आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट लड़ना होगा: राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने शनिवार को एससीओ की बैठक में सदस्य देशों से कहा कि आतंकवाद एक गंभीर वैश्विक समस्या है और इसे खत्म करने के लिए दोहरा चरित्र छोड़कर सबको एकसाथ लड़ना होगा।

Update: 2019-11-03 03:38 GMT

ताशकंद: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट में हिस्सा लेने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर हैं। राजनाथ सिंह ने शनिवार को एससीओ की बैठक में सदस्य देशों से कहा कि आतंकवाद एक गंभीर वैश्विक समस्या है और इसे खत्म करने के लिए दोहरा चरित्र छोड़कर सबको एकसाथ लड़ना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय कानून और तंत्र को और मजबूत करते हुए सख्ती से लागू करना होगा।

लाल बहादुर शास्त्री को दी श्रद्धांजलि

राजनाथ सिंह ने ताशकंद में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को शास्त्री स्ट्रीट पर श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा वो शास्त्री मेमोरियल स्कूल पहुंचे, जहां पर उन्होंने बच्चों से बात की। बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री का निधन 11 जनवरी 1966 में ताशकंद में ही हुआ था।

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एक-दूसरे का करें आर्थिक सहयोग

राजनाथ ने कहा कि, ये हमारे लिए काफी जरुरी है कि हम एक-दूसरे का परस्पर आर्थिक सहयोग करें। इस आर्थिक सहयोग से हमारे लोगों के भविष्य को मजबूत करने और उनका जीवन को बेहतर बनाने में मदद होगी। उन्होंने आगे कहा कि, ये सहयोग ही लोगों के बेहतर जीवन की नींव साबित होगी।



3 एमओयू पर किए हस्ताक्षर

इसके बाद भारत और उज्बेकिस्तान ने रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सैन्य चिकित्सा और सैन्य शिक्षा के क्षेत्र में 3 एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान उन्होंने सदस्य देशों को संबोधित करते हुए आर्थिक मामलों पर भी भारत का पक्ष पेश किया। उन्होंने कहा कि, एकाधिकार और संरक्षण की भावना से किसी का फायदा नहीं हुआ है।

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द्विपक्षीय वार्ता में भी लेंगे हिस्सा

राजनाथ सिंह बैठक के बाद उज्बेकिस्तान के प्रधामंत्री अब्दुल्ला अरीपोव संग भी द्विपक्षीय वार्ता में भी हिस्सा लेंगे। राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट के लिए शुक्रवार को तीन दिवसीय दौरे पर उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर उनका स्वागत उजबेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरीपोव ने किया था।

क्या है एससीओ-

बता दें कि एससीओ एक राजनीतिक और सुरक्षा समूह है, जिसका हेडक्वार्टर बीजिंग में है। इसको साल 2001 में खासतौर पर सदस्य देशों के बीच सैन्य और आर्थिक मदद के लिए बनाया गया है। चीन, रूस, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाखस्तान और किर्गिस्तान इसके स्थाई सदस्य हैं। एससीओ में खुफिया जानकारियों को साझा करना और मध्य एशिया में आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना शामिल है। भारत साल 2017 में इस संगठन से स्थाई रुप से जुड़ा था।

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