गरीब हुआ पाकिस्तान: जनता को मिला लाल कार्ड, इमरान के बुरे दिन शुरू
आधार वर्ष में बदलाव का मतलब है कि वित्त वर्ष 2016 में अर्थव्यवस्था के मूल्य स्तर के आधार पर महंगाई मापी जाएगी । दो महीने पहले तक आधार वर्ष 2008 था । इसके मुताबिक सितंबर में महंगाई दर 12.55 फीसदी थी । अगस्त के मुकाबले यह 0.92 फीसदी ज्यादा है।
इस्लामाबाद: पड़ोसी मुल्क अपनी ख़राब होती अर्थव्यवस्था को लेकर काफी चिंतित है । पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान की सरकार की आवाम बढ़ती महंगाई से काफी परेशान है । यहां तक कि रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं लगातार महंगी होती जा रही है । पाकिस्तान की सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) ने इस सम्बन्ध में आंकड़े जारी किए हैं । जिससे पता चला कि सितंबर में साल-दर-साल महंगाई 11.4 फीसदी बढ़ी है ।
पिछले महीने की तुलना में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के माध्यम से मापी गई महंगाई में 0.77 फीसदी की बढ़त हुई है । आधार वर्ष 2015-16 के हिसाब से सितंबर में महंगाई 11.37 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने में 10.49 फीसदी थी ।
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लगातार बढ़ रही है मंहगाई दर
आधार वर्ष में बदलाव का मतलब है कि वित्त वर्ष 2016 में अर्थव्यवस्था के मूल्य स्तर के आधार पर महंगाई मापी जाएगी । दो महीने पहले तक आधार वर्ष 2008 था । इसके मुताबिक सितंबर में महंगाई दर 12.55 फीसदी थी । अगस्त के मुकाबले यह 0.92 फीसदी ज्यादा है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए आधार वर्ष के हिसाब से सबसे कम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जुलाई में, 8.4 फीसदी था, जो सितंबर में बढ़कर 11.37 फीसदी हो गया है ।
डाटा के मुताबिक, शहरी सीपीआई में 35 शहर और 356 उपभोक्ता वस्तुओं को ध्यान में रखा गया है । इसमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सितंबर में साल-दर-साल 11.6 फीसदी बढ़ी है। वहीं ग्रामीण इलाकों के 27 रूरल सेंटर और 244 वस्तुओं को ध्यान में रखा गया है । इसमें 11.1 फीसदी की बढ़त हुई है ।
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IMF के अनुसार अभी और बढ़ेगी महंगाई
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, पाकिस्तान में महंगाई 13 फीसदी बढ़ेगी। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह दर 11 फीसदी है। 11 फीसदी की दर पिछले महीने ही पार हो गई थी। अगस्त 2018 से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट के दौर में है ।
इमरान खान का नया पाकिस्तान देने का वादा धरा का धरा रह गया
जब से इमरान खान ने सत्ता संभाली है, तब से लेकर अभी तक मुल्क की अर्थव्यवस्था में किसी तरह का विकास देखने को नहीं मिला है । वहां की जनता लगातार महंगाई की मार झेल रही है । सत्ता संभालने के बाद इमरान खान सरकार ने लोगों को नया पाकिस्तान बनाने का वादा किया था । लेकिन लोगों को नया पाकिस्तान में केवल बढ़ती महंगाई का दंश लगातार महसूस हो रहा है।
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यह है अर्थव्यवस्था का हाल
जीडीपी अगस्त 2018 में 5.5 फीसदी थी, जो अब 3.3 फीसदी हो गई है । पाकिस्तानी रुपये का लगातार अवमूल्यन हो रहा है, जिससे एक-पांचवा हिस्सा खो चुका है।
महंगाई दर के अगले एक साल में 13 फीसदी के पार जाने की संभावना है, जो कि दस साल का उच्चतम स्तर है ।राजकोषीय घाटा जीडीपी का 7.1 फीसदी है, जो सात साल का उच्चतम स्तर है।
ग्रॉस पब्लिक डेट जीडीपी का 77.6 फीसदी है।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 51.7 फीसदी गिर गया है।
विदेशी निजी निवेश में 64.3 फीसदी की गिरावट है।
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ये है बड़ा कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गिरावट का
पाकिस्तान अपने पुराने कर्ज को चुकाने के लिए और अधिक नया कर्ज ले रहा है । आईएमएफ, चीन और सऊदी अरब से लोन मिलने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है । इसके अलावा सरकारी कंपनियों को भी लगातार घाटा हो रहा है। पाकिस्तान में केवल एक फीसदी लोग ही टैक्स जमा करते हैं । यह पूरी दुनिया में सबसे कम टैक्स और जीडीपी (11 फीसदी) का अनुपात है।