दुनिया मुट्ठी मेंः अब जीत जाएँगे कोरोना से जंग, रिलायंस की धमाकेदार एंट्री

भारत बायोटेक, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, जायडस कैडिला जैसी कंपनियां भी वैक्‍सीन डेवलप कर रही हैं। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड के स्‍वामित्‍व वाली रिलायंस लाइफ साइंसेज जो रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन बेस्‍ड कोविड वैक्‍सीन डेवलप कर रही है उसका प्री-क्लिनिकल ट्रायल इसी महीने शुरू होगा।

Update:2020-10-10 13:14 IST
अब जीत जाएँगे कोरोना से जंग, रिलायंस की धमाकेदार एंट्री (social media)

लखनऊ: कर लो दुनिया मुट्ठी में, इस इरादे से इन्टरनेट और मोबाइल क्रांति करने वाले अम्बानी के सामने शायद अब जन जन तक कोरोना की वैक्सीन पहुँचाने की चुनौती भी आ गयी है। इस चुनौती को पूरा करने के लिए अम्बानी की रिलांयस लाइफ साइंसेज काम कर रही है। यह देश की उन छह दवा कंपनियों में शामिल हो गई है जिन्‍हें कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्‍सीन डेवलप करने का रेगुलेटरी अप्रूवल मिला है।

भारत बायोटेक, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, जायडस कैडिला जैसी कंपनियां भी वैक्‍सीन डेवलप कर रही हैं। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड के स्‍वामित्‍व वाली रिलायंस लाइफ साइंसेज जो रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन बेस्‍ड कोविड वैक्‍सीन डेवलप कर रही है उसका प्री-क्लिनिकल ट्रायल इसी महीने शुरू होगा।

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2021 की पहली तिमाही में इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया जाएगा। कोरोना के दौर में कंपनी ने टेस्‍ट किट्स से लेकर लैबोरेटरी तक ऑपरेट की है। अब कंपनी वैक्‍सीन डेवलपमेंट, मैनुफैक्‍चरिंग और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन तक की फील्‍ड में उतर रही है। रिलांयस लाइफ साइंसेज की स्थापना 2001 में की गयी थी। इस कंपनी के अंतर्गत रिलायंस फार्मास्युटिकल्स, रिलायंस जीनमेडिक्स, रिलायंस क्लिनिकल रिसर्च सर्विसेज, रिलायंस बायोफार्मास्युटिकल्स आदि काम करती हैं। हाल ही में रिलायंस ने ऑनलाइन फार्मेसी ‘नेटमेड्स’ में 620 करोड़ की हिस्सेदारी भी खरीदी है।

पटरी पर लौट रही जिन्दगी

लॉकडाउन खुलने के बाद से जिन्दगी धीरे धीरे ही सही लेकिन पटरी पर लौट रही है। हाल के दिनों में देखें तो संसद का सत्र हुआ, बिहार में चुनाव हो रहा है, विधानसभाओं के सत्र चले, विपक्षी दलों के प्रदर्शन हो रहे हैं, अनेक बड़ी परीक्षाएं हुईं हैं, ये सब इसलिए हो गए क्योंकि लोगों ने कोरोना संबंधी जो भी दिशा निर्देश थे या एहतियात थे वो सब अपनाए हैं।

corona-testing (social media)

जारी है जंग

कोरोना का पहला केस दिसम्बर में सामने आया था। तबसे ले कर अब तक कोरोना के बारे में बहुत सी नयी जानकारियां मिलीं हैं। महामारी की शुरुआत के बाद से भारत, जापान, इटली, साउथ कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, चीन आदि देशों ने अपने-अपने तरीके से इस महामारी को कण्ट्रोल किया है। इन सभी देशों ने मास्किंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग और साफ़ सफाई जैसे आवश्यक तरीकों पर बेहद ध्यान दिया।

ये लगभग तय है कि नवम्बर तक कोरोना की वैक्सीन वैक्सीन आ जायेगी। आम आदमी तक पहुँचने में जरूर हो सकता है कि कुछ समय लग जाए। लेकिन वैक्सीन आने से दो बातों का फायदा होगा कि जिस दहशत और भय में दुनिया जी रही है उससे दुनिया उबर जायेगी। एक बात और है कि कोरोना की वैक्सीन आते ही सबसे पहले डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को लगेगी ताकि कोरोना के मरीजों की जो शिकायत रही है वो दूर हो जायेगी। जो मरीज होगा उसके लिए तो वैक्सीन उपलब्ध होगी ही।

