UK Riots 2024: दंगों की गिरफ्त में ब्रिटेन, निशाने पर इमिग्रेंट्स, बाहरियों को निकालने की मांग
UK Riots 2024: दक्षिणपंथी आंदोलनकारियों ने ब्रिटेन में बेलगाम आप्रवासन, विशेष रूप से इंग्लिश चैनल पार करके फ्रांस से छोटी नावों में आने वाले हजारों प्रवासियों के बारे में चिंताओं का फायदा उठाने की कोशिश की है।
UK Riots 2024: ब्रिटेन के विभिन्न शहरों में आप्रवासी विरोधी दंगे भड़के हुए हैं। 1930 के दशक के बाद से ब्रिटेन में बाहरियों के खिलाफ ये सबसे बड़ा बवाल है। अपने देश में लगातार बढ़ते जा रहे इमिग्रेंट्स यानी बाहरियों के खिलाफ ब्रिटिश लोगों का गुस्सा और असंतोष अब उबल कर सामने आ गया है। दरअसल, यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन में शरणार्थियों और अवैध इमिग्रेंट्स को जिस तरह खुले हाथों से आने दिया गया उसी का ये अंजाम है।
ब्रिटेन में जो हो रहा है वो बाकी दुनिया में हो रहे घटनाक्रमों को दर्शाता है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में राष्ट्रवादी आंदोलन जोर पकड़े हुए है। फ्रांस में, मरीन ले पेन की दक्षिण पंथी नेशनल रैली एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी है, जबकि जर्मनी में अति दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को समर्थन मिल रहा है। इटली, हंगरी और फ़िनलैंड में भी ऐसी ही सरकारें शासन में हैं।
इंग्लैंड के साउथपोर्ट में पिछले हफ्ते तीन बच्चों की हत्या के मामले में दक्षिणपंथी नेताओं ने दावा किया कि अपराधी एक मुस्लिम शरणार्थी था। इसके बाद शुरू हुई हिंसा में मस्जिदों और प्रवासी छात्रावासों पर हमले हुए। प्रदर्शनकारियों ने अप्रवासियों के घरों और दुकानों पर हमला किया, तोड़फोड़ की, आगजनी की और अश्वेत तथा अल्पसंख्यक युवाओं पर हमला किया। रिफॉर्म यूके के सांसदों रिचर्ड टाइस और निगेल फरेज ने हमलावरों को "चिंतित ब्रिटिश नागरिक" करार दिया है। जुलाई में पहली बार रिफॉर्म यूके के नेता के रूप में संसद के लिए चुने गए निगेल फरेज ने देश की कई समस्याओं, जैसे स्वास्थ्य और आवास, को देश की जनसंख्या में होने वाली बड़ी वार्षिक वृद्धि से जोड़ने की कोशिश की है। दरअसल, दक्षिणपंथी आंदोलनकारियों ने ब्रिटेन में बेलगाम आप्रवासन, विशेष रूप से इंग्लिश चैनल पार करके फ्रांस से छोटी नावों में आने वाले हजारों प्रवासियों के बारे में चिंताओं का फायदा उठाने की कोशिश की है।
जबर्दस्त गुस्सा
इंग्लैंड के झंडों में लिपटे, दक्षिणपंथी प्रतीकों को पहने और खुद को "देशभक्तों की सेना" बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने मुसलमानों को "बलात्कारी" करार दिया है और "अपने बच्चों को बचाने" के लिए शरणार्थियों को सामूहिक रूप से देश से बाहर करने की मांग की है।
दक्षिणपंथी नेताओं और उनके समर्थकों की 2 अगस्त को हुई एक रैली में 30 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। अप्रवासियों पर हमला करने और नाजी सलामी देने वाले प्रदर्शनकारियों के अभूतपूर्व दृश्य एक गंभीर चेतावनी हैं। पिछले हफ़्ते के दौरान हुए कई प्रदर्शन ऑनलाइन दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित किए गए थे, जो “बस बहुत हो गया”, “हमारे बच्चों को बचाओ” और “नावों को रोको” जैसे नारों के साथ समर्थन जुटाते हैं।