सऊदी अरब ने लिए ये ऐतिहासिक फैसले, दुनियाभर में हो रही तारीफ

सऊदी अरब ने हाल ही ऐतिहासिक फैसले लिए हैं जिसके लिए पूरी दुनिा में उसकी तारीफ हो रही है। सऊदी अरब ने नाबालिग आपराधियों के लिए मौत की सजा को खत्म कर दिया है।

Update: 2020-04-27 15:51 GMT

नई दिल्ली: सऊदी अरब ने हाल ही ऐतिहासिक फैसले लिए हैं जिसके लिए पूरी दुनिा में उसकी तारीफ हो रही है। सऊदी अरब ने नाबालिग आपराधियों के लिए मौत की सजा को खत्म कर दिया है। सऊदी अरब में शनिवार को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की सजा को भी समाप्त कर दिया गया। सऊदी अरब की मानवाधिकारों को लेकर हमेशा आलोचना होती रहती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने अपने देश की छवि सुधारने के लिए लगातार सुधारवादी फैसले ले रहे हैं।

मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष अवाद अलवद का कहना है कि नाबालिग रहते हुए जिन लोगों ने अपराध किए हैं, सिर्फ उन्हे मौत की सजा नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नाबालिग अपराधियों को अब जुवेनाइल डिटेंशन फैसिलिटी में अधिकतम 10 साल जेल की सजा होगी। अवाद ने सऊदी अरब के फैसले पर खुशी जताई है और कहा कि यह सऊदी अरब के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है। इस रॉयल डिक्री से हमें आधुनिक कानून व्यवस्था लागू करने में सहायता मिलेगी।

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सऊदी अरब के इस फैसले से शिया समुदाय के उन छह लोगों को राहत मिलेगी जिन्हें मौत की सजा हुई है। ये सभी अरब स्प्रिंग आंदोलन के दौरान सरकार-विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने के दोषी हैं। उस समय इनकी उम्र 18 साल से कम थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पिछले साल सऊदी अरब से अपील की थी वह उन्हें फांसी न दे।

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सऊदी अरब में लोग वहाबी इस्लाम मानते हैं जिसकी वजह से यहां का समाज काफी संकीर्ण विचारधारा रखता है, लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान लगातार सऊदी किंगडम को एक आधुनिक राज्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पत्रकार जमाल खाशोग्जी की हत्या में सऊदी पर सवाल खड़े हुए हैं और क्राउन प्रिंस इन सुधारवादी कदमों के जरिए अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

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सऊदी अरब अपराधियों को सजा देने के मामले में पूरी दुनिया में सबसे आगे है। आतंकवाद, रेप, लूट, ड्रग ट्रैफेकिंग समेत तमाम मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान है। आधिकारिक डेटा के मुताबिक, 2019 में सऊदी अरब ने 187 लोगों को मृत्युदंड की सजा दी थी।

मानवाधिकार संगठन सऊदी अरब में ट्रायल की पारदर्शिता सवाल उठाते रहते हैं, क्योंकि यहां इस्लामिक कानून के तहत राजशाही शासन है।

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