Sri Lanka Crisis: पूर्व PM राजपक्षे का बेटा बीवी समेत फरार, नाराज लोगों के उग्र तेवर, हालात और बिगड़े

Sri Lanka: पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का बेटा योशिता राजपक्षे अपनी बीवी के साथ श्रीलंका छोड़कर सिंगापुर फरार हो गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update: 2022-05-10 14:49 GMT

पूर्व PM महिंदा राजपक्षे (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण जारी हिंसा (Protest In Sri Lanka) के कारण पूरे देश में हालात बेकाबू हो चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के इस्तीफे के बावजूद लोगों की उनके प्रति नाराजगी कम नहीं हो पा रही है। लोगों के गुस्से से बचने के लिए उनके परिवार ने त्रिंकोमाली स्थित नौसैनिक अड्डे में शरण जरूर ले ली है मगर उनका बेटा योशिता राजपक्षे (Yoshitha Rajapaksa) अपनी बीवी के साथ श्रीलंका छोड़कर सिंगापुर (Singapore) फरार हो गया है। महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में उनका बेटा योशिता भी काफी ताकतवर माना जाता था। इसलिए लोगों में उसके प्रति भी काफी नाराजगी है।

जानकारों का कहना है कि लोगों के गुस्से से बचने के लिए ही पूर्व प्रधानमंत्री का बेटा देश छोड़कर भाग निकला है। इस बीच लोगों को महिंदा राजपक्षे के त्रिंकोमाली में छिपे होने की खबर मिल गई है और वहां भी हिंसक प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है। विपक्षी दलों की ओर से महिंदा राजपक्षे को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है। हालांकि यह मांग पूरी होने की उम्मीद नहीं है। इस कारण माहौल और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।

राजपक्षे के इस्तीफे से पहले ही फरार

श्रीलंका में बदतर हालात के लिए राजपक्षे परिवार के प्रति लोगों में जबर्दस्त नाराजगी है। लोगों के बढ़ते दबाव के कारण ही महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर हुए मगर अब उनके बेटे योशिता राजपक्षे को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। योशिता अपनी पत्नी को लेकर सिंगापुर फरार हो गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में योशिता के बीवी समेत सिंगापुर एयरपोर्ट पर देखे जाने का खुलासा किया गया है। जानकारों के मुताबिक महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने से पूर्व ही योशिता श्रीलंका से भाग निकला।

योशिता के प्रति भी लोगों में जबर्दस्त नाराजगी रही है क्योंकि महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्रित्काल में वह काफी ताकतवर भूमिका में रहा है। अपने पिता की हुकूमत में वह प्रधानमंत्री का चीफ ऑफ स्टाफ था। सियासी मैदान से उतरने से पहले वह श्रीलंका की नौसेना में अफसर पद पर भी कार्य कर चुका है। श्रीलंका के बदतर हालात के लिए लोग उसे भी बड़ा जिम्मेदार मान रहे हैं। माना जा रहा है कि लोगों के गुस्से से बचने के लिए ही वह सिंगापुर फरार हुआ है।

नौसैनिक अड्डे पर भी जुटे प्रदर्शनकारी

महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बावजूद उनके और उनके परिवार के प्रति लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ है। लोगों के गुस्से से बचने के लिए ही उन्होंने त्रिंकोमाली स्थित नौसैनिक अड्डे में शरण ली है। उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद हैं। राजपक्षे को लोगों के गुस्से से बचाने के लिए हेलीकॉप्टर के जरिए नौसैनिक अड्डे तक पहुंचाया गया है।

उग्र प्रदर्शनकारियों के राजपक्षे के नौसैनिक अड्डे में शरण लेने की जानकारी हो गई है और अब वहां भी उनके खिलाफ उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया है। राजपक्षे परिवार को लोगों के गुस्से से बचाने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।

दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें

विपक्ष के बढ़ते दबाव के बाद राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद राजपक्षे के समर्थकों और विरोधियों में राजधानी कोलंबो की सड़कों पर हिंसक झड़पें हुई हैं। देश में कई अन्य स्थानों पर भी दोनों पक्षों के बीच टकराव की खबरें हैं जिससे देश में गृह युद्ध जैसे हालात बनते दिख रहे हैं। ताजी हिंसा की घटनाओं में 8 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हैं।

विपक्षी दलों की ओर से महिंदा राजपक्षे को तुरंत गिरफ्तार किए जाने की मांग की जा रही है। हालांकि सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। उल्टे सरकार राजपक्षे को बचाने में ही लगी हुई है।

पूर्व राष्ट्रपति ने किया आगाह

इस बीच देश की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा ने प्रदर्शनकारियों को सतर्क किया है। देश में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के बेकाबू होने के बाद कुमारतुंगा ने अराजक तत्वों से सतर्क रहने की अपील की है। बेकाबू प्रदर्शनकारी अभी तक कई मंत्रियों और सांसदों का घर फूंक चुके हैं और उन्होंने महिंदा राजपक्षे के पैतृक घर में भी आग लगा दी थी।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को अराजक तत्वों से सतर्क रहने की जरूरत है नहीं तो इसकी आड़ में देश में सैन्य शासन लगाया जा सकता है। देश के लोगों को इस खतरे से आगाह रहना होगा और न्याय पाने व लोकतांत्रिक शासन के लिए शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष करना होगा।

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