डब्लूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने भी कहा है कि इस साल के अंत तक एक सुरक्षित और असरदार वैक्सीन हमारे बीच होगी। डब्लूएचओ की अगुवाई में चल रहे ‘कोवैक्स ग्लोबल वैक्सीन अभियान’ में नौ प्रायोगिक वैक्सीनों पर कम चल रहा है। इस अभियान से 168 देश जुड़े हुए हैं लेकिन चीन, रूस और अमेरिका ने इसे ज्वाइन नहीं किया है।

सावधानियां बनाये रखें

एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन आने के बाद भी मास्क, फिजिकल दूरी, साफ़ सफाई आदि का पालन करते रहना होगा। एक बेहतर सुरक्षा कवच तभी मिल पायेगा।

- मास्क सही बनावट का और सही तरीके से पहनें। कपड़े का बना ऐसा मास्क इस्तेमाल करें जिससे नाक-मुंह पूरी तरह से कान तक कवर रहे। इस मास्क को भी इस्तेमाल करने के बाद अच्छी तरह से धो कर सुखा लें। सर्जिकल, यूज़ एंड थ्रो मास्क का इस्तेमाल न करें। मास्क को नाक के नीचे सरका कर न रखें।

- हाथ साबुन से अच्छी तरह धोएं। साबुन कम से कम 20 से 30 सेकेण्ड तक हाथों पर लगा रहना चाहिए तभी वायरस का प्रोटीन कवर नष्ट हो पाता है।

- लोगों से 6 से 8 फुट की दूरी बनाये रखें।

- 65 वर्ष से ज्यादा के वृद्ध और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे ज्यादा सावधानी बरतें और जब तक बहुत जरूरी न हो तब तक बाहर न जायें।

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जड़ी बूटियों से इलाज को मंजूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इलाज के लिए अफ्रीकी हर्बल दवाओं के परीक्षण की मंजूरी दे दी है। जिसके तहत हर्बल दवाओं के तीसरे चरण का परीक्षण करने के लिए प्रोटोकॉल भी तैयार कर लिया गया है। उम्मीद है कि परीक्षण का सिलसिला जल्द ही शुरू हो सकेगा। जड़ी-बूटियों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान भी किया जा चुका है।

पाकिस्तान में भी कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों का इलाज करने के लिए पारंपरिक चीनी औषधि का क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया गया है। ये परीक्षण कराची यूनिवर्सिटी के एक सेंटर पर किया जा रहा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल चीन में कोरोना महामारी के दौरान बड़े पैमाने किया गया है। इन जड़ी बूटियों में पुदीना और लिकोरिस समेत 12 जड़ी-बूटियों के घटक शामिल हैं।

आयुष मंत्रालय ने मंजूर किया ट्रायल प्रस्ताव

भारत में आयुष मंत्रालय भी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के जरिये भी कोरोना के इलाज की संभावना तलाश रहा है। मंत्रालय ने कोरोना के उपचार में वासा (अडूसा या लसोड़ा) और गिलोय (गुडूची) के प्रभाव का आकलन करने के लिए क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी है। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआइआइए) में सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के साथ मिलकर क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा। अडूसा का पौधा कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रामबाण औषधि साबित हो सकता है, क्योंकि यह कफ को पतला कर कम करने का काम करता है।

इसी तरह गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। आईआईटी दिल्ली के डायलैब और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार वायरस से लड़ने के लिए अश्वगंधा जड़ी बूटियों में से सबसे कारगर है। अश्वगंधा में बीमारी से लड़ने के लिए शरीर में ख़ास एन्जाइम्स और प्रोटीन बनाता है, जो रिकवरी को मज़बूत करता है।

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ट्रम्प चार दिन में ठीक हुए

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोना से संक्रमित ही और मात्र तीन रातें अस्पताल में गुजारने के बाद घर वापस आ गए। कोरोना से सबसे कम समय में ठीक होने का ये एक रिकार्ड है। ट्रम्प 72 वर्ष के हैं, मोटापा है और कोलेस्ट्रोल लेवल भी ज्यादा है सो वो जोखिम वाली केटेगरी में हैं। इसके बावजूद वे रिकार्ड समय में ठीक हो गए और व्हाइट हाउस में टीवी संबोधन भी किया। ट्रम्प को कोरोना के इलाज वाली प्रायोगिक दवाओं के अलावा कुछ ऐसी भी दवा भी गयीं जो अभी सिर्फ प्रयोगशाला में टेस्ट की जा रहीं हैं।

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