पाकिस्तान की गद्दारी: अब शुरू इमरान का गंदा खेल, जाधव मामले में चली फिर चाल
पाकिस्तान में कैद भारतीय मुल्क के कुलभूषण जाधव के मामले में अब कोई भारतीय वकील या फिर 'क्वींस कांउसल' नियुक्त किए जाने की भारत की मांग को शुक्रवार को खारिज कर दिया है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में कैद भारतीय मुल्क के कुलभूषण जाधव के मामले में अब कोई भारतीय वकील या फिर 'क्वींस कांउसल' नियुक्त किए जाने की भारत की मांग को शुक्रवार को खारिज कर दिया है। नौसेना के पू्र्व अधिकारी कुलभूषण जाधव जासूसी के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रहे हैं, उनकी सजा पर पुनर्विचार की अपील की है। इसके साथ ही इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए किसी भारतीय वकील या ‘क्वींस काउंसल’ को नियुक्त करने की भी गुरुवार को मांग की गई थी।
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‘क्वींस काउंसल’ एक ऐसा बैरिस्टर
इस मामले में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि भारत जाधव की पैरवी के लिए लगातार पाकिस्तान से बाहर का वकील नियुक्त किए जाने की 'अतार्किक मांग' कर रहा है।
जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि, ' हमने भारत को सूचित किया है कि केवल उन वकीलों को पाकिस्तानी अदालतों में उपस्थित होने की अनुमति है जिनके पास पाकिस्तान में वकालत करने का लाइसेंस है। इस परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।'
आपको बता दें कि ‘क्वींस काउंसल’ एक ऐसा बैरिस्टर या अधिवक्ता होता है, जिसे लॉर्ड चांसलर की सिफारिश पर ब्रिटिश महारानी के लिए नियुक्त किया जाता है।
ऐसे में इस महीने के शुरूआत में पाकिस्तान में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने संघीय सरकार को निर्देश दिया था कि वह भारत को कुलभूषण जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिये वकील नियुक्त करने का एक और मौका दे। इसके साथ ही सुनवाई एक महीने के लिये स्थगित कर दी थी।
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अध्यादेश की अवधि को चार महीने बढ़ा दिया
अब पाकिस्तान की संसद ने उस अध्यादेश की अवधि को चार महीने बढ़ा दिया है, जो कुलभूषण जाधव को अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की इजाजत देता है, जैसा करने की अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) द्वारा जरूरत बताई गई थी।
बता दें, भारत ने सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे को कुलभूषण के वकील के तौर पर क्यूसी नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था। हरीश साल्वे इंग्लैंड और वेल्स की कोर्ट्स में भी क्यूसी हैं। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को साफ कर दिया कि वो दूसरे देशों के वकीलों को भी क्यूसी के तौर पर रखने को तैयार है।
इसी कड़ी में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग ठाकुर ने कहा, “पाकिस्तान ने अभी तक मुख्य मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया है, जिसमें मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों को बिना शर्त मुहैया कराना, बेरोक काउंसलर की पहुंच और भारतीय वकील या क्वींस काउंसल की नियुक्ति शामिल है। ताकि स्वतंत्र व निष्पक्ष सुनवाई हो सके।”
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