G-20 शिखर सम्मेलन में छाया रहेगा ये मुद्दा, PM मोदी के संबोधन पर टिकी नजर
कोरोना ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को काफी हद तक प्रभावित किया है और काफी संख्या में लोगों की नौकरियों पर संकट के बादल छा गए हैं। इस कारण इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने और नौकरियों पर आए संकट को दूर करने के उपायों पर भी चर्चा की जाएगी।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच आयोजित होने वाले जी-20 के 15वें शिखर सम्मेलन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह शिखर सम्मेलन 21 और 22 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
वर्चुअल फॉर्मेट में होने वाले इस शिखर सम्मेलन की थीम सभी के लिए 21वीं सदी के अवसरों का अनुभव होगी। शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स सम्मेलन के बाद आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ये भी पढ़ें: UP के इन 13 जिलों में बनने जा रहे मेडिकल काॅलेज, जल्द काम होगा शुरू
साल का दूसरा शिखर सम्मेलन
जी-20 नेताओं का यह इस साल होने वाला दूसरा शिखर सम्मेलन होगा। इससे पहले इस साल मार्च महीने में भी जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। उस समय कोरोना महामारी दस्तक तो दे चुकी थी मगर पूरी दुनिया में इसका संक्रमण इतना व्यापक ढंग से नहीं फैला था। उसके बाद कोरोना ने दुनिया के लगभग सभी देशों में अपना असर दिखाया है और काफी संख्या में लोगों की इस महामारी के कारण मौत हुई है। अमेरिका सहित कई बड़े देश इस बीमारी के कहर से जूझ रहे हैं।
छाया रहेगा कोरोना महामारी का मुद्दा
शिखर सम्मेलन के दौरान कोरोना महामारी के प्रभाव और पूरी दुनिया में आने वाले दिनों में पैदा होने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां जैसे मसलों के छाए रहने की उम्मीद जताई जा रही है। कोरोना ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को काफी हद तक प्रभावित किया है और काफी संख्या में लोगों की नौकरियों पर संकट के बादल छा गए हैं। इस कारण इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने और नौकरियों पर आए संकट को दूर करने के उपायों पर भी चर्चा की जाएगी।
पिछली बैठकों से अलग होगा नजारा
जानकारों के मुताबिक कोरोना के कारण इस बार जी-20 देशों के नेताओं के इस शिखर सम्मेलन का नजारा पिछली बैठकों से बिल्कुल अलग होगा। वर्चुअल तरीके से सम्मेलन के आयोजन के कारण दुनिया के अमीर और विकासशील देशों के नेताओं की सम्मेलन में शारीरिक मौजूदगी नहीं होगी। यही कारण है कि सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के बीच बंद कमरों में होने वाली महत्वपूर्ण बैठकें भी इस बार नहीं हो पाएंगी। इससे पहले शिखर सम्मेलन के दौरान बंद कमरों में होने वाली बैठकों के दौरान अक्सर बड़े समझौतों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय रणनीति पर भी काम किया जाता रहा है।
ये भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल में ममता का खेल बिगाड़ने को तैयार ओवैसी, आंकड़ों से समझें
डब्ल्यूएचओ ने सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस घेब्रेयस का कहना है कि इस बार का जी-20 शिखर सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस सम्मेलन के दौरान नेताओं के पास कोरोना महामारी के इलाज और पूरी दुनिया में वैक्सीन की समान पहुंच सुनिश्चित करने का अच्छा मौका होगा। इस सम्मेलन में सभी नेताओं को महामारी को जल्द खत्म करने पर चर्चा करने का मौका भी मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि पूरी दुनिया के बड़े नेता इस मौके का फायदा जरूर उठाएंगे।
पीएम मोदी के संबोधन पर टिकी नजर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए आतंकियों और आतंकी संगठनों की मदद करने वाले देशों की नकेल कसने का आह्वान किया था।
ये भी पढ़ें: इस भारतीय क्रिकेटर के पिता निधन, इसलिए अंतिम संस्कार में नहीं पाएगा शामिल
हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किसी देश का नाम नहीं लिया था मगर उनका सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर था। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में प्रधानमंत्री के इस भाषण को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब हर किसी की नजर जी-20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के संबोधन पर टिकी है।
अंशुमान तिवारी