मुशर्रफ़ को फांसी: पाकिस्तान में सेना ने उठाया ये बड़ा कदम, बैकफुट पर इमरान सरकार
पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी पूर्व आर्मी प्रमुख को देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराया गया है और उसे मौत की सज़ा सुनाई गई।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी पूर्व आर्मी प्रमुख को देशद्रोह के मामले में दोषी ठहराया गया है और उसे मौत की सज़ा सुनाई गई।
अदालत के इस फ़ैसले पर पाकिस्तान की सेना ने कड़ा ऐतराज जताया है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर ने बयान जारी करके कहा है कि जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ अदालत के फ़ैसले से सेना को धक्का लगा है और यह काफ़ी दुखद है।
गफ़ूर ने अपने बयान में कहा है, ''पूर्व सेना प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने मुल्क की 40 सालों तक सेवा की है। जिस व्यक्ति ने मुल्क की रक्षा में जंग लड़ी वो कभी देशद्रोही नहीं हो सकता है।
इस अदालती कार्यवाही में संविधान की भी उपेक्षा की गई है। यहां तक कि अदालत में ख़ुद का बचाव करने का भी मौक़ा नहीं दिया गया, जो कि बुनियादी अधिकार है।
बिना ठोस सुनवाई के जल्दीबाजी में फ़ैसला सुना दिया गया है। '' ग़फ़ूर ने कहा कि पाकिस्तान की सेना उम्मीद करती है कि अदालती फ़ैसले मुल्क के संविधान के हिसाब से हो।
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बैकफुट पर आई इमरान सरकार
सेना के भारी विरोध के बीच पाकिस्तान इमरान सरकार बैकफुट पर आ गई है। इमरान सरकार की सूचना मंत्री डॉ. फिरदौस अवान ने मीडिया के समक्ष कहा कि सरकार मुशर्रफ की मौत की सजा की खुद विस्तार से समीक्षा करेगी। हालांकि, प्रधानमंत्री इमरान ने आज कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इस बैठक में मुशर्रफ का मुद्दा उठ सकता है।
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ये है विवाद की असली वजह
दरअसल, यह विवाद सेना के एक पत्र से उत्पन्न हुआ है, जो इस समय वायरल हो रहा है। पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा के बाद पाकिस्तान सेना में इस फैसले के खिलाफ नाराजगी है।
सोशल मीडिया पर इन दिनों यह बहस तेज हो गई है। सेना ने इस पर अभियान छेड़ रखा है। सेना ने मुशर्रफ की वीरता की तारीफ की है। पाकिस्तान के डीजी आइएसपीआर ने इसको लेकर एक ट्वीट किया और एक पत्र जारी किया है। इस पत्र को सेना ने शेयर किया है।
इस पत्र में कहा गया है कि पूर्व सेना प्रमुख, स्टाफ कमिटी के ज्वाइंट चीफ और पूर्व राष्ट्र्पति जिसने 40 वर्षों तक देश की सेवा की कई अहम युद्धों ने भाग हिस्सा लिया। ऐसे में वह गद्दार कैसे हो सकते हैं। इस पत्र के जरिए सेना ने मुशर्रफ का समर्थन किया है।
सेना ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाया
सेना ने अदालत के फैसले पर भी सवाल उठाया है। सेना का तर्क है कि अदालत ने सजा देने की प्रक्रिया में पाकिस्तान के संविधान की अनदेखी की गई है। पाकिस्तान सेना का तर्क है कि पूर्व राष्ट्रपति का सजा देने में संविधान की अनदेखी की गई है।
आत्मारक्षा का अधिकार का उल्लंघन किया गया है। इसमें मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। सेना के इस पत्र में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि परवेज मुशर्रफ के साथ न्याय किया जाएगा।
बताते चले कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को ऐसी सजा सुनाई। फिलहाल, परवेज मुशर्रफ दुबई में हैं।
3 नवंबर, 2007 को देश में इमरजेंसी लगाने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था।
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