भीषण युद्ध में कूदा ये देश: बोला- खत्म कर देगा सबको, अब तक सैंकड़ो की हो चुकी मौत

अर्मीनिया और अजरबैजान में हो रही जंग में टर्की ने अजरबैजान का साथ देने का एलान किया है। टर्की ने कहा कि वो अजरबैजान का सर्मथन युद्ध के मैदान में भी करेगा।

Update:2020-10-09 20:10 IST

लखनऊ: आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच जंग में अब तक सैकड़ो जाने जा चुकी हैं। देशों देशों के बीच जनग कई इलाकों पर कब्जा होने के चलते बढ़ती जा रही है। दरअसल, नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र आधिकारिक तौर पर अजरबैजान का भूभाग है लेकिन इसपर आर्मीनिया के लोगों का कब्जा है। यहां ध्यान दें वाली बात ये हैं कि आर्मीनिया ईसाई बहुल देश है, जबकि अजरबैजान मुस्लिम बहुल देश है। जहां इन दोनों के बीच संघर्ष जारी है और तमाम देश शांति समझौते की नसीहत दे रहे हैं तो वहीं टर्की जंग में कूदने के इरादे में नजर आ रहा है।

आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच जंग मे टर्की की एंट्री

अर्मीनिया और अजरबैजान में हो रही जंग में टर्की खुलकर अजरबैजान का साथ देने का एलान किया है। टर्की की तरफ से कहा गया कि वो अजरबैजान का हर हाल में सर्मथन करेगा, वो चाहे बातचीत की मेज पर हो या युद्ध के मैदान में। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अर्मीनिया ने दावा किया कि टर्की अजरबैजान की आर्मी की मदद के लिए सीरियाई फाइटर्स और एफ-16 फाइटर जेट भेज रहा है। हालाँकि टर्की ने आर्मीनिया के इस दावे को खारिज कर दिया।

आखिर टर्की क्यों कर रहा अजरबैजान का समर्थन:

दरअसल, टर्की और अजरबैजान के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते हैं। दोनों देशों के रिश्ते इतने मजबूत हैं कि उन्हें "दो राज्य, एक राष्ट्र" से परिभाषित किया जाता है। अजरबैजान में भी तुर्क हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच जातीय और भाषीय समानता है। अजरबैजान तेल से समृद्ध देश है, जो टर्की के लिए ऊर्जा संसाधनों के नजरिए से भी काफी अहम है। टर्की में अजरबैजान का काफी निवेश भी है।

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टर्किश आर्मी अजरबैजान के अधिकारियों को देती है ट्रेनिंग

टर्की की सेना कई सालो से अजरबैजान के अधिकारियों को ट्रेनिंग देती आ रही है। दोनों देशों के बीच अगस्त में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास आयोजित हुआ था। टर्की अजरबैजान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश है। पहले नंबर पर रूस और इजरायल का नाम शामिल हैं। टर्की ने अजरबैजान को ड्रोन्स और रॉकेट लॉन्चर भी बेचे हैं।

25 सालों में सबसे खतरनाक लड़ाई

गौरतलब है कि अर्मीनिया और अजरबैजान की तरफ से कहा जा रहा है कि दक्षिण कॉकेशस इलाके में बीते 25 सालों में हो रही सबसे खतरनाक लड़ाई है। इस लड़ाई में मरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नागोर्नो-काराबाख के रिहाइशी इलाक़ों में अज़रबैजान की सैना क्लस्टर बम से हमले कर रही है। अंतरराष्ट्रीय समझौतों के मुताबित, क्लस्टर बम का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। हालांकि इन दोनों देशों ने इस जुड़े अंतरराष्ट्रीय कन्वेन्शन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

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दोनों देशों की सेनाओं का पीछे हटने से इंकार

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अजरबैजान ने कहा है कि नागोर्नो-काराबाख के बाहर के उसके शहरों पर हमले के बाद लड़ाई पाइपलाइंस के नजदीक पहुंच चुकी है। यहां से यूरोप को गैस और तेल की आपूर्ति होती है। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हमा अलीयेव का कहना है कि इस लड़ाई को रोकने के लिए आर्मीनिया को नागोर्नो-काराबाख और उसके आसपास के इलाको से अपनी सेना हटानी होगी। बता दें कि दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटने से इंकार किया है।

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