पाकिस्तान को जोर का झटका: भारत के साथ इस देश के अच्छे हो रहे संबंध
तुर्की पाकिस्तान का आगे बढ़-चढ़कर समर्थन करने वाला मुस्लिम देशों में से चुनिंदा देश था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७०
नई दिल्ली: तुर्की पाकिस्तान का आगे बढ़-चढ़कर समर्थन करने वाला मुस्लिम देशों में से चुनिंदा देश था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० के रद्द किए जाने के बाद जब कश्मीर पर पाकिस्तान इंटरनेशनल मंच पर एकदम अलग हो चुका था, तो तुर्की के राष्ट्रपति रेचैप तैय्यप एर्दवान ने भारत के खिलाफ काफी कुछ बयान दिये थे। लेकिन अब बिल्कुल उल्टा होता दिखाई दे रहा है। तुर्की पाकिस्तान के बजाए भारत के करीब आता दिखाई दे रहा है। साथ ही भारत के साथ कश्मीर मुद्दे पर तुर्की से जो कड़वाहट पैदा हुई थी, वो भी कम होती नजर आ रही है। वहीं तुर्की, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की देखरेख में अफगान शांति वार्ता के लिए भी तैयार है।
पाकिस्तान को तगड़ा झटका
दरअसल भारत की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर को विषय राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। जिसके बाद से भारत और तुर्की के बीच एक गहरी खाई पैदा हो गई थी। ऐसे में तुर्की की तरफ से आलोचना किए जाने को पाकिस्तान का समर्थन माना गया। पर अब जब भारत और तुर्की के बीच रिश्तों में सुधार के इशारे मिल रहे हैं तो पाकिस्तान को निश्चित रूप से झटका लगने वाला है।
ऐसे में रविवार को तुर्की के विदेश मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। इस बयान में 20 से ज्यादा भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। बता दें, ये पहली बार नहीं है जब तुर्की ने भारत में हो रहे हादसों के लिए चिंता व्यक्त करते हुए बयान जारी किए हैं, लेकिन रविवार की निंदा काफी अहमियत रखती है।
वो इसलिए कि इस बार तुर्की ने एक ऐसे मुद्दे पर टिप्पणी की है जो भारत की घरेलू सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा हुआ है। इससे पहले तुर्की ने उत्तराखंड में फरवरी में आई त्रासदी पर भी दुख व्यक्त किया था। और इससे पहले अगस्त 2020 में तुर्की ने कोझिकोड विमान दुर्घटना के दौरान भी अपनी संवेदना व्यक्त की थी।
अपने संबंधों को सुधारने का संकल्प
बीते महीने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके तुर्की समकक्ष मेवलुथ औसुओग्लू ने ताजिकिस्तान के दुशांबे में 'हार्ट ऑफ एशिया- इस्तांबुल प्रोसेस' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के मौके पर एक द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में दोनों पक्षों ने अर्थव्यवस्था और व्यापार पर ध्यान देने के साथ-साथ अपने संबंधों को सुधारने का संकल्प लिया। बता दें, यह बैठक 29 मार्च को आयोजित की गई थी।
उस दौरान नई दिल्ली और अंकारा के बीच टकराव ऐसे शुरू हुआ, जब तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 के खत्म करने के फैसले की आलोचना की थी और कहा था कि भारत ने कश्मीर पर बलपूर्वक कब्जा कर रखा है। उन्होंने उस दौरान भारत को पाकिस्तान के साथ तनाव का समाधान करने का आग्रह किया था। वहीं दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की का अपना दौरा रद्द कर दिया था।