SCO Summit 2022: भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान दिखेंगे एक मंच पर, जानिए एससीओ के बारे में सब कुछ
SCO Summit 2022: दुनिया की नजर 15 और 16 सितंबर को मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन पर है।
SCO Summit 2022: रूस – यूक्रेन युद्ध, चीन – ताइवान तनाव और भारत – चीन सीमा विवाद के बीच दुनिया के 8 देश एक मंच पर एकत्रित होने जा रहे हैं। इनमें भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान भी शामिल है। वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति जिन मुद्दों और विवादों से प्रभावित हो रही है, उनमें इन देशों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भूमिका है। यही वजह है कि दुनिया की नजर 15 और 16 सितंबर को मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन पर है।
जून 2019 के बाद यह पहला मौका है जब यह शिखर सम्मेलन फिजिकल रूप में आयोजित किया जा रहा है। उस साल मध्य एशियाई देश किर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ का सम्मेलन आयोजि किया गया था। उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद से 300 किलोमीटर दूर समरकंद में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी हिस्सा लेने जा रहे हैं।
पीएम मोदी आज पहुंचेंगे समरकंद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए आज उज्बेकिस्तान के लिए रवाना हो जाएंगे। वे दो दिवसीय शिखर बैठक में शामिल होकर 16 सितंबर को भारत वापस लौटेंगे। इस बार शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिखर सम्मेलन के अंत में यह एससीओ की रोटेशनल प्रेसीडेंसी ग्रहण करेगा। भारत साल 2023 के लिए समूह की अध्यक्षता ग्रहण करेगा, जो एससीओ की अगली बैठक सितंबर 2023 तक बना रहेगा। इस बार बैठक की अध्यक्षता उज्बेकिस्तान कर रहा है।
शिखर सम्मेलन का एजेंडा
कोरोना महामारी बाद वैश्विक चुनौतियां बढ़ी हैं। कई देश गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। वहीं दुनिया के ताकतवर देशों में आपसी तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत – चीन सीमा विवाद, ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव और रूस – यूक्रेन के बीच बीते छह माह से जारी युद्ध के कारण मौजूदा दौर में अंतरराष्ट्रीय राजनीति में जबरदस्त उथलपुथल मची हुई है। इन सब मुद्दों के अलावा आतंकवादा का मुद्दा तो है ही। इस शिखर – सम्मेलन में इन्हीं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन
साल 1996 में चीन, रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और तजाकिस्तान के बीच आपसी सुरक्षा समझौता हुआ था, जिसे एससीओ कहते हैं। चीन को छोड़कर बाकी सभी अन्य देश साम्यवादी सोवियत यूनियन का पहले हिस्सा हुआ करते थे। इन सभी देशों की सीमाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। बाद में इससे एक अन्य मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान भी जुड़ गया। इसके सदस्य देशों की संख्या वर्तमान में आठ हो गई है। भारत और पाकिस्तान 9 जून 2017 को इस संगठन के आधिकारिक रूप से मेंबर बने थे। इसका मुख्यालय चीन की आर्थिक राजधानी माने जाने वाला शंघाई शहर है। एससीओ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, जो यूरेशिया के लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र, विश्व की 40 प्रतिशत आबादी और वैश्विक जीडीपी के 30 प्रतिशत से अधिक को कवर करता है।
एससीओ के सदस्य देश
एससीओ के आठ सदस्य देशों में भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाख्स्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं। इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया है। छह डायलॉग सहयोगी देश श्रीलंका, नेपाल, तुर्की, कंबोडिया, अजरबैजान और अर्मेनिया है।