बच गया ब्रिटेन: लोगों में विकसित हुई हर्ड इम्युनिटी, अब नहीं होगा कोरोना

अब ब्रिटेन ने बड़ा दावा किया है। यहां वायरस के दूसरे स्टेज के पहुँचने की स्थिति में आने पर लोगों में हार्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी हैं।

Update:2020-07-17 23:00 IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते समरकामन के बीच दुनिया के तमाम देश इलाज और बचाव के लिए शोध कर रहे हैं। दवाई और वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। ऐसे में अब ब्रिटेन ने बड़ा दावा किया है। यहां वायरस के दूसरे स्टेज के पहुँचने की स्थिति में आने पर लोगों में हार्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी हैं।

स्टडी में दावा- ब्रिटेन के लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित

दरअसल, ब्रिटेन में स्थित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना वायरस को लेकर हुए एक अध्ययन में ये दावा किया जा रहा है कि ब्रिटेन के लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। कहा गया कि सामूहिक तौर पर हर्ड इम्युनिटी का स्तर इतना है कि वे भयानक कोरोना वायरस के फिर से फैलने पर उसका सामना कर सकते हैं।

हर्ड इम्युनिटी से मतलब:

बता दें कि हर्ड इम्‍यूनिटी एक ऐसी अवस्‍था होती है जब आबादी का एक निश्चित हिस्‍सा उस बीमारी के प्रति इम्‍यून हो जाता है। स्टडी में कहा गया कि किसी भी महामारी वाले क्षेत्र में संक्रमण की रोकथाम के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का जरूरी स्तर 50 प्रतिशत अधिक होता है। बताया गया कि जब अच्छी या बेहतर इम्युनिटी वाले लोग कम इम्युनिटी वाले लोगों के साथ मिलते-जुलते हैं तो सामूहिक हर्ड इम्युनिटी का स्तर तेजी से घटता है। यानी वायरस फैलने की स्थिति कम हो जाती है।

कैसे होती है हर्ड इम्युनिटी हासिल

हर्ड इम्‍यूनिटी पर्याप्‍त संख्‍या में लोगों के प्रभावित होने के बाद इम्‍यून होने से प्राप्त हो सकती है। यानि अगर एक निश्चित आबादी इम्‍यून हो जाए तो वो लोग किसी और को संक्रमण से प्रभावित नहीं कर पाएंगे। इससे कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन की चेन टूट जाएगी।

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भारतीय मूल की प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता कोरोना स्टडी में शामिल

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए इस स्टडी में भारतीय मूल की प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता भी शामिल हैं। सुनेत्रा थियोरेटिकल एपिडेमियोलॉजी की प्रोफेसर हैं। प्रो. सुनेत्रा ने अपने सहयोगियों जोस लॉरेंसो, फ्रांसेस्को पिनोटी और क्रेग थांपसन के साथ किये गए अध्ययन में कहा कि मौसमी कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बीमारी के लक्षणों की रोकथाम होने के बड़ी संख्या में प्रमाणों को देखते हुए यह मानना तर्कसंगत होगा कि कोरोना वायरस की चपेट में आने से भी इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर दोबारा महामारी का कहर बरपेगा तो अपेक्षाकृत बहुत कम लोगों की मौत होगी। वहीं कम उम्र के लोगों में बीमारियों के मामले कम होंगे।

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