वैक्सीन खतरनाक है: ऑस्ट्रेलियन प्रोफेसर का दावा, जल्दबाजी में नहीं बनाना चाहिए इसे

पीटर कॉलिग्नन ने कहा है कि हो सकता है कि जल्दबाजी में बनाई गई कोरोना वैक्सीन काम न करे और इसके साइड इफेक्ट के रूप में पैरालाइसिस जैसी गंभीर दिक्कतें हों।

Update: 2020-08-16 13:03 GMT
Covid Vaccine

भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। आए दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में इज़ाफा होता जा रहा है। ऐसे में रूस ने कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफलता प्राप्त की है। जिसके लिए पूरी दुनिया में रूस की सराहना की जा रही है। एक ओर जूरी दुनिया रूस से वैक्सीन की उम्मीद लगाए बैठी है। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख डॉक्टर और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन का मानना है कि यदि जल्दबाजी में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाई गई तो इसके कुछ साइडइफेक्ट भी हो सकते हैं। जो काफी खतरनाक हो सकते हैं। पीटर कॉलिग्नन ने कहा है कि हो सकता है कि जल्दबाजी में बनाई गई कोरोना वैक्सीन काम न करे और इसके साइड इफेक्ट के रूप में पैरालाइसिस जैसी गंभीर दिक्कतें हों।

जल्दबाजी में बनी वैक्सीन से हो सकती है पैरालाइसिस

जहां पूरी दुनिया रूस से कोरोना वायरस की वैक्सीन की आस लगाए बैठी है वहीं एक प्रमुख डॉक्टर का ये कहना एक बार फिर चिंतित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ काम कर चुके माइक्रोबायोलॉजिस्ट कॉलिग्नन ने कहा कि एक साल से पहले कोरोना वैक्सीन के उत्पादन से लाभ से अधिक नुकसान हो सकता है। ये अलग बात है कि पीटर कॉलिग्नन ने ये बात ऑस्ट्रेलिया के परिपेक्ष्य में कही है। लेकिन लोग उनके इस कथन का काफी कुछ मतलब निकाल रहे हैं। प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को एक साल तक वैक्सीन नहीं मिल पाएगी।

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Peeter Collinghan

और सरकार को विदेशों से वैक्सीन खरीदने के लिए जल्दबाजी भी नहीं करनी चाहिए। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में ये सवाल उठने लगे थे कि अन्य देशों के साथ डील नहीं होने की वजह से देश वैक्सीन से वंचित रह सकता है। पीटर कॉलिग्नन का मानना है कि जो वैक्सीन पूरी तरह जांची नहीं गई है उससे हो सकता है कि सुरक्षा न मिले और लोग न्यूमोनिया से पीड़ित हो जाएं। सबसे बुरी स्थिति में वैक्सीन की वजह से पैरालाइसिस जैसी बीमारी भी हो सकती है।

सुरक्षित वैक्सीन आने के बाद भी महामारी को खत्म होने में लगेंगे कई साल

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प्रोफेसर पीटर कॉलिग्नन ने वैक्सीन को लेकर चिंता जाहिर की। पीटर कॉलिग्नन ने कहा कि संभव है कि सबसे बुरे परिणाम के शिकार 5 हजार लोगों में से भले ही एक हो। लेकिन जब 10 लाख लोगों को आप ये वैक्सीन लगाएंगे तो 200 लोग पैरालाइसिस के शिकार हो सकते हैं। वहीं ऑस्ट्रेलियन प्रोफेसर ने दावे के साथ कहा कि कोई सुरक्षित वैक्सीन जल्दी से जल्दी अगले साल ही आ सकती है।

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पीटर कॉलिग्नन ने कहा क्योंकि किसी वैक्सीन की हजारों लोगों पर जांच करने में कई महीने का समय लगता है। ऐसे में किसी वैक्सीन के आने में अगले साल तक का समय लग जाना कोई बड़ी बात नहीं बल्कि स्वाभाविक है। पीटर कॉलिग्नन ने साथ में ये भी कहा कि सुरक्षित वैक्सीन की तलाश पूरी होने के बाद भी महामारी खत्म होने में कई साल लगेंगे।

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