों पड़ोसियों के साथ सहयोग के साथ आगे बढ़ने का प्रयास किया है।

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इसलिए चीन के साथ किया परिवहन समझौते पर हस्ताक्षर

विदेश मंत्री ने कहा कि हम कनेक्टिविटी को विविधता देना चाहते हैं, इसलिए हमने चीन के साथ एक परिवहन समझौते पर हस्ताक्षर किया है। हम दोनों ही देशों के साथ एक बहुआयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क से जुड़ना चाहते हैं, ताकि हमारे पास ज्यादा ऑप्शन हों। उन्होंने कहा कि हमें मालूम है कि भारत और चीन के बीच विवाद है, लेकिन 21वीं सदी को एशियाई सदी कहा जाता है।

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दोनों पक्षों के बीच अगर कोई विवाद है तो हम किसी एक का पक्ष नहीं लेंगे

इस संदर्भ में, भारत और चीन के बीच जितनी अच्छी समझ विकसित हो और सहयोग हो, क्षेत्र में स्थिरता व समृद्धि बढ़ेगी। साथ ही यह विश्व शांति के लिए एक उपलब्धि भी होगी। इसिलए दोनों देशों के बीच की दूरी को कम होने दें और सहयोग बढ़ाएं। हम भी यहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अगर कोई विवाद है तो हम किसी एक का पक्ष नहीं लेंगे। हम योग्यता और मुद्दे के आधार पर अपने रिश्तों को आगे बढ़ाते है।

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ये सोचना गलत है कि नेपाल का चीन के प्रति झुकाव है

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि एक लैंडलॉक देश के तौर पर नेपाल को उत्पादन और परिवहन में किसी दूसरे देश के मुकाबले 20 फीसदी अधिक भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में इसे कम करने का केवल एक तरीका है, परिवहन सुविधाओं में विविधता लाना, जो कि नेपाल के हित में है। इसलिए ये सोचना गलत है कि नेपाल का चीन के प्रति झुकाव है।

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चीन दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता

वहीं नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की नेपाल की राजनीतिक दखल को लेकर नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह से हाल के दिनों मे चीनी राजदूत पर टिप्पणी की गई, उसमें मुझे भी एक दोष नजर आता है। चीन की घोषित नीति है। वह दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता, इसलिए चीन के साथ विकासशील देशों का सहयोग और विश्वास है। वह कई मसलों पर पहल करते हुए छोटे और विकासशील देशों की वकालत करता आया है। इसलिए चीन पर नेपाल के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाना गलत है।

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चीनी राजदूत पर लगे थे ये आरोप

बता दें कि नेपाल की चीनी राजदूत होई यान्की बीते दिनों खुले तौर पर नेपाल की घरेलू राजनीति में दखल देती हुई दिखाई दी। साथ ही ली को सियासी संकट से बाहर निकालने के लिए नेपाल में चीन के राजदूत होऊ यांगी भी काफी प्रयास किया। इसलिए इसे लेकर नेपाल में भी सवाल खड़े होने लगे थे कि एक राजदूत घरेलू राजनीति में इतनी दखल क्यों दे रही हैं। यहीं नहीं नेपाल के भारत विरोधी इस कदम के पीछे चीनी राजदूत का ही दिमाग़ बताया जा रहा है।

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