इमरान खान ने कहा- पाक की सरजमीं नहीं आतंकियों की पनाहगाह, जानें क्यों दी सफाई
फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force/FATF) की एक अहम बैठक शुरू हो चुकी है। ये बैठक 21 फरवरी तक चलेगी। इस बैठक में पाकिस्तान के भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
इस्लामाबाद दुनियाभर में टेरर फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई करने वाले कार्यबल एफएटीएफ (FATF) की पैरिस में होने वाली अहम बैठक से पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के दावे करने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि उनका देश अब आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं है।
हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माना कि शायद पहले ऐसा नहीं था। बता दें कि पाकिस्तान टेरर फंडिंग के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाने को लेकर एफएटीएफ की काली सूची में डाले जाने से बचने की कोशिश में जुटा है। वह फिलहाल इस वैश्विक संगठन की ग्रे लिस्ट में है। देश में अफगान शरणार्थियों की मेजबानी के 40 साल पूरे होने पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान में शांति चाहता है और युद्ध प्रभावित इस देश में स्थायित्व उसके हित में है। इमरान ने सम्मेलन में कहा, ‘मैं आपको बता सकता हूं कि यहां कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है।’
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सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस भी हिस्सा ले रहे हैं। पाक पीएम ने कहा, ‘अतीत में संभवत: जो भी स्थिति रही हो, लेकिन, फिलहाल मैं आपको बता सकता हूं एक ऐसी चीज है जो हम चाहते हैं- वह है अफगानिस्तान में शांति।’ उल्लेखनीय है कि अमेरिका, भारत और अफगानिस्तान लंबे से पाकिस्तान पर तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध करने का आरोप लगाते रहे हैं। ‘ द न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान ने माना कि संभव है कि 9/11 के बाद देश में अफगान शरणार्थी शिविरों में ऐसे सुरक्षित पनाहगाह सक्रिय रहे हों। इमरान ने कहा, ‘सरकार कैसे यह पता कर पाएगी कि आतंकवादी कैसे इन शिविरों से अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं।’ उन्होंने कहा कि ऐसा संभव नहीं है क्योंकि पाकिस्तान में अफगान शरणार्थी शिविरों में एक लाख से अधिक लोग हैं।
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फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force/FATF) की एक अहम बैठक है। ये बैठक 21 फरवरी तक चलेगी। इस बैठक में पाकिस्तान के भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। ये फैसला पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने, बाहर निकालने या फिर उसको ब्लैकलिस्ट करने को लेकर होगा। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब वीकेंड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता हुई है।
रविवार से शुरू एफएटीएफ की बैठक से पहले मामल्लपुरम शिखर वार्ता में चिनफिंग अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से बिना किसी भेदभाव के आतंकी समूहों को ट्रेनिंग, फाइनैंसिंग और सहयोग के खिलाफ एफएटीएफ को मजबूत बनाने के लिए मिलकर काम करने की अहमियत पर जोर देते दिखे। आपको बता दें कि ईरान और उत्तर कोरिया को फिलहाल एफएटीएफ ने कालीसूची में डाला हुआ है। इस बैठक को लेकर जहां पूरी दुनिया की पाकिस्तान पर नजर हैं वहीं भारत की निगाहें सऊदी अरब पर लगी हुई है।