पाकिस्तान का कृष्ण मंदिर: इमरान को नहीं हजम हो रहा ये, चल रहा जबरदस्त विरोध

पाकिस्तान के बारे में और उसकी नापाक हरकतों के बारे में सभी जानते हैं। ऐसे में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहले मंदिर के बनने की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हो पाई थी, कि इसका भीषण विरोध पहले ही शुरू हो गया।

Update: 2020-07-02 07:51 GMT

नई दिल्ली। पाकिस्तान के बारे में और उसकी नापाक हरकतों के बारे में सभी जानते हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहले मंदिर के बनने की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हो पाई थी, कि इसका भीषण विरोध पहले ही शुरू हो गया। ऐसे में स्थितियां ये हो गई हैं कि इस मंदिर के निर्माण के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है। जबकि मंदिर अभी बनना शुरू ही हो पाया था।

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जबरदस्त विरोध

बात ये है कि बीते एक हफ्ते पहले ही इस मंदिर की एक दीवार की नींव रखी गई थी। पाकिस्तान पीएम इमरान खान ने मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रूपये की मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन अब इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है।

पाकिस्तान के टीवी चैनल 'नया दौर टीवी' के अनुसार, धार्मिक संस्थान जामिया अशर्फिया मंदिर बनाने के खिलाफ फतवा जारी कर दिया है। इस संस्थान ने मंगलवार को कहा कि मंदिर निर्माण इस्लाम के खिलाफ है।

इसी सिलसिले में जामिया अशर्फिया के लाहौर प्रमुख मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता। लोगों के टैक्स के पैसे को मंदिर निर्माण में खर्च करना सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करता है।

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धार्मिक आजादी का अधिकार

और तो और मंदिर निर्माण विरोध करते हुए इस मंदिर निर्माण के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई। हालांकि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर निर्माण पर स्टे ऑर्डर से इनकार कर दिया है।

इस मुद्दे पर अदालत ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को भी धार्मिक आजादी का उतना ही अधिकार है जितना कि बहुसंख्यकों को है।

ऐसे में इस कृष्ण मंदिर के प्रबंधन का काम देख रही हिंदू पंचायत इस्लामाबाद के लाल चंद्र माल्‍ही का कहना है कि विरोध के बावजूद मंदिर का निर्माण जारी रहेगा। लाल चंद्र माल्‍ही पाकिस्‍तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव भी हैं।

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सरकार ने मंदिर के निर्माण के लिए जमीन दी

इस बारे में उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा,'"यह इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर होगा। सरकार ने मंदिर के निर्माण के लिए जमीन दी है।'

इस मंदिर का नाम इस्‍लामाबाद हिंदू पंचायत ने श्रीकृष्‍ण मंदिर रखा है। इस मंदिर के लिए वर्ष 2017 में जमीन दी गई थी लेकिन कुछ औपचारिकताओं की वजह से 3 साल से ये रूका हुआ था। सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, इस मंदिर परिसर में एक अंतिम संस्‍कार स्‍थल भी होगा। इसके अलावा अन्‍य हिंदू मान्‍यताओं के लिए अलग जगह बनाई जाएगी। जिससे हिंदू अपने रीति-रिवाजों को कर सकें।

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