टेस्टिंग किट से तेज कुत्ते, ऐसे करेंगे मिनटों में सैंकड़ों की कोरोना जांच

ब्रिटेन में कोरोना की जांच के लिए कुत्तों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। यहां कुत्तों के जरिये कोरोना वायरस को सूँघ कर जांचने की तरकीब अपनाई गयी है। इसके तहत ट्रायल भी शुरू कर दिया गया।

Update: 2020-05-16 16:25 GMT

नई दिल्ली : कोरोना वायरस की जांच के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग किये जाने की बात कही जा रही हैं। वहीं इसके लिए कम समय में पूल टेस्टिंग और जल्द परिणाम के लिए तरह तरह की तकनीकें अपनाई जा रही है। जगह जगह ज्यादा से ज्यादा लैब सेंटर बनाये जा रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच ब्रिटेन में कोरोना संक्रमितों की जांच के लिए टेस्टिंग किट के उत्पादन से ज्यादा कुत्तों की ट्रेनिंग पर ध्यान दिया जा रहा है।

ब्रिटेन में कोरोना जांच के लिए कुत्तो की ट्रेनिंग

दरअसल, ब्रिटेन में कोरोना की जांच के लिए कुत्तों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। यहां कुत्तों के जरिये कोरोना वायरस को सूँघ कर जांचने की तरकीब अपनाई गयी है। इसके तहत ट्रायल भी शुरू कर दिया गया।

शोधकर्ताओं ने शुरू किया कुत्तों पर ट्रायल

कुत्तों के जरिये कोरोना संक्रमितों को सूँघ पर पता लगाने के ट्रायल की जिम्मेदारी लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम), चैरिटी मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स और डरहम यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को दी गयी है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स लोगन ट्रायल का नेतृत्व कर रहे हैं। बता दें कि ब्रिटिश सरकार इसके ट्रायल के लिए करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की धनराशि खर्च करने वाली है।

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ऐसे में अगर कुत्तों पर किये जाने वाले इस ट्रायल में सफलता मिली तो ये दुनिया के इतिहास में जबरदस्त शोध माना जाएगा। वहीं कई देशों के लिए टेस्टिंग आसान व तेज हो जायेगी।

ट्रायल हुआ सफल तो एक घंटे में 250 लोगों की होगी कोरोना जांच

ट्रायल को लेकर शोध कर्ताओं की माने तो अगर ट्रायल कामयाब होता है तो कुत्ते प्रति घंटे में तकरीबन 250 लोगों में कोरोना को पहचान सकेंगे। गौरतलब है कि फिलहाल लैब में कोरोना की सिर्फ एक टेस्टिंग में लगभग 5 से 6 घंटे लग जाते हैं। अन्य प्रोसेस के साथ रिपोर्ट मिलने में कई घंटे लग जाते हैं।

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बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को भी कर सकेंगे डिटेक्ट

कहा जाता है कि कुत्ते इंसानों की तुलना में 10 हजार गुना तेज सूँघने की क्षमता रखते हैं। उनकी इसी शक्ति का एक फायदा ये भी होगा कि जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं देते, कुत्तों उन्हें भी डिटेक्ट कर सकेंगे।

कैंसर, मलेरिया जैसी बीमारियां भी पता लगा चुके कुत्ते

ऐसा नहीं है कि शोधकर्ता पहली बार इस तरह का कोई ट्रायल कर रहे हों, इसके पहले भी कुत्तों की विशेष प्रजातियों जैसे लैब्राडोर्स और कूकर स्पैनियल्स ने कैंसर, मलेरिया और पार्किंसन जैसी बीमारियों इंसानों के शरीर को सूँघ कर पता लगाया है।

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अगर कुत्ते कोरोना को ही डिटेक्ट कर सके तो अधिकारियों को काफी सहूलियत हो जायेगी। इन्हे एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और मेट्रो स्टेशन जैसी भीड़भाड़ व संवेदनशील सार्वजनिक जगहों पर तैनात कर कोरोना को फैलने से रोक सकेंगे।

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