पाकिस्तान के रंग में रंगे UN महासचिव, CAA पर दिया ये बयान

कश्मीर पर टिप्पणी के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सीएए पर दी अपनी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि सीएए से लोगों की नागरिकता जाने का खतरा है। जो कि गलत है।

Update:2020-02-19 20:24 IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान दौरे पर आए संयुक्त राष्ट्र महासचिव लगातार भारत के ऊपर कोई न कोई टिप्पणी कर रहे हैं। पहले कश्मीर और अब सीएए।

कश्मीर पर टिप्पणी करने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सीएए पर अपनी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि सीएए से लोगों की नागरिकता जाने का खतरा है। जो कि गलत है।

नागरिकता का रखा जाए ध्यान

नागरिकता संशोधन कानून और प्रस्तावित नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) पर छिड़ी बहस के बीच अब संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने भारत के इस अंदरूनी मामले पर टिप्पणी की है। एंतोनियो ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब किसी नागरिकता कानून में बदलाव होता है तो किसी की नागरिकता न जाए, इसके लिए सबकुछ करना जरूरी है। खास बात यह है कि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान है ही नहीं कि किसी की नागरिकता जाए। यह कानून पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है।

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नए भारतीय कानूनों को लेकर यूएन चिंतित

पाकिस्तान दौरे पर आए गुतारेस ने कहा कि हम भारत में बनाए जा रहे नए कानूनों को लेकर काफी चिंतित हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव जब एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या वह भारत में नए कानूनों को लेकर चिंतित हैं तो उन्होंने कहा जाहिर तौर पर हूं। क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर संयुक्त राष्ट्र की संबंधित इकाई अधिक सक्रिय है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आगे कहा कि शरणार्थियों के लिए वर्तमान उच्चायुक्त इस स्थिति को लेकर काफी सक्रिय हैं। क्योंकि इस तरह के कानूनों से नागरिकता जाने का खतरा पैदा होता है।

भारत ने कहा ये हमारा अंदरूनी मामला

सीएए पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की टिप्पणी पर जवाब देते हुए भारत सरकार की ओर से कहा गया कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है, और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करना है।इससे किसी की भी नागरिकता को कोई खतरा नहीं है।

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कश्मीर मसले पर भी कर चुके हैं टिप्पणी

पाकिस्तान दौरे पर आए यूएन चीफ इससे पहले कश्मीर मुद्दे पर भी अपनी टिप्पणी कर चुके हैं। गुतारेस ने कश्मीर मुद्दे पर अपनी टिप्पणी करते हुए इस्लामाबाद में कहा कि वह कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित हैं। कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की 2 रिपोर्टों ने वहां के घटनाक्रम के बारे में स्पष्ट रूप से बयां करने में अहम भूमिका निभाई है और जरूरी है कि इन रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से अटके मुद्दे के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैं।

यूएन की मध्यस्थता की पेशकश को खारिज कर चुका है भारत

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यूएन की मध्यस्थता की पेशकश को खारिज करते हुए भारत ने कहा कि ध्यान देने योग्य वास्तविक मुद्दा ये है कि पाकिस्तान द्वारा अवैध तरीके से और जबरन कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली कराया जाए। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। इसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है।

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