नॉर्वे को ज्यादा बच्चों की जरूरत है : प्रधानमंत्री एरना सोल्बर्ग

Update:2019-01-25 14:17 IST
नॉर्वे को ज्यादा बच्चों की जरूरत है : प्रधानमंत्री एरना सोल्बर्ग

ओस्लो : पिछले दिनों नॉर्वे की प्रधानमंत्री ने एरना सोल्बर्ग कहा, 'नॉर्वे को ज्यादा बच्चों की जरूरत है, मुझे नहीं लगता कि किसी को बताने की जरूरत है कि यह कैसे होगा।' वास्तव में यह देश की एक बड़ी चिंता है। उत्तर यूरोपीय देशों में बहुत कम बच्चे पैदा हो रहे हैं। यह देश लंबे समय तक अपनी मजबूत प्रजनन दर के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन अब यहां की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। हालत अब यह है कि प्रजनन दर की गिरावट से उनके कल्याणकारी स्वरूप को खतरा पैदा हो गया है, जिसके लिए पैसा टैक्स से आता है। प्रधानमंत्री एरना सोल्बर्ग ने नॉर्वेवासियों को चेतावनी देते हुए कहा, 'आने वाले दशकों में हमें इस स्वरूप के साथ समस्या होने वाली है। कल्याणकारी राज्य का भारी बोझ उठाने के लिए बहुत कम युवा लोग होंगे।'

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नॉर्व, फिनलैंड और आइसलैंड में जन्मदर में भारी कमी है। 2017 में यह 1.49-1.71 बच्चे प्रति महिला तक आ गई जो ऐतिहासिक रूप से सबसे कम है। महज कुछ हाल पहले तक इनकी जन्मदर 2.1 के आस पास थी जो उनकी आबादी को स्थिर बनाए रखने के लिए जरूरी है। उत्तर यूरोपीय देशों में 2008 के वित्तीय संकट के बाद आबादी की दर नीचे गिरने लगी थी। यह संकट तो दूर हो गया लेकिन जन्मदर अब भी नीचे जा रही है।

कोपेनहेगेन से लेकर नॉर्थ केप और हेलसिंकी से रेक्याविक तक सभी उत्तर यूरोपीय इलाकों की जनसंख्या देखें तो साफ तौर पर दो बातें सामने आती हैं: बड़े परिवार बहुत कम हैं और महिलाएं अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए लंबा इंतजार कर रही हैं। इसकी कोई साफ वजह तो नहीं बताई जा सकती लेकिन आर्थिक अस्थिरता और घर की कीमत में भारी इजाफे को कारणों में शामिल किया जा सकता है। लंबे समय के लिए सोचें तो इसका मतलब है कि कामकाजी उम्र के कम ही लोग होंगे जो टैक्स देंगे। इसी पैसे से यह उदार देश कल्याणकारी तंत्र चलाते हैं। इन देशों में जिन चीजों के लिए सरकार से पैसा मिलता है उनमें मां बाप के लिए लंबी छुट्टियां भी शामिल हैं।

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स्थिति को सुधारने के लिए विशेषज्ञ अलग अलग तरह की राय दे रहे हैं। नॉर्वे में एक अर्थशास्त्री ने चिंता जताई कि जनसंख्या की रफ्तार धीमी पडऩे से आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा। उनके मुताबिक हर बच्चे के लिए उसकी मां को पेंशन में 50 हजार यूरो दिए जाने चाहिए। इसके उलट एक दूसरे अर्थशास्त्री की राय है कि 50 साल की उम्र तक जो महिला बच्चे पैदा नहीं करती उसे एक लाख यूरो देने चाहिए क्योंकि बच्चों के कारण समाज पर भी काफी बोझ पड़ता है।

फिनलैंड की नगर निगमों ने तो पहले ही अपने खजाने के मुंह खोल दिया है। 2000 बाशिंदों के शहर मिहीक्काला अपने यहां पैदा होने और पलने वाले हर बच्चे के लिए 10 हजार यूरो की रकम दे रहा है। बिना बच्चे वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और तीन या उससे ज्यादा बच्चे वाली महिलाएं कम होती जा रही हैं। फिनलैंड के आधुनिक दौर में इस तरह की गिरावट पहले कभी नहीं सुनी गई। इस बीच डेनमार्क में कोपेनहेगेन ने अपना ध्यान पुरुषों पर लगाया है। अभियान चला कर उन्हें यह जानकारी दी जा रही है कि उम्र बढऩे के साथ कैसे शुक्राणुओं की गुणवत्ता में गिरावट आने लगती है।

उत्तर यूरोपीय देश पहले ही परिवार के लिए अनुकूल उपायों को अपनाने के लिए जाने जाते हैं। मसलन सुविधाजनक कामकाजी घंटे और बच्चों का ख्याल रखने के लिए डे केयर सेंटरों का विशाल नेटवर्क और मां बाप के लिए उदारता से छुट्टियां यहां के तंत्र में पहले से ही मौजूद है लेकिन जब इतने से भी काम नहीं चल रहा तो भी प्रवासन ही एकमात्र उपाय हो सकता है, लेकिन बहुतों के लिए यह खतरा भी है।

स्वीडन में जन्मदर में कमी आई है लेकिन यह अब भी फ्रांस के बाद यूरोपीय संघ का दूसरा सबसे ज्यादा जन्मदर वाला देश है। 2016 में प्रति महिला यहां 1.85 बच्चों ने जन्म लिया। हालांकि इसके बीचे बड़ी भूमिका यहां दशकों से चला आ रहा प्रवासन है। प्रवासी महिलाएं औसत स्वीडनवासियों की तुलना में ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं। हालांकि अल्पसंख्यकों की आबादी का बढऩा बहुसंख्यकों को चिंता में डाल देता है।

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