कभी पाक की हां में हां मिलाने वाला सऊदी कैसे उससे दूर होता चला गया? यहां जानें

पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्ते लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं। एक समय था जब सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया था और भारत को नीचा दिखाने की पूरी कोशिश की थी।

Update:2020-08-23 12:39 IST
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान, सऊदी के प्रिंस सलमान और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

नई दिल्ली: पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्ते लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं। एक समय था जब सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया था और भारत को नीचा दिखाने की पूरी कोशिश की थी।

उसने पाकिस्तान के समर्थन में तमाम बातें भी कही थी लेकिन अब वही सऊदी अरब आज कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की मदद करने से पीछे हट रहा है और इस मामले में भारत के खिलाफ कुछ भी बोलने से बच रहा है।

ये सब अचानक से नहीं हुआ है बल्कि इसके पीछे वजह भारत का दुनिया में बढ़ता दबदबा माना जा रहा है। यही वजह है कि आज चाहें भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मसला हो या फिर चीन और भारत के बीच सीमा विवाद का मसला हो। अमेरिका, सऊदी समेत दुनिया के तमाम बड़े देश भारत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और सऊदी के प्रिंस सलमान की फाइल फोटो

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अचानक से नहीं हुआ ये सब

जहां तक सऊदी और पाकिस्तान के बीच रिश्ते में दरार पड़ने की बात है तो ये सब अचानक से नहीं हुआ है बल्कि दोनों देशों की तरफ से हाल के दिनों में कुछ ऐसे बयान सामने आए हैं। जिसकी वजह से दोनों देशों के रिश्ते में खटास आ गई है।

कोरोना के बीच सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्ते भी बदलते दिख रहे हैं। दोनों देश लंबे वक्त से दोस्ती निभा रहे थे। सऊदी कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आता था। अब वो एकदम से साथ छोड़ता दिख रहा है। उसने इस्लामाबाद को कच्चे तेल की सप्लाई और लोन पर रोक लगा दी।

कश्मीर मुद्दे पर भी वो कुछ कहने से बच रहा है। आइये हम आपको बताते हैं कि सऊदी और पाक के बीच की बढ़ती दूरी कैसे भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

क्या है विवाद का कारण

बताते चलें कि सऊदी ने पाकिस्तान के साथ साल 2018 में 6.2 बिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ये सौदा मई 2020 में खत्म होने वाली थी और उसके रिन्यूअवल की बात हो रही थी। हालांकि डील रिन्यू करने की बजाए सऊदी ने तेल की सप्लाई रोक दी। साथ ही साथ दिए गए कर्ज की पूरी वसूली की बात कही थी।

लेकिन सऊदी और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के एक बयान के बाद से आनी शुरू हुई। कश्मीर मसले पर सऊदी की चुप्पी से परेशान मंत्री कुरैशी ने एक चैनल में अपनी भड़ास निकाली। उनके भड़काऊ बयान के तुरंत बाद रियाद ने पाक को कच्चे तेल की आपूर्ति पर रोक लगा दी।

यहां ये भी जानना जरूरी है कि पाकिस्तान को सऊदी को 3 अरब डॉलर लौटाने थे। इनमें से एक अरब डॉलर उसने चीन से उधार लेकर लौटा दिए। लेकिन अभी भी दो अरब डॉलर का कर्ज चुकाना बाकी हैं।

इसके लिए मोहलत देने की बात करने के लिए पाक सेना प्रमुख जनरल बावजा रियाद भी गए थे लेकिन वहां क्राउन प्रिंस ने उन्हें बिना मुलाकात के लौटा दिया। जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते में दरार पड़ गई।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की फाइल फोटो

कभी पाक की हां में हां मिलाता था सऊदी

आपको बता दे कि एक वक्त ऐसा भी था जब सऊदी अर्ब पाकिस्तान की हर बात में हां में हां मिलता था। सऊदी और पाक का रिश्ता कई दशक पुराना रहा है।

मालूम हो कि साल 1971 में भारत-पाक लड़ाई के दौरान सऊदी ने पाकिस्तान के समर्थन में काफी सारे बयान दिए थे और भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं तब रियाद ने पाकिस्तान को हथियारों और 75 एय्रक्राफ्ट भी दिए थे।

लड़ाई के बाद पाकिस्तान को सैन्य तौर पर मजबूती देने के लिए सऊदी ने 1 मिलियन डॉलर की रकम उधार पर दी। इसके बाद से अगले दो दशकों तक लगातार पाक को रियाद की तरफ से कच्चा तेल और उधार मिलता रहा। यहां तक कि पाकिस्तान में मदरसों के लिए भी रियाद की तरफ से काफी बड़ी फंडिंग मिलती रही। इसके बदले में पाकिस्तान ने भी दोस्ती निभाते हुए ईराक से खिलाफ अपनी सेना सऊदी को भेजी।

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और सऊदी के प्रिंस सलमान की फाइल फोटो

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सऊदी और पाकिस्तान में ऐसे बढ़ती गई दूरियां

इसकी शुरुआत कश्मीर मुद्दे से होती है। पहले सऊदी की अगुवाई में कई इस्लामिक देश भारत पर दबाव बनाने की कोशिशें करते रहे। वे पाक के पक्ष में बातें करते रहे और मुद्दे को अन्तराष्ट्रीय मंच पर भी उठाने की कोशिश की।

लेकिन पिछले एक दशक में इस ट्रेंड में काफी परिवर्तन आया है। तुर्की और मलेशिया जैसे इस्लामिक देश जरूर अब भी कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं लेकिन सऊदी अब इसे भारत का आंतरिक मुद्दा कहने लगा है। ये भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और सऊदी के प्रिंस सलमान की फाइल फोटो

 

क्राउन प्रिंस ने की शुरुआत

दरअसल क्राउन प्रिंस अपने देश को तेल के भरोसे चलने वाली अर्थव्यवस्था को और भी ज्यादा मजबूत बनाना चाहते हैं। इसी दिशा में भारत उन्हें अहम साझेदार लगता है।

यही वजह है कि क्राउन प्रिंस के ताकतवर होने के बाद से रियाद ने धीरे-धीरे कश्मीर नीति से अपना पल्ला झाड़ लिया। भारत ने भी अमेरिकी प्रतिबंध के बाद से ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है। ऐसे में सऊदी उसके लिए कच्चे तेल का महत्वपूर्ण सोर्स हो सकता है।

पीएम नरेंद्र मोदी और प्रिंस सलमान की फाइल फोटो

सऊदी दिख रहा भारत के साथ

इसकी एक वजह कश्मीर से धारा 370 हटने पर सऊदी की ठंडी प्रतिक्रिया भी रही। धारा हटने से बौखलाए पाकिस्तान ने इस्लामिक देशों पर आरोप लगाया था कि वे कश्मीर मामले में पाकिस्तान की कोई मदद नहीं कर रहे।

अपनी तरफ से सऊदी दोस्ती का हाथ बढ़ाता दिख रहा है।

साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद विंग कमांडर अभिमन्यु को पाकिस्तान से छुड़ाने में अमेरिका के साथ-साथ सऊदी और यूएई का हाथ भी माना जाता रहा है। इसके बाद से ही पाकिस्तान अपने पुराने दोस्त सऊदी से खुन्नस रखने लगा।

भारत से दोस्ती में अपना हित देखते सऊदी ने हाल ही में पाक विदेश मंत्री के भड़काऊ बयान को एक तरह से दोस्ती के अंत की तरह लिया। इसके साथ ही उसने पाकिस्तान को उधार पर तेल देने से मना करते हुए उससे अपने बकाया भी मांग लिए। इस तरह से सऊदी और भारत फिलहाल एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वहीं पाकिस्तान अकेला खड़ा और चीन से मदद मांग रहा है।

